अब हम आपको बताते हैं कि कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय विवाद का विषय बनाने की शुरुआत कैसे 72 वर्ष पहले कांग्रेस ने ही की थी.
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अब हम आपको बताते हैं कि कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय विवाद का विषय बनाने की शुरुआत कैसे 72 वर्ष पहले कांग्रेस ने ही की थी. 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर दिए थे. यानी अक्टूबर 1947 में ही जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया था. लेकिन कश्मीर में भारत के विलय के साथ ही इस पर राजनीति शुरु हो गई थी. एक तरफ कश्मीर राजनीति के दांव पेंचों में फंसा हुआ था और दूसरी तरफ सीमा पर युद्ध भी चल रहा था. कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच अक्टूबर 1947 से एक युद्ध शुरू हो गया जो जनवरी 1949 तक चलता रहा.
जब भारत की सेना पूरे जम्मू और कश्मीर को जीतने से थोड़ी ही दूर थी. तभी पंडित नेहरू संयुक्त राष्ट्र चले गए और उन्होंने संघर्ष विराम और जनमत संग्रह का ऐलान कर दिया. पंडित नेहरू ने सैन्य, राजनीतिक और अंतर-राष्ट्रीय कारणों से युद्ध विराम की घोषणा कर दी. इस वजह से जम्मू और कश्मीर बंट गया. Line Of Control यानी नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ कश्मीर पर दो अलग-अलग देशों का अधिकार हो गया. जो हिस्सा आज पाकिस्तान के पास है उसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहा जाता है. POK भी पंडित नेहरू की भूलों का ही परिणाम है. तत्कालीन भारत सरकार के 3 गलत फैसलों की वजह से कश्मीर एक समस्या बन गया.
पहला गलत फैसला ये था कि वर्ष 1947 में जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो भारत ने कश्मीर की रक्षा के लिए सही समय पर सेना को नहीं भेजा.
दूसरा गलत फैसला ये था कि भारत कश्मीर के मुद्दे को खुद अपनी तरफ से संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गया. और तीसरा गलत फैसला था भारत का कश्मीर में जनमत संग्रह कराने के लिए तैयार हो जाना और उसका ऐलान करना. इन तीनों गलत फैसलों के पीछे भारत के पहले गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन की सलाह थी.
1 जनवरी 1948 को भारत United Nations Security Council पहुंचा और UNSC से कश्मीर मामले का हल निकालने के लिए कहा .लेकिन भारत ने ये मामला गलत Chapter के अंतर्गत उठाया था. भारत ने Security Council के Chapter Six के Article 35 के तहत ये शिकायत की थी. जिसके तहत कोई भी सदस्य देश...
.. सुरक्षा परिषद का ध्यान.... अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा मानी जाने वाली परिस्थितियों की तरफ आकर्षित कर सकता है. सुरक्षा परिषद का Chapter Six दो देशों के बीच हुए विवाद को शांति से सुलझाने की बात करता है. लेकिन जानकारों के मुताबिक भारत को सुरक्षा परिषद में Chapter Seven के तहत शिकायत करनी चाहिए थी.
United Nations के Charter का Chapter Seven उस स्थिति के लिए है, जब कोई देश दूसरे देश पर हमला करता है. और 1947 में यही हुआ था. वर्ष 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया था. यानी कश्मीर पर पंडित नेहरू की भूल का खामियाज़ा देश ने 72 वर्षों तक भुगता. और कांग्रेस इसे लेकर 135 करोड़ भारतीयों को गुमराह करती रही. और ये कोशिश आज भी जारी है.