Zee जानकारी : इशरत केस, काफी गहरा है साजिश का अंधेरा
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Zee जानकारी : इशरत केस, काफी गहरा है साजिश का अंधेरा

पुरानी कहावत है कि जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं उनके लिए कुआं तैयार रहता है। इशरत जहां केस में ये कहावत फिलहाल कांग्रेस के नेतृत्व पर बिलकुल सटीक बैठ रही है। आज हम ख़बरों के विश्लेषण की शुरुआत इशरत जहां के केस में हुए उन नए खुलासों से करेंगे जिनसे ये पता चला है कि इस केस में साज़िश का अंधेरा कितना गहरा है? हमने इस मामले में लगातार रिपोर्टिंग और लगातार नए खुलासे किए हैं। हम आपको पहले ही दस्तावेज़ों के आधार पर बता चुके हैं कि

Zee जानकारी : इशरत केस, काफी गहरा है साजिश का अंधेरा

नई दिल्ली : पुरानी कहावत है कि जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं उनके लिए कुआं तैयार रहता है। इशरत जहां केस में ये कहावत फिलहाल कांग्रेस के नेतृत्व पर बिलकुल सटीक बैठ रही है। आज हम ख़बरों के विश्लेषण की शुरुआत इशरत जहां के केस में हुए उन नए खुलासों से करेंगे जिनसे ये पता चला है कि इस केस में साज़िश का अंधेरा कितना गहरा है? हमने इस मामले में लगातार रिपोर्टिंग और लगातार नए खुलासे किए हैं। हम आपको पहले ही दस्तावेज़ों के आधार पर बता चुके हैं कि

-कैसे इशरत जहां केस में वर्ष 2009 में पी चिदंबरम के नेतृत्व वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक हलफनामा बदल दिया था।
-पहले हलफनामे में इशरत को आतंकवादी बताया गया, लेकिन दूसरे हलफनामे में इससे इनकार कर दिया गया।
-तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लई ने दावा किया था कि ये हलफनामा पी चिदंबरम ने बदलवाया था।
-हलफनामे को तैयार करने वाले गृह मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारी आरवीएस मणि ने भी बड़े खुलासे किए थे।
-मणि के मुताबिक पहला हलफनामा उन्होंने आईबी के इनपुट के आधार पर तैयार किया था, जिसे गृह मंत्री चिदंबरम ने मंज़ूरी दी थी।
-लेकिन दूसरा हलफनामा गृह मंत्री के स्तर पर तैयार हुआ और मणि को सिर्फ़ आदेश दिए गए थे कि इस पर साइन कर दो।
-इसके अलावा हमने आपको बताया था कि किस तरह से इशरत जहां पर आतंकवादी डेविड हेडली के बयान को 6 वर्ष तक छुपाया गया।
-हेडली ने एनआईए से कहा था कि इशरत लश्कर ए तैयबाकी आतंकवादी थी, लेकिन इस बात को दबा दिया गया।

राजनाथ सिंह का खुलासा

इशरत जहां के मामले में हमारी लगातार रिपोर्टिंग के बाद आज (गुरुवार को) लोकसभा में इस मामले पर आए एक प्रस्ताव पर चर्चा हुई जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कई बड़े खुलासे किए हैं।

-राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि इशरत जहां के केस में नरेंद्र मोदी को बदनाम करने और फंसाने की साज़िश रची गई थी।
-राजनाथ सिंह ने ये भी कहा कि इस केस में कुछ अहम दस्तावेज़ भी नहीं मिल रहे हैं यानी उन्हें गायब कर दिया गया।
-इन दस्तावेज़ों में वर्ष 2009 की दो चिट्ठियां शामिल हैं, जो तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लई द्वारा तत्कालीन अटॉर्नी जनरल दिवंगत G E वाहनवती को लिखी गई थीं।
-इसके अलावा उस हलफनामे की कॉपी भी गायब है जिस हलफनामे को तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ने वेट किया था। यानी कानूनी हिसाब से जांचा-परखा था

सत्यपाल सिंह के नए खुलासे

इशरत जहां केस में कुछ नए खुलासे सत्यपाल सिंह ने भी किए हैं जो फिलहाल बागपत से बीजेपी के सांसद हैं लेकिन सत्यपाल सिंह मुंबई के पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं... उन्होंने इशरत जहां केस में बनी SIT के हेड का पद भी वर्ष 2011 में कुछ दिनों के लिए संभाला था...हालांकि एक महीने के अंदर ही वो इस SIT से हट गए थे...सत्यपाल सिंह ने आज लोकसभा में खुलासा किया है कि

