ZEE Jankari: चिदंबरम और मण‍िशंकर अय्यर के बयानों ने बढ़ाई पाकिस्‍तान की खुशी
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ZEE Jankari: चिदंबरम और मण‍िशंकर अय्यर के बयानों ने बढ़ाई पाकिस्‍तान की खुशी

पी चिदंबरम के इस बयान को सुनकर आज पाकिस्तान की खुशी बहुत बढ़ गई हैं. पाकिस्तान की सरकार का मनोबल बढ़ गया है, क्योंकि पाकिस्तान का मकसद पूरा करने वाले नेता भारत में ही मौजूद हैं.

ZEE Jankari: चिदंबरम और मण‍िशंकर अय्यर के बयानों ने बढ़ाई पाकिस्‍तान की खुशी

जम्मू कश्मीर से ईद के दिन आईं अमन और शांति वाली तस्वीरों को देखकर आज पाकिस्तान... बहुत दुखी और तनाव में है. इन तस्वीरों में कश्मीर के विकास और बदलाव के संकेत...साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. सही मायनों में भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 में बदलाव करके...कश्मीर के लोगों को उनके जीवन की सबसे बड़ी ईदी दी है, लेकिन ये बात पाकिस्तान के अलावा भारत के उन नेताओं को बहुत पीड़ा दे रही है, जिनका राजनीतिक अस्तित्व तुष्टिकरण की राजनीति पर टिका हुआ है. ये वो नेता हैं जो भारत में रहकर पाकिस्तान का मकसद पूरा... करने की कोशिश कर रहे हैं. इस बात को समझने के लिए आज आपको कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम का वो बयान सुनना चाहिए, जिसमें वो जम्मू कश्मीर को धर्म के चश्मे से देखते हुए वहां की समस्या को हिंद- मुस्लिम वाला रंग दे रहे हैं.

पी चिदंबरम के इस बयान को सुनकर आज पाकिस्तान की खुशी बहुत बढ़ गई हैं. पाकिस्तान की सरकार का मनोबल बढ़ गया है, क्योंकि पाकिस्तान का मकसद पूरा करने वाले नेता भारत में ही मौजूद हैं. आपने कश्मीर के मुद्दे पर पी चिदंबरम का बयान सुन लिया अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री.. शाह महमूद कुरैशी का नया बयान सुनिये. इस बयान को सुनकर आपको ये अंदाज़ा हो जायेगा कि भारत विरोधी बातें करने वाले लोगों के चेहरे...भले ही अलग- अलग हैं लेकिन बयानों की Script एक जैसी है.

भारत में पाकिस्तान के हमदर्द नेताओँ की List बहुत लंबी है. इसी List में एक और नाम मणिशंकर अय्यर का है. मणिशंकर अय्यर ने आज एक अखबार में लिखा है. लेख में उन्होंने कश्मीर मामले की तुलना Israel और फिलिस्तीन की समस्या से की है. मणिशंकर अय्यर ने लिखा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने देश के उत्तरी Border यानी कश्मीर को फिलीस्तीन बना दिया है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने ये शिक्षा अपने गुरु बेंजामिन नेतन्याहू और यहूदियों से ली है.

ऐसा लगता है कि मणिशंकर अय्यर ने ये लेख लिखने के लिए कागज़ और कलम ख़ास तौर पर पाकिस्तान से मंगवाए हैं. मणिशंकर अय्यर और दूसरे बुद्धिजीवी खुद को काफी विद्वान समझते हैं. वो बहुत चालाकी से कश्मीर मामले की तुलना Israel और फिलिस्तीन विवाद से कर रहे हैं. लेकिन ये पूरी तरह गलत है. आज हम भारत के बुद्धिजीवियों को इन दोनों मामलों का फर्क समझाएंगे.

Israel और फिलिस्तीन दो अलग-अलग देश हैं. ये दो देशों और दो संस्कृतियों का युद्ध है. लेकिन जम्मू और कश्मीर राज्य, भारत का अभिन्न अंग है. कश्मीर की संस्कृति के बिना भारत की संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती है.

Israel... फिलिस्तीन में मौजूद आतंकवादियों के समर्थकों पर कोई दया नहीं दिखाता है. वहां पत्थर का जबाव बंदूक और बम से दिया जाता है. लेकिन कश्मीर में भारत की सेना पत्थरबाज़ी सहकर भी शांत रहती है. Israel में आतंक के खिलाफ़ कार्रवाई करने के लिए सेना को पूरी छूट है, लेकिन कश्मीर में भारतीय सेना संयम से काम करती है. भारतीय सेना मानव अधिकारों के दायरे में रहकर Action लेती है.

अगर आप Israel-फिलिस्तीन समस्या के इतिहास को समझेंगे तो आपको ये फर्क और आसानी से समझ में आएगा. 19वीं शताब्दी में दुनिया में Israel नाम का कोई देश था ही नहीं. 19वीं शताब्दी में थियोडौर हैरत्ज़ल नाम के एक यहूदी विचारक ने यहूदी राष्ट्रवाद का विचार रखा. इसके बाद पूरी दुनिया के यहूदियों ने ये संकल्प लिया कि Jerusalem और उसके आस-पास का इलाका उनकी मातृभूमि है और उन्हें दोबारा Jerusalem पर कब्ज़ा करना है.

बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में पहले विश्व युद्ध के दौरान Jerusalem पर ब्रिटेन का कब्जा हो गया और 700 वर्षों के बाद Jerusalem.. गैर-मुसलमानों के हाथों में चला गया और यहीं से Israel के स्थापना की कहानी शुरू होती है. 19वीं शताब्दी में दुनिया में Israel नाम का कोई देश था ही नहीं.

आज के Israel को 19वीं शताब्दी में फिलिस्तीन कहा जाता था और उसमें अरब के मुसलमानों की आबादी थी. लेकिन बहुत व्यवस्थित तरीके से यहूदियों ने Jerusalem की तरफ पलायन किया. धीरे-धीरे पूरे इलाके में यहूदियों की आबादी बहुत बढ़ गई और अरब के मुसलमान अल्पसंख्यक होते गए.

दूसरे विश्व युद्ध में लाखों यहूदियों के नरसंहार के बाद पूरी दुनिया में यहूदियों के प्रति सहानुभूति थी. यहूदियों ने इसका लाभ उठाया. वर्ष 1947 में United Nations ने Israel को एक देश के तौर पर मान्यता दे दी. (लेकिन Jerusalem को एक अंतर्राष्ट्रीय शहर के तौर पर मान्यता दी गई. ताकि सर्वधर्म समभाव बना रहे. तब Jerusalem पर Israel का नियंत्रण नहीं था.)

इन तथ्यों से ये बात स्पष्ट होती है कि Israel और फिलिस्तीन की समस्या दो देशों दो संस्कृतियों और दो अलग-अलग धर्मों के बीच का संघर्ष है. इसकी तुलना कश्मीर विवाद से नहीं की जा सकती है. ये बात किसी को नहीं भूलनी चाहिए कि जम्मू और कश्मीर भारत का मुकुट है. यहां उन बड़े-बड़े विद्वानों की जन्मभूमि हैं जिन्होंने भारतीय संस्कृति के ज्ञान को समृद्ध किया है. जम्मू और कश्मीर के विवाद को Israel-फिलिस्तीन समस्या से जोड़ने वालों को इतिहास दोबारा पढ़ना चाहिए.

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