नई दिल्ली : अब हम एक ऐसी खबर का विश्लेषण करेंगे जो आपके मन में लड्डू वाली लालसा जगा देगी। लेकिन जहां से ये खबर आई है वहां लड्डू नुकसान का सौदा साबित हो रहे हैं। हम दुनिया भर में मशहूर तिरुपति बालाजी मंदिर की बात कर रहे हैं। अगर आप तिरुपति गए हैं या फिर आपका कोई परिचित वहां गया है तो आपने उनके सौजन्य से तिरुपति मंदिर के लड्डू ज़रूर खाए होंगे। लेकिन तिरुपति मंदिर प्रशासन के लिए ये मीठे लड्डू कड़वा सौदा साबित हो रहे हैं। तिरुपति बालाजी में लड्डुओं पर दी जाने वाली सब्सिडी की वजह से मंदिर प्रशासन को पिछले 3 वर्षों में 140 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


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दरअसल इस मंदिर के पास एक बड़े रसोईघर में इन लड्डुओं को तैयार किया जाता है। श्रद्धालुओं के बीच इन लड्डुओं की काफी मांग होती है। देश के अलग अलग हिस्सों से आने वाले लोग मंदिर से इस लड्डू को ज़रुर खरीदते हैं। तिरुमाला बालाजी मंदिर प्रशासन इन लड्डुओं को पिछले 11 वर्षों से 25 रुपये प्रति लड्डू के हिसाब से बेच रहा है जबकि इसकी असली लागत 32 रुपये 50 पैसे प्रति लड्डू आती है। जो लोग मुफ्त दर्शनों वाली लाइन में कई घंटे तक खड़े रहते हैं उन्हें प्रति लड्डू सिर्फ 10 रुपये चुकाने पड़ते हैं। 


इसके अलावा मंदिर प्रशासन उन श्रद्धालुओं को मुफ्त में लड्डू बांटता है जो दर्शन करने के लिए 11 किलोमीटर पैदल चलकर आते हैं। यहां आपको ये भी बता दें कि तिरुपति वेन्कटेशवर मन्दिर 140 करोड़ के नुकसान को बड़ा आर्थिक नुकसान नहीं मान रहा है क्योंकि मंदिर की कमाई इस नुकसान से कहीं ज्यादा है लेकिन आपको उन लड्डुओं के बारे में भी पता होना चाहिए, जो आज चर्चा का विषय बने हुए है। प्रसादम यानी प्रसाद के रूप में मिलने वाले तिरुपति के लड्डुओं की कई विशेषताएं हैं। सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इन लड्डुओं को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिला हुआ है। आप इसे एक तरह का स्थानीय पेटेंट या कॉपीराइट भी कह सकते हैं। इसका मतलब ये है कि इन लड्डुओं को तिरुपति मंदिर के अलावा देश या दुनिया के किसी और हिस्से में नहीं बनाया जा सकता। हमने तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले इन लड्डुओं पर एक मीठा सा विश्लेषण तैयार किया है। ये एक ऐसा विश्लेषण है जिसे देखने के बाद आपके दोनों हाथों में लड्डू होंगे। यानी आपको खबर के साथ-साथ रोचक जानकारियां भी मिल जाएगी।


टायलेट सीट से भी 20 गुना ज्यादा गंदा हो सकता है आपका स्मार्टफोन


DNA में अब हम एक ऐसी ख़बर का विश्लेषण करने वाले हैं, जो सीधे सीधे देश के 100 करोड़ लोगों से जुड़ी हुई है। ये ख़बर देश के हर उस व्यक्ति से जुड़ी हुई है, जो मोबाइल फोन को अपनी ज़िंदगी समझता है। 20वीं सदी में आम आदमी के जीवन में अगर कोई करिश्माई आविष्कार हुए हैं, तो मोबाइल फोन उनमें से एक है। लेकिन अब 21वीं सदी में आपका यही मोबाइल फोन, आपको बीमार भी बना रहा है। हम आपको मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों के बारे में नहीं बता रहे हैं, बल्कि हम आपके मोबाइल फोन की गंदगी का विश्लेषण करने वाले हैं। 


