ZEE जानकारी: मत होइए भ्रमित, मिले ये 4 पहचान, समझ जाइए यही है- 'टुकड़े टुकड़े गैंग'
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ZEE जानकारी: मत होइए भ्रमित, मिले ये 4 पहचान, समझ जाइए यही है- 'टुकड़े टुकड़े गैंग'

आपको इन लोगों से सावधान रहना चाहिए. पहले टुकड़े टुकड़े और अफज़ल प्रेमी गैंग की पहचान करना आसान था. क्योंकि ये लोग आतंकवादियों के समर्थन में खुलकर सामने आ जाते थे. लेकिन अब ये गैंग अपना एजेंडा चलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया की मदद लेता है.

 

ZEE जानकारी: मत होइए भ्रमित, मिले ये 4 पहचान, समझ जाइए यही है- 'टुकड़े टुकड़े गैंग'

आज हम आपको टुकड़े टुकड़े गैंग का पता बताएंगे. हाल ही में गृहमंत्रालय में एक RTI डालकर पूछा गया था कि टुकड़े टुकड़े गैंग क्या है और इसके सदस्य कौन हैं. गृहमंत्रालय के पास तो फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है लेकिन हमें गर्व है कि देश को ये नाम Zee News ने दिए हैं और अगर किसी को टुकड़े टुकड़े गैंग या अफज़ल प्रेमी गैंग से मिलना है तो हमसे संपर्क कर सकते हैं. वैसे हैरानी की बात ये भी है कि टुकड़े,टुकड़े गैंग के लोग अपना ही पता जानने के लिए RTI डाल रहे हैं.

आज हम आपको इन Gangs में शामिल लोगों से जुड़ी हर जानकारी देंगे और आपको बताएंगे कि आप अपने आस-पास इन Gangs में शामिल लोगों की पहचान कैसे कर सकते हैं. हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि टुकड़े-टुकड़े और अफज़ल प्रेमी गैंग ने एक बार फिर से कमबैक कर लिया है और अब ये गैंग सिर्फ नारेबाज़ी के ज़रिए नहीं बल्कि मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए देश को तोड़ने के सपने देख रहा है.

लेकिन विश्लेषण आगे बढ़ाने से पहले मुझे देशभक्ति पर आधारित एक मशहूर हिंदी फिल्म राज़ी का एक डायलॉग याद आ रहा है. ये डायलॉग है वतन के आगे कुछ भी नहीं खुद भी नहीं यानी देश सबसे बढ़कर होता है और देश से ऊपर कुछ भी नहीं होता. आप भी देश से ऊपर नहीं हो सकते. ये आपको हमेशा याद रखना चाहिए लेकिन हमारे ही देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ये बात बार बार भूल जाते हैं.

ऐसे लोगों के लिए एक आतंकवादी ज्यादा बड़ा हो जाता है और देश और देश की संसद. संविधान और सुप्रीम कोर्ट छोटे हो जाते हैं. ये लोग एक आतंकवादी को फांसी दिए जाने का विरोध करते हैं और देश के टुकड़े टुकड़े करने के नारे लगाते हैं. ये टुकड़े टुकड़े और अफज़ल प्रेमी गैंग में शामिल लोगों की सबसे बड़ी पहचान है.

Zee News ने ही सबसे पहले आतंकवादियों से हमदर्दी रखने वालों और देश की अखंडता को चोट पहुंचाने वालों का पर्दाफाश किया था और हमारी ये मुहिम आज भी जारी है. लेकिन दिक्कत ये है कि इस गैंग के बहुत सारे लोगों ने अब Streets यानी सड़कों पर भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाना छोड़ दिया है और अब वो Tweets यानी सोशल मीडिया, और News Channels के ज़रिए ऐसा करने लगे हैं.

हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री सोनी राज़दान ने आज एक Tweet करके सवाल पूछा है कि कहीं संसद भवन पर हमले के दोषी के तौर पर गलत व्यक्ति को तो फांसी नहीं दे दी गई?. सोनी राज़दान यहां अफज़ल गुरु की बात कर रही हैं उन्होंने अपने Tweet में कहा है कि अगर अफज़ल गुरु निर्दोष था तो उसे वापस कौन लाएगा वो आगे कहती हैं कि मौत की सज़ा को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इस बात की जांच करनी चाहिए कि अफज़ल गुरु को बली का बकरा किसने बनाया था. उन्होंने इस पूरी घटना को न्याय व्यवस्था का मज़ाक बताया है.

सोनी राज़दान ने इस Tweet के साथ एक आर्टिकल भी शेयर किया है. इस आर्टिकल में दावा किया गया है कि फांसी से पहले अफज़ल गुरु ने जम्मू कश्मीर पुलिस से निलंबित किए गए. डीएसपी दविंदर सिंह का नाम एक चिट्ठी में लिया था. दविंदर सिंह को पिछले हफ्ते एक आतंकवादी को शऱण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. यानी सोनी राज़दान देश से धोखा करने वाले एक आरोपी का नाम लेकर देश से गद्दारी करने वाले अफज़ल गुरु को निर्दोष साबित करना चाहती हैं.

सोनी राज़दान को एक आतंकवादी द्वारा लिखी गई चिट्ठी की बातें ब्रह्म वाक्य लग रही हैं. यानी सच्ची लग रही हैं लेकिन जिस सुप्रीम कोर्ट ने तमाम सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए अफज़ल गुरू को फांसी की सज़ा सुनाई...उस सुप्रीम कोर्ट पर वो सवाल उठा रही हैं. यानी बुद्धीजीवियों की अदालतों में आतंकवादी तो सारे आरोपों से बरी हो जाते हैं और न्याय व्यवस्था सवालों के कठघरे में खड़ी हो जाती है. सोनी राज़दान के इस Tweet का तीखा विरोध हो रहा है. पहले आप उनके इस बयान पर अलग अलग लोगों की प्रतिक्रियाएं सुन लीजिए फिर हम अपने विश्लेषण को आगे बढ़ाएंगे.

