ZEE जानकारी: इस देश के पास न तेल है, न कच्चा माल फिर भी ड्रोन निर्माण में दुनिया में है नंबर 1
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ZEE जानकारी: इस देश के पास न तेल है, न कच्चा माल फिर भी ड्रोन निर्माण में दुनिया में है नंबर 1

रक्षा को प्राथमिकता का दर्जा देकर भारत भी खुद को सुरक्षित बनाने का प्रण ले सकता है.

ZEE जानकारी: इस देश के पास न तेल है, न कच्चा माल फिर भी ड्रोन निर्माण में दुनिया में है नंबर 1

हमारा ये दूरदर्शी विश्लेषण देखकर आपने भी नए वर्ष के लिए कुछ प्रण लेने का इरादा कर लिया होगा. हम चाहते हैं कि अगर आप कोई प्रण लें तो उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाएं लेकिन नए साल को उज्जवल बनाने के लिए सिर्फ नागरिकों को ही नहीं बल्कि एक देश के तौर पर भारत को भी कुछ प्रण लेने होंगे और इसमें भारत कुछ दूसरे देशों से शिक्षा ले सकता है.

भारत की सरकार चाहे तो 2020 में देश को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए इजरायल से सीख ले सकती है. इजरायल एक ऐसा देश है जिसके पास ना तेल है, ना Mineral है और ना ही कच्चा माल है. लेकिन आज इजरायल दुनिया के सबसे बड़े Arms Exporters में शामिल है. 

Drones का निर्माण करने के मामले में इजरायल पूरी दुनिया में पहले नंबर पर है . दुनिया के 60 प्रतिशत Drone बाज़ार पर इजरायल का कब्ज़ा है. आज दुनिया का कोई भी देश इजरायल से उलझने की कोशिश नहीं कर सकता. इसका कारण ये है कि इजरायल ने खुद को इतना शक्तिशाली बना लिया है कि उससे टकराना किसी भी देश के लिए आसान नहीं है. इजरायल अपनी GDP का 4 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र में होने वाले Research And Development पर खर्च करता है . जबकि भारत का रक्षाबजट GDP का सिर्फ 1.6 प्रतिशत है.
 
भारत चाहे तो इजरायल की तरह खुद को रक्षा के क्षेत्र में और मजबूत बना सकता है. इसके लिए हथियारों के उत्पादन को मुनाफे के व्यापार में बदलना होगा . राजनीति से हटकर..रक्षा सौदों को अंजाम देना होगा और जिन क्षेत्रों पर खर्च किए जाने की ज़रूरत है उन पर और ज्यादा ध्यान देना होगा . भारत को दूसरे देशों के साथ Technology Transfer जैसे मुद्दों पर भी तेजी से काम करना होगा .इजरायल भी भारत की तरह हर तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ देश है. लेकिन आज इजरायल रक्षा क्षेत्र में एक सुपर पावर बन चुका है. रक्षा को प्राथमिकता का दर्जा देकर..भारत भी खुद को सुरक्षित बनाने का प्रण ले सकता है. 

इन दिनों पूरी दुनिया में ये चर्चा आम है..कि भारत एक असहनशील देश बनता जा रहा है . दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ये छवि ठीक नहीं है और इसे सुधारने के लिए भारत न्यूजीलैंड से सबक ले सकता है. आलोचनाओं को नजर अंदाज़ करना आसान है..लेकिन असली ज़रूरत है..खुद के अंदर झांकने की और अपनी कमियों में सुधार करने की. इस साल एक मस्जिद में हुए हमले के बाद. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री JACINDA ARDERN ने दुनिया को दिखाया कि ऐसे मौकों पर लोंगों को बांटा नहीं जाता बल्कि एकजुट किया जाता है. CHRIST CHURCH की मस्जिद में हुई शूटिंग. न्यूजीलैंड के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला था. 

लेकिन इस घटना के बाद न्यूजीलैंड की 50 लाख की आबादी और वहां की प्रधानमंत्री की हर पहल ने सिखाया कि कैसे ऐसी घटनाओं के बाद भी सभी को साथ लेकर चला जा सकता है. इस हमले के बाद न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री JACINDA ARDERN ने मस्जिद में जाकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी. उनकी इस तस्वीर ने पूरी दुनिया के लोगों का दिल जीत लिया था. न्यूजीलैंड हमें सिखाता है कि मुश्किल दौर में हमें अपने ही लोगों के खिलाफ नहीं होना है..बल्कि सिर्फ उन लोगों की पहचान करनी है जो नफरत फैला रहे हैं. भारत हमेशा से एक सहनशील देश रहा है और इस पहचान को कामय रखना भी भारतीयों का ही कर्तव्य है .
 