क्या आपको पता है कि आपके हाथ में जो स्मार्ट फोन है, वो एक टायलेट सीट से भी 20 गुना ज्यादा गंदा है। आम तौर पर लोग किसी टायलेट के फ्लश बटन या लीवर को छूने से कतराते हैं, क्योंकि वो बहुत ज्यादा गंदा होता है और उस पर बहुत सारे बैक्टीरिया होते हैं। लेकिन आप ये सुनकर परेशान हो जाएंगे कि टॉयलेट के फ्लश या सीट से ज्यादा कीटाणु आपके मोबाइल फोन की स्क्रीन में होते हैं। 


हाल ही में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने लोकसभा में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR के एक चौंकाने वाले रिसर्च का ज़िक्र किया। सरकार ने संसद में बताया कि ICMR ने 2015 में 386 लोगों पर एक रिसर्च किया था। जिसमें पता चला था कि करीब 82 प्रतिशत लोगों के मोबाइल फोन में खतरनाक बैक्टीरिया पाए गए थे। 


एक स्टडी के मुताबिक आपके मोबाइल फोन की स्क्रीन के एक स्कवेयर इंच में 25 हज़ार से ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं। जबकि टायलेट सीट में इतनी ही जगह पर करीब 1200 बैक्टीरिया होते हैं। जबकि आपके किचन काउंटर या शेल्फ के ऊपर एक स्कवेयर इंच में 1736 बैक्टीरिया होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके पालतू जानवर के खाने वाले बर्तन में एक स्कवेयर इंच में 2 हज़ार 110 बैक्टीरिया होते हैं और आपके घर के दरवाज़े के हैंडल के एक Square इंच में 8 हज़ार 643 बैक्टीरिया होते हैं।


यानी आपका मोबाइल फोन सबसे गंदी और संक्रमित वस्तुओं में से एक है। टच स्क्रीन मोबाइल फोन के ज़माने में ज्यादातर लोगों का अधिकांश समय मोबाइल फोन को छूने में ही गुज़रता है। इससे इंफेक्शन होने की आशंकाएं और ज्यादा बढ़ जाती हैं। जब हम मोबाइल फोन को लगातार इस्तेमाल करते हैं, तो वो थोड़ा गर्म हो जाता है। और इसी वजह से उसमें कीटाणुओं का प्रजनन भी तेज़ी से होता है। 


एक अनुमान के मुताबिक हम एक दिन में 140 बार अपना मोबाइल फोन छूते हैं। और अपने मोबाइल फोन को कभी साफ नहीं करते हैं। आपने आखिरी बार अपना फोन कब साफ किया था? शायद आपको याद नहीं होगा। क्योंकि मोबाइल साफ करना हमारी आदत में नहीं है। इसीलिए इनमें सबसे ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं। 


अपने मोबाइल फोन को अधिक से अधिक बार साफ करें। बाज़ार में कई तरह के एंटी-बैक्टीरियल वाइप्स मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल सावधानी से करके आप अपने फोन को साफ रख सकते हैं। एंटी-बैक्टीरियल वाइप्स की जगह अल्कोहल और डिस्टील्ड वाटर के मिश्रण का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। हालांकि इस दौरान आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं आपके मोबाइल फोन के पार्ट्स लिक्विड डैमेज की वजह से ख़राब ना हो जाएं। फोन में कुछ जगहें ऐसी होती हैं, जहां सफाई करना मुश्किल होता है। जैसे मोबाइल फोन का चार्जिंग पोर्ट या फिर हेडफोन जैक ऐसी जगहों की सफाई के लिए आप टूथपिक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।


फोन के कवर को ज़रूर साफ करें क्योंकि फोन के कवर में फोन से भी ज़्यादा बैक्टीरिया होते हैं। याद रखिए एक स्वच्छ मोबाइल फोन ही आपके अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकता है।