आज जब हमने इस विषय पर सोनी राज़दान का भी पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने इस पर बात करने से इनकार कर दिया. हालांकि आलोचनाओं के बाद सोनी राज़दान ने एक और Tweet किया और कहा कि वो ये नहीं कह रहीं कि अफज़ल गुरु निर्दोष था लेकिन उसे पहले टॉर्चर किया गया और फिर ये काम करने पर मजबूर किया गया. इसकी जांच होनी चाहिए और अफज़ल गुरु द्वारा दविंदर सिंह पर लगाए गए आरोपों की भी सख्ती से जांच होनी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि अफज़ल गुरु के आरोपों को कोई भी गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा?

सोनी राज़दान की बातें सुनकर ऐसा लगता है जैसे अब हमारे देश में ना सिर्फ एक आतंकवादी के आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए बल्कि देश की सुरक्षा को भी मज़ाक का विषय बना दिया है. आपको याद होगा कि वर्ष 2015 में आतंकवादी याकूब मेमन को हुई फांसी से पहले भी देश के 284 बुद्धीजीवियों ने राष्ट्रपति के पास एक दया याचिका भेजी थी. इनमें बहुत सारे लोग फिल्मी दुनिया से जुड़े थे, कुछ बुद्धीजीवी थे. कुछ बड़े लेखक थे, कुछ पूर्व सरकारी अधिकारी थे तो कुछ डिजाइनर पत्रकार भी थे.

यानी हमारे देश में कथित बुद्धीजीवियों, अंग्रेज़ी बोलने वाले Celebrities, डिज़ाइनर पत्रकारों और फिल्म स्टार्स का एक गैंग हमेशा इस ताक में रहता है कि कैसे आतंकवादियों के प्रति हमदर्दी का माहौल पैदा किया जाए और देश की न्याय व्यवस्था को बदनाम किया जाए.

ये लोग एक आतंकवादी को फांसी से बचाने के लिए आधी रात को सुप्रीम कोर्ट खुलवा लेते हैं. आतंकवादियों के समर्थन में सरकारों को लंबी-लंबी चिट्ठियां लिखते हैं, टुकड़े टुकडे वाली नारेबाज़ी करने वालों को खुला समर्थन देते हैं. देशद्रोह के आरोपी छात्रों के साथ यूनिवर्सिटी कैंपस में जाकर अपनी फिल्म का प्रचार करते हैं. और बेरोज़गारी के दौर में सोशल मीडिया पर ऐसी विवादित टिप्पणियां करते हैं. जिनसे इन्हें अचानक लोकप्रियता हासिल हो जाती है. और इनका Career फिर से चल पड़ता है.

ये लोग सस्ती लोकप्रियता के सहारे अपना कैरियर बचाने के लिए बार बार--देश विरोधी बातें करते हैं. इसलिए आपको इन लोगों से सावधान रहना चाहिए. पहले टुकड़े टुकड़े और अफज़ल प्रेमी गैंग की पहचान करना आसान था. क्योंकि ये लोग आतंकवादियों के समर्थन में खुलकर सामने आ जाते थे.

लेकिन अब ये गैंग अपना एजेंडा चलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया की मदद लेता है. इसलिए इनकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो गया है. लेकिन आज हम आपको इस गैंग में शामिल लोगों के चरित्र की कुछ विशेषताएं बताएंगे. जिनकी मदद से आप इन्हें आसानी से पहचान पाएंगे.

इनकी पहली और सबसे बड़ी विशेषता ये है कि ये लोग देश के टुकड़े टुकड़े करना चाहते हैं और अक्सर अपने शब्दों और अपनी विचारधारा से अपनी इस इच्छा की पुष्टि भी करते रहते हैं. और इनके कार्यक्रमों में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे पूरे जोश के साथ लगाए जाते हैं.

इन लोगों की दूसरी विशेषता ये है कि इनकी, संविधान, संसद और न्याय व्यवस्था में कोई श्रद्धा नहीं है. ये लोग लोकतंत्र की इन तीन सबसे मजबूत प्रणालियों पर हमेशा सवाल उठाते हैं.

टुकड़े टुकड़े और अफज़ल प्रेमी गैंग की तीसरी पहचान ये है कि ये लोग आतंकवादियों का सम्मान करते हैं. जबकि देश के लिए जान देने वाले सैनिकों पर सवाल उठाते हैं.

इस गैंग की चौथी विशेषता ये है कि ये लोग पाकिस्तान और देश के दुश्मनों के द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार को ही सही मानते हैं और उसे आगे बढ़ाने का काम पूरी लगन के साथ करते हैं.

इस गैंग की पांचवी और अंतिम विशेषता ये है कि ये दूसरों को भक्त कहते हैं लेकिन ये खुद दरबारी परंपरा का हिस्सा रहे हैं और ये लोग इस परंपरा के घोर समर्थक हैं. क्योंकि सरकारों के दरबार काल में जी हजूरी करके ये लोग ईनाम भी पाते रहे हैं और बड़े बड़े पद भी हासिल करते रहे हैं. आसान भाषा में आप इन्हें दरबारी बुद्धीजीवी कह सकते हैं. और अब इनके बड़े बड़े दरबार
राजनीतिक खंडहरों में बदल चुके हैं.

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