प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन भी भारत के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है. और भारत अभी तक इन समस्याओं से निपटने का इलाज नहीं ढूंढ पाया है . लेकिन अगर भारत चाहे तो भूटान जैसे छोटे से देश से इस मामले में बहुत कुछ सीख सकता है. भारत ने वर्ष 2018 में 2 लाख 30 हज़ार करोड़ किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन किया था जबकि भूटान ने इसी दौरान 150 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन किया था . लेकिन भूटान के जंगल 600 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड को सोख लेते हैं और उसे स्वच्छ हवा में बदल देते हैं . यानी भूटान अपने जंगलों और हरियाली की बदलौत ना सिर्फ खुद एक Carbon Negative देश बना हुआ है..बल्कि आस पड़ोस के देशों के कार्बन ऊत्सर्जन का एक बड़ा हिस्सा भूटान के जंगल सोख लेते हैं.

इतना नहीं भूटान में विकास का पैमाना सिर्फ GDP नहीं है..बल्कि वहां खुशियों को भी महत्व दिया जाता है और इसके लिए वहां बाकायदा एक happiNess Index यानी खुशिया मापने का पैमाना बनाया गया है. 2015 में हुए एक सर्वे में भूटान के 91 प्रतिशत लोगों ने माना था कि वो अपनी जिंदगी से खुश हैं. यानी भारत चाहें तो पर्यावरण और खुशियों को बचाने के मामले में भूटान से काफी कुछ सीख सकता है.

भारत चीन से शिक्षा लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का प्रण भी ले सकता है. हालांकि अभी भ्रष्टाचार के मामले में भारत और चीन एक जैसी स्थिति में हैं...लेकिन वहां की सरकार ने इसे जड़ से उखाड़ने का प्रण ले लिया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसके लिए दो अभियान लॉन्च किए हैं पहले अभियान का नाम है OPERATION FOX HUNT और दूसरे अभियान का नाम है CATCHING TIGERS AND FLIES. OPERATION FOX HUNT का मकसद है. चीन के उस पैसे को देश में वापस लाना..जो दूसरे देशों में Black Money के रूप में जमा है . इस खुफिया ऑपरेशन के तहत चीन से भागे आर्थिक अपराधियों को भी वापस लाने की कोशिश की जा रही है.

DNA वीडियो:

चीन सरकार की 2011 की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 8 लाख करोड़ रुपये Black Money के रूप में दूसरे देशों में मौजूद है. लेकिन OPERATION FOX HUNT के तहत चीन की सरकार ऐसे दो हज़ार भगौड़ों को वापस ला चुकी है...जो भ्रष्टाचार करके..चीन से भाग गए थे . इनमें 350 सरकारी अधिकारी भी शामिल थे. चीन ने इन लोगों को वापस लाने के लिए इनके पास पहले एजेंट भेजे. इन Agents ने इन्हें ये कहकर डराया कि अगर ये लोग वापस नहीं आए..तो चीन में मौजूद इनके परिवार वालों को मुश्किल हो सकती है.

इसी तरह ऑपरेशन CATCHING TIGERS AND FLIES के तहत भी भ्रष्टाचार पर बड़ा वार किया गया. यहां TIGER का मतलब है उच्च अधिकारी और Flies का मतलब है..छोटे मोटे सरकारी कर्मचारी . चीन ने इन भ्रष्टाचारियों पर भी कड़ी कार्रवाई की और अब ये लोग कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. चीन की मीडिया ने 2019 में ये घोषणा कर दी थी कि उनके देश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जीत ली है. 2019 में चीन में भ्रष्टाचार के 5 लाख 55 हज़ार मामले दर्ज किए गए और 4 लाख 85 हज़ार लोगों को सज़ा दी गई और इन लोगों से 42 लाख करोड़ रुपये बरामद किए गए.

भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भारत ने भी कदम उठाए, इसी के लिए नोटबंदी की गई. भगौड़ों को वापस लाने के लिए कोशिशें की गई लेकिन सच ये है कि 2013-14 में भारत में 7 हज़ार 500 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले हुए थे जो 2019 में बढ़कर 29 हज़ार 200 करोड़ रुपये के घोटालों में बदल गए. यानी भारत को अभी भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़नी है और भारत चाहें तो चीन से शिक्षा लेकर भ्रष्टाचार के ड्रैगन को हरा सकता है.

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