ZEE जानकारी: पिछले 12 दिनों से केरल तेज़ बारिश और बाढ़ से संघर्ष कर रहा है
Advertisement

ZEE जानकारी: पिछले 12 दिनों से केरल तेज़ बारिश और बाढ़ से संघर्ष कर रहा है

पिछले 12 दिनों में पूरे राज्य में बाढ़ से 216 लोगों की मौत हो चुकी है. लाखों लोग बेघर हो गए हैं.

ZEE जानकारी: पिछले 12 दिनों से केरल तेज़ बारिश और बाढ़ से संघर्ष कर रहा है

हमारे देश में जब भी कोई मुसीबत आती है, तो लोग एक दूसरे की मदद करने के लिए इक्कठा हो जाते हैं, फिर चाहे वो किसी भी धर्म या संप्रदाय से हों. मानवता की सबसे बड़ी कहानियां किसी आपदा के समय ही देखने को मिलती हैं. केरल में बाढ़ से हुए विनाश के बीच रिपोर्टिंग करते हुए, हमें ऐसे बहुत सारे लोग मिले जो दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं कर रहे. इनमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के जवान भी हैं और NDRF के बचाव दल के लोग भी हैं. इन लोगों में किसी तरह का कोई अभिमान नहीं है, ये सिर्फ एक इंसान और भारत के ज़िम्मेदार नागरिक होने का फर्ज़ निभा रहे हैं. पिछले 12 दिनों से केरल तेज़ बारिश और बाढ़ से संघर्ष कर रहा है.

पिछले 12 दिनों में पूरे राज्य में बाढ़ से 216 लोगों की मौत हो चुकी है. लाखों लोग बेघर हो गए हैं. और बहुत से लोग अब भी बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं. आज हम केरल से आपके लिए मानवता और हिम्मत की बेमिसाल कहानियां लेकर आए हैं. ये कहानियां देखकर आपके मन में दूसरों की मदद करने की भावनाएं जागृत होंगी.

ये व्यक्ति एक मछुआरा है, जिसका नाम है जैसल KP... ये वीडियो केरल के मल्लापुरम का है. जहां जैसल, NDRF की टीम के साथ मिलकर राहत और बचाव का काम कर रहे हैं. NDRF की टीम जब इस इलाके में पहुंची तो वहां पानी भरा हुआ था. लोग जब नाव में चढ़ रहे थे, तो वो थोड़ी ऊंची थी, जिसकी वजह से उन्हें परेशानी हो रही थी. इसके बाद जैसल खुद पानी में अपने घुटनों के बल झुक गए. और अपनी पीठ को एक सीढ़ी बना लिया. जिसके बाद इस इलाके में फंसी महिलाएं और बच्चे उनकी पीठ के सहारे नाव पर चढ़े. मुसीबत में फंसे किसी व्यक्ति की मदद करने के लिए इस तरह निस्वार्थ भाव से झुक जाना बहुत बड़ी बात है.

एक और वीडियो आपको दिखाते हैं. जब सामने साक्षात मौत खड़ी हो और ऐसे में कोई जान बचाने वाला आ जाए, तो वो किसी देवदूत से कम नहीं होता. और सेना के इन देवदूतों ने पूरे केरल से ऐसी एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों जानें बचाई हैं. ये महिला जब अपनी एक परिचित महिला से मिली, तो फूट फूटकर रोने लगी. अब एक और तस्वीर देखिए.. ये तस्वीरें केरल के अलापुझा की हैं, जहां एक छोटा बच्चा छत पर फंस गया था. एयरफोर्स के विंग कमांडर प्रशांत ने अपनी जान पर खेलकर इस बच्चे की जान बचाई. जब ये बच्चा अपनी मां से मिला तो उसकी मां के चेहरे की मुस्कान देखने लायक थी. 