-कांग्रेस के एक बहुत बड़े नेता ने उनके पास फोन करवाया था।
-इसमें सत्यपाल सिंह से कहा गया कि गृह मंत्री ने एक बहुत बड़े मिशन के लिए उनको विशेष तौर पर सेलेक्ट किया है।
-सत्यपाल सिंह से कहा गया कि इशरत जहां के एनकाउंटर को किसी भी तरीके से झूठा साबित करना है और इसे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री यानी नरेंद्र मोदी तक पहुंचना है। हम आपको बता दें कि जिस वक्त सत्यपाल सिंह इशरत जहां केस में बनी एसआईटी के हेड चुने गए थे, उस वक्त पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।

सत्यपाल सिंह ने जो बात कही है उसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए क्योंकि इशरत जहां केस में जिस तरह से एसआईटी ने काम किया, उसका किस्सा भी बहुत ही दिलचस्प है, हम आपको इसकी भी पूरी कहानी बताते हैं।

-अगस्त 2010 में गुजरात हाईकोर्ट ने इशरत जहां केस की जांच स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी को सौंप दी थी।
-एसआईटी के तीन सदस्य थे, जिसमें चेयरमैन की नियुक्ति केंद्र सरकार यानी केंद्रीय गृह मंत्रालय को करनी थी।
-एसआईटी के बाकी दो सदस्यों में एक सदस्य याचिकाकर्ता की पसंद का था।
-दूसरे सदस्य की नियुक्ति का अधिकार गुजरात सरकार के पैनल को दिया गया था।
-अब हम आपको बताते हैं कि इसके बाद क्या हुआ?
-एसआईटी बनने के छह महीने के अंदर तत्कालीन यूपीए सरकार ने अपने द्वारा नियुक्त एसआईटी के तीन चेयरमैन बदल दिए।
-पहले चेयरमैन दिल्ली काडर के आईपीएस अधिकारी करनैल सिंह थे, जिनका ट्रांसफर मिज़ोरम कर दिया गया।
-18 जून 2011 को एसआईटी का दूसरा चेयरमैन सत्यपाल सिंह को बनाया गया, जो एक महीने से भी कम वक्त तक इस पद पर रह सके।
-15 जुलाई 2011 को एसआईटी का तीसरा चेयरमैन आंध्र प्रदेश के आईपीएस अधिकारी जेवी रामुदु को बनाया गया।
-लेकिन रामुदु ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए एसआईटी का प्रमुख बनने से इनकार कर दिया।
-बार-बार एसआईटी का प्रमुख बदलने और कैजुअल अप्रोच के लिए गुजरात हाईकोर्ट ने यूपीए सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
-29 जुलाई 2011 को गृह मंत्रालय ने बिहार काडर के आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन वर्मा को एसआईटी का चौथा हेड बनाया।
-राजीव रंजन वर्मा उस वक्त केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सीआईएसएफ के एडिशनल डीजीपी थे।
-18 नवंबर 2011 को एसआईटी ने इशरत जहां केस में अपनी फाइनल रिपोर्ट गुजरात हाईकोर्ट को सौंप दी।
-इस रिपोर्ट में एसआईटी ने कहा कि इशरत जहां एनकाउंटर फर्ज़ी था।
-एसआईटी की इस रिपोर्ट के बाद गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने को कहा।
-इस FIR में गुजरात के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों सहित 20 पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया।
-बाद में गुजरात हाईकोर्ट ने इस केस की जांच सीबीआई के हवाले कर दी।
-सीबीआई ने इसके बाद इस केस में गुजरात के छह वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया।
-यहां आपको ये बताना ज़रूरी है कि हलफनामा बदलने से लेकर एसआईटी का हेड बदलने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री के पद पर पी चिदंबरम ही बैठे थे।
-पी चिदंबरम 29 नवंबर 2008 से लेकर 31 जुलाई 2012 तक केंद्रीय गृह मंत्री थे।
-उनके कार्यकाल में प्रमुख रूप से दो साल तक गृह सचिव थे गोपाल कृष्ण पिल्लई यानी जीके पिल्लई और एक साल तक गृह सचिव थे आरके सिंह।

जब इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी उस वक्त गृह मंत्री पी चिदंबरम थे। सीबीआई के डायरेक्टर एपी सिंह थे और गृह सचिव आरके सिंह थे। जब इशरत जहां केस में सीबीआई ने पहली चार्जशीट दाखिल की उस वक्त सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा थे। गृह मंत्री थे सुशील कुमार शिंदे और गृह सचिव थे अनिल गोस्वामी। हमें लगता है कि इन सब लोगों से इस मामले में पूछताछ होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके। सवाल ये भी है कि आरके सिंह, सत्यपाल सिंह, जी के पिल्लई और एपी सिंह उस वक़्त चुप क्यों थे? क्या वो यूपीए सरकार से डरे हुए थे?

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