ZEE जानकारी: जानिए, कैसे भारत के सांस्कृतिक इतिहास को मिटाने की हुई कोशिश
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ZEE जानकारी: जानिए, कैसे भारत के सांस्कृतिक इतिहास को मिटाने की हुई कोशिश

आज हम आपको ऐतिहासिक Chronology के ज़रिए समझाएंगे कि कैसे सोची समझी साज़िश के तहत भारत के हज़ारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक इतिहास को मिटाने की कोशिश हुई. 

ZEE जानकारी: जानिए, कैसे भारत के सांस्कृतिक इतिहास को मिटाने की हुई कोशिश

आज हम आपको ऐतिहासिक Chronology के ज़रिए समझाएंगे कि कैसे सोची समझी साज़िश के तहत भारत के हज़ारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक इतिहास को मिटाने की कोशिश हुई. पहले ये कोशिश मुसलमान शासकों ने की फिर अग्रेज़ों ने और आज भारत में रहकर अपना एजेंडा चलाने वाला टुकड़े टुकड़े गैंग इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. ये गैंग ये साबित करने की कोशिश कर रहा है कि भारत पर पहला हक विदेशी आक्रमणकारियों का है और जिस धर्म और परंपरा को मानने वाले लोग भारत में अनंत काल से रह रहे हैं. उन्हें पूरी धर्म-निरपेक्षता के साथ ये सच स्वीकार कर लेना चाहिए.

लेकिन आज इस गैंग की कोशिशों को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल नए नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और इसके विरोध में दायर याचिकाओं की सुनवाई अब 5 जजों की बेंच को सौंप दी गई है इसके साथ ही इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से भी 4 हफ्तों में जवाब मांगा है.

यानी जो लोग अपनी नागरिकता से जुड़े कागज़ नहीं दिखाना चाहते वो हज़ारों पन्ने अपील लिखने के लिए खर्च कर रहे हैं और इन अपीलों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से नए नागरिकता कानून पर रोक लगाने के लिए कह रहे हैं. लेकिन फिलहाल इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है.

आज हमने इन्हीं लोगों के लिए भारत के इतिहास का अध्ययन किया है और ये पता लगाने की कोशिश की है कि अगर भारत पर आक्रमण करने वाले बंदूक और तलवार के दम पर भारत के असली नागरिक बन गए..तो जो लोग जन्म-जन्मांतर से भारत में रहते आ रहे हैं..वो लोग कौन हैं और उनका धर्म क्या है.

अमेरिका के महान लेखक Mark Twain ने भारत के बारे में लिखा था कि भारत मानव जाति का पालना है. भारत भाषाओं की जन्म भूमि है. इतिहास की जननी है और परंपराओं और किस्से कहानियों का स्त्रोत है. भारत के बारे में ऐसी बातें इसलिए कही गईं..क्योंकि एक लाख साल के इतिहास में भारत ने कभी किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं किया. बल्कि पूरी दुनिया में जिन लोगों को धर्म और जाति के आधार पर सताया गया उन सबको भारत ने खुले हृदय से शरण दी. माना जाता है कि जब पूरी दुनिया में यहूदियों को सताया जा रहा था.

तब भारत ने हज़ारों यहूदियों को शरण दी और इतने खुले दिल से यहूदियों को अपनाने वाला भारत अकेला देश था. जब आज से 1200 वर्ष पहले ईरान में मुसलमान आक्रमण-कारियों ने पारसियों पर अत्याचार शुरू किया तो वो भाग कर भारत आ गए और भारत ने उन्हें भी निराश नहीं किया.

पारसी और यहूदी ही नहीं दुनिया में जब भी किसी को धर्म या नस्ल के आधार पर प्रताड़ित किया गया तो भारत ने उन सब सताए हुए लोगों को जगह दी. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जब आज से करीब 600 साल पहले कुछ भारतीय यूरोप पहुंचे तो वहां उनका स्वागत नहीं हुआ इतना ही नहीं उन भारतीयों के वंशजों को आज भी यूरोप के कई देशों में अत्याचार का सामना करना पड़ता है. यूरोप के लोग उन्हें आज भी अपना हिस्सा नहीं मानते.

600 वर्ष पहले मूल रूप से भारत से गए इन लोगों को आज रोमा-जिप्सी कहा जाता है. जिप्सी का हिंदी में अर्थ होता है बंजारे और आप ये जानकर चौक जाएंगे कि इन जिप्सियों के पास आज भी अपना कोई देश नहीं है और यूरोप के ज्य़ादातर देश इन्हें अपनाने से इनकार कर देते हैं. रोमा लोगों के ज्यादातर पूर्वज राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से यूरोप पहुंचे थे.

पूरे यूरोप में करीब एक करोड़ 20 लाख रोमा जिप्सी रहते हैं. ये यूरोप का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है. लेकिन इन लोगों के साथ वहां जबरदस्त भेदभाव होता है. इन्हें आसानी से नौकरियां नहीं मिलती घर नहीं मिलते और लाखों रोमा जिप्सी आज भी बेघर हैं. ये अपनी मर्ज़ी से बंजारे नहीं बने बल्कि सैंकड़ों वर्षों के दौरान इन्हें इसके लिए मजबूर किया गया.

आज हमने आपको रोमा लोगों के बारे में इसलिए बताया है ताकि आप समझ सकें कि जब कोई समुदाय बाहर से किसी देश में पहुंचता है तो बड़े बड़े देश उस समुदाय के साथ कैसा बर्ताव करते हैं. जबकि भारत ने 800 वर्षों के Muslim शासन और 200 वर्षों की अंग्रेजी हुकूमत को भी हंस कर सह लिया और इसे भारत की धर्म निरपेक्षता का नाम दे दिया गया इस सहनशीलता और धर्म निरपेक्षता की सारी जिम्मेदारी बहुसंख्यक हिंदुओं के कंधों पर डाल दी गई. यानी जो सताए गए थे वो बहुसंख्यक होने की वजह से इतिहास में जगह नहीं बना पाए और अल्पसंख्यक आक्रमणकारियों के दरबारियों ने इतिहास और साहित्य का अपहरण कर लिया .

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