ज़ी जानकारी: MP अजब है...सबसे गज़ब है जानें क्यों हम कह रहे हैं ऐसा
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ज़ी जानकारी: MP अजब है...सबसे गज़ब है जानें क्यों हम कह रहे हैं ऐसा

ज़ी जानकारी: MP अजब है...सबसे गज़ब है जानें क्यों हम कह रहे हैं ऐसा

DNA में आज हमारा Special Appointment मध्यप्रदेश के दर्शकों के साथ है आपको याद होगा Madhya Pradesh Tourism Department ने कुछ वर्ष पहले एक विज्ञापन जारी किया था जिसकी Tag line थी...MP अजब है...सबसे गज़ब है....आज हमारे पास मध्यप्रदेश से एक ऐसी ही हैरान कर देने वाली ख़बर आई है, जो विश्लेषण की मांग करती है.आपने शायद किसी ऐसे School के बारे में नहीं सुना होगा जहां बच्चे सारा प्रशासनिक काम करते हैं और वहां एक दूसरे को पढ़ाते भी हैं. ऐसा स्कूल मध्यप्रदेश के डिंडोरी ज़िले में मौजूद है और वहां से आई ख़बर आज हमारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही है.

65 बच्चों को शिक्षा देने वाला ये School फिलहाल 'अनाथ' है. हमने 'अनाथ' शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया, क्योंकि इस School में पिछले 2 महीनों से एक भी शिक्षक नहीं है. पुराने Teacher के तबादले के बाद अभी तक किसी नए Teacher को नियुक्त ही नहीं किया गया है. कुछ दिनों तक Guest Teachers से काम चलाने की कोशिश की गई, लेकिन फिर उन्होंने भी आना बंद कर दिया.

धर्मसंकट की इस स्थिति में सिस्टम गहरी नींद में सो रहा था. इसलिए बच्चों ने खुद ही शिक्षक बनने का फैसला कर लिया. और आज की ताज़ा स्थिति ये है, कि बच्चों को मजबूरी में खुद ही हर रोज़ School का ताला खोलना पड़ता है. बच्चे खुद शिक्षक बनकर दूसरे बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इसके अलावा Mid-Day Meal बनाने से लेकर...पानी भरने और जूठे बर्तन साफ करने तक...सारे काम School के बच्चे ही करते हैं.

नवंबर 2016 तक मध्य प्रदेश के 1 लाख 23 हज़ार से ज़्यादा School ऐसे थे, जिनमें 41 हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों की कमी थी. जबकि, भारत में इस वक्त साढ़े 3 लाख से ज़्यादा शिक्षकों की कमी है..और इस कमी का खामियाज़ा सिर्फ छात्रों को नहीं बल्कि शिक्षकों को भी भुगतना पड़ता है..क्योंकि इससे मौजूदा शिक्षकों पर बोझ पड़ता है और शिक्षा की गुणवत्ता खराब होती है.

भारत में बच्चों और शिक्षकों का अनुपात दुनिया के दूसरे देशों के मुक़ाबले बहुत ख़राब है. भारत के सरकारी Primary Schools में 29 बच्चों पर सिर्फ एक शिक्षक है.
जबकि Upper Primary Schools में 26 बच्चों पर एक शिक्षक है. भारत में कई शिक्षक ऐसे भी हैं..जो स्कूलों में पढ़ाने के लिए पहुंचते ही नहीं हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, देश के सरकारी स्कूलों में 25 प्रतिशत शिक्षक अक्सर अनुपस्थित रहते हैं.

शिक्षकों की Class Bunk करने की आदत से देश को हर साल 9 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान होता है. एक बड़ी समस्या ये भी है कि भारत में शिक्षकों को अक्सर दूसरे कामों में लगा दिया जाता है...भारत में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अक्सर जनगणना...चुनावों की Duty..मिड डे मील..और पोलियो मिशन जैसे कामों में लगा दिया जाता है..इससे छात्रों का नुकसान होता है.. और शिक्षकों पर Syllabus पूरा करवाने का दबाव बढ़ जाता है.

अंग्रेज़ी की एक मशहूर कहावत है कि...Teaching Is One Profession That Creates All Other Professions....यानि शिक्षा देना ही इकलौता ऐसा काम है..जो बाकी सभी तरह के पेशों को जन्म देता है... यानि शिक्षकों के बिना किसी भी सभ्य और समृद्ध समाज की कल्पना नहीं की जा सकती...ये सब बहुत अच्छी और सपनीली बातें हैं लेकिन ज़मीनी हकीकत बहुत कड़वी है.

आज ज़ी न्यूज़ ने इस ख़बर को प्रमुखता से दिखाया है. और हमें आपको ये जानकारी देते हुए खुशी हो रही है, कि देर से ही सही...लेकिन सिस्टम की नींद टूटी है बिना शिक्षक वाले इस School में शिक्षक को नियुक्त किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है. और उम्मीद की जा रही है, कि कल से ही एक Permanent शिक्षक और दो Guest Teachers इन बच्चों का भविष्य संवारने की ज़िम्मेदारी उठा लेंगे. और हमारा मकसद भी यही था.

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