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-वर्ष 2016 में NCRB ने एक रिपोर्ट जारी की थी।
-इस रिपोर्ट में बताया गया था, कि वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2014 तक 13 हज़ार 178 लोग अलग-अलग इमारतों और ढांचों के गिरने की वजह से मारे गए थे।
-औसत के लिहाज़ से देखा जाए, तो इस दौरान देश में हर दिन ऐसे सात हादसे हुए, जिनमें इमारत के नीचे दबने की वजह से लोगों की जान गई।
-2010 से 2014 के बीच रिहायशी मकानों के गिरने से 4 हज़ार 914 लोगों की मौत हुई।
-जबकि व्यावसायिक इमारतों के ढहने से 1 हज़ार 610 लोग मारे गये।
-इन चार वर्षों के दौरान सबसे ज्यादा लोगों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई।
-इन चार वर्षों में देश के सबसे बड़े राज्य में 2 हज़ार 65 लोगों की मौत ढांचों के गिरने की वजह से हुई।
-जबकि महाराष्ट्र में 1 हज़ार 343 लोगों की मौत हुई और आंध्र प्रदेश में 1 हज़ार 330 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
ट्रैफिक जाम से भारत में हर साल 60 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान
-CRRI के मुताबिक ख़राब सड़कों की वजह से देश भर में करीब 960 करोड़ रूपये का ईधन रोजाना बर्बाद हो रहा है
-IIT मद्रास की एक स्टडी के मुताबिक भारत में ट्रैफिक जाम से हर साल कम से कम 60 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान होता है। जो 2030 में 90 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
-अगर दिल्ली को एक केस स्टडी के रूप में देखा जाए तो खराब सड़कों और ट्रैफिक जाम की वजह से हर रोज़ दिल्लीवालों के करीब 10 करोड़ रुपये बर्बाद होते हैं.
-दिल्ली में पेट्रोल के दाम 64 रुपये 57 पैसे प्रति लीटर हैं, अगर एक कार का माइलेज 15 किलोमीटर प्रति लीटर का है और उसे 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी है, तो आपको 129.14 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। लेकिन ट्रैफिक जाम की स्थिति में 20% ज्यादा ईंधन खर्च होता है। इसलिए ट्रैफिक जाम के हालात में यही 30 किलोमीटर की दूरी तय करने में आपको 167 रुपये खर्च करने पड़ जाएंगे।
अगर आप एक हफ्ते में 6 दिन ट्रैफिक Jam में फंसते हैं, तो एक महीने में 5010 रुपये का ईंधन ज़्यादा खर्च होता हैं और एक साल की बात करें तो जाम में फंसकर दफ्तर जाने वाला एक आम आदमी एक वर्ष में 60 हज़ार 130 रुपये ज्यादा खर्च कर रहा है।
Centre for Science and Environment की 2016 की एक स्टडी के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर में जाम से सबसे ज्यादा बुरा हाल है। दिल्ली में व्यस्त समय में किसी वाहन की औसत रफ़्तार 5 किलोमीटर प्रति घंटा है। ये साइकिल की रफ्तार से भी कम है। ट्रैफिक जाम की वजह से दिल्ली में रोज़ 1 लाख 15 हज़ार किलोग्राम से ज्यादा कार्बन डाइ ऑक्साइड भी बनती है। यानी जाम हमारे शहरों को बीमार बना रहा है।
ये देश की अर्थव्यवस्था को घायल करने वाला वो कडवा सच है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.