ऐसी तस्वीरें बहुत सुकून देती हैं. इन तस्वीरों को देखकर लगता है कि इस कलिय़ुग में भी मानवता ज़िंदा है.सवाल ये भी है कि क्या केरल की बाढ़, प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है ? बाढ़ को वैसे तो कुदरत का कहर कहा जाता है, लेकिन ये बात भी सच है कि अगर इंसान प्रकृति का संतुलन बिगाड़ेगा, तो फिर उसके परिणाम भी इंसान को ही भुगतने पड़ेंगे. हम इस पहलू को भी Decode करेंगे लेकिन उससे पहले 

आपको केरल का ताज़ा अपडेट दे देते हैं - केरल के मुख्यमंत्री के मुताबिक राज्य के 10 लाख लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है. पूरे राज्य में 5 हज़ार 645 राहत शिविर बनाए गए हैं. 8 अगस्त से आई बाढ़ में 8 हज़ार से ज्यादा घर बह गए. 26 हज़ार से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा है. केन्द्र सरकार ने पूरे केरल में 3700 मेडिकल कैंप्स बनाए हैं. इस बाढ़ से केरल में 20 हज़ार करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है. केरल में 200 से ज्यादा पुल टूट गए हैं. करीब 40 हज़ार Hectare की कृषि-भूमि बर्बाद हो गई है. राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक 10 हज़ार किलोमीटर से ज्यादा लंबाई की सड़कें और सैकड़ों पुल बर्बाद हुए हैं. 

केरल में अब बाढ़ का पानी उतर रहा है इसलिए वहां के सभी ज़िलों से रेड अलर्ट हटा लिया गया है, हालांकि अब भी कुछ इलाके पानी में डूबे हुए हैं . लोगों को घरों की छतों से एयरलिफ्ट किया जा रहा है, लेकिन जिन लोगों तक पहुंचना मुश्किल हैं, उनके लिए खाने का सामान छतों पर फेंका जा रहा है. बहुत से इलाके भूस्खलन से बर्बाद हो गए हैं. सैनिक मलबा हटा रहे हैं और अस्थायी पुल बना रहे हैं, ताकि यातायात बाधित न हो. लेकिन अब चिंता ये भी है कि कहीं पानी की वजह से राहत शिविरों में संक्रामक बीमारी न फैले. 

ये कहा जा रहा है कि अगर प्रशासन कम से कम 30 बांधों यानी Dams से धीरे धीरे पानी छोड़ता तो केरल में बाढ़ इतनी विनाशकारी नहीं होती. केरल में कुल 41 नदियां बहती हैं, जब पिछले हफ्ते बाढ़ उफान पर थी, तो 80 से भी ज़्यादा Dams का पानी छोड़ा गया था. भारी बारिश से केरल में पहले ही भयानक बाढ़ की स्थिति बन गई थी, लेकिन इडुक्की और इडा-माल्यार बांध से पानी छोड़े जाने के बाद स्थिति और बिगड़ गई. अगर पानी छोड़ने की टाइमिंग सही होती, तो हालात इतने ख़राब नहीं होते. बाढ़ आने से पहले काफी वक्त था, जब पानी छोड़ा जा सकता था. इतने कम समय में इस तरह की भारी बारिश के कारण राज्य में भूस्खलन भी हुए जिसमें कई लोगों की मौत हुई है. और इसके लिए जंगलों की कटाई को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है. 

सेना के जवान और आम लोग तो अपनी ज़िम्मदारियां निभा रहे हैं. लेकिन हमारे नेता संवेदनहीन बने हुए हैं. केरल के अलावा कर्नाटक के कुछ इलाके भी इन दिनों बाढ़ से संघर्ष कर रहे हैं. कर्नाटक के मुख्यमंत्री HD कुमारस्वामी ने बाढ़ से प्रभावित कोडागू ज़िले का एक aerial survey किया, लेकिन इस दौरान वो लोगों की परेशानियों को देखने के बजाए अखबार पढ़ने में व्यस्त रहे. ये अपने आप में बहुत बड़ी संवेदनहीनता है.

इसके अलावा हमारे पास HD कुमारस्वामी के भाई, HD रेवन्ना की ऐसी ही संवेदनहीन तस्वीरें हैं. H.D. रेवन्ना कर्नाटक सरकार में PWD मंत्री हैं. ये वीडियो कर्नाटक के हासन ज़िले का है. यहां HD रेवन्ना बाढ़ से प्रभावित एक राहत शिविर में गए थे. और वहां पर वो लोगों को बिस्किट बांट रहे थे. लेकिन उनका तरीका बहुत संवेदनहीन था

Trending news