Zee जानकारी : भारत की सड़कों पर लोग अपनी मौत को बुलावा देते हुए चलते हैं
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Zee जानकारी : भारत की सड़कों पर लोग अपनी मौत को बुलावा देते हुए चलते हैं

ये सच है कि मौत बताकर नहीं आती लेकिन ये भी सच है कि भारत की सड़कों पर लोग अपनी मौत को बुलावा देते हुए चलते हैं। इसलिए बेमौत मारे जाने वाले भारतीयों में सबसे ज्यादा लोग सड़क हादसों में ही मरते हैं। ये वो कड़वा सच है जिससे मुंह नहीं चुराया जा सकता, आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं।

Zee जानकारी : भारत की सड़कों पर लोग अपनी मौत को बुलावा देते हुए चलते हैं

नई दिल्ली : ये सच है कि मौत बताकर नहीं आती लेकिन ये भी सच है कि भारत की सड़कों पर लोग अपनी मौत को बुलावा देते हुए चलते हैं। इसलिए बेमौत मारे जाने वाले भारतीयों में सबसे ज्यादा लोग सड़क हादसों में ही मरते हैं। ये वो कड़वा सच है जिससे मुंह नहीं चुराया जा सकता, आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं।

नेशनल क्राइण रिकॉर्ड्स ब्यूरो की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में भारत में कुल 4 लाख 64 हज़ार 674 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। जिनमें 1 लाख 48 हज़ार 707 लोगों की मौत हो गई। एनसीआरबी के मुताबिक वर्ष 2015 में हर घंटे करीब 53 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। और हर घंटे 17 लोगों की जान इन सड़क दुर्घटनाओं में गईं। भारत में सड़क दुर्घटनाओं को मौतों की 10वीं सबसे बड़ी वजह माना जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक अगर दुनिया के सभी देशों ने सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए तो वर्ष 2030 तक ट्रैफिक पूरी दुनिया में लोगों की मौत की 7वीं सबसे बड़ी वजह बन जाएगा। 

इस विश्लेषण की शुरुआत करने से पहले मैं आपको हैदराबाद और दिल्ली से आई दो तस्वीरें दिखाना चाहता हूं। पहली तस्वीर हैदराबाद से हमारे पास आई है। ये तस्वीर बहुत खौफनाक है। आप देख सकते हैं कि कैसे सड़क पार कर रहे एक व्यक्ति को एक ऑटो रिक्शा टक्कर मार देता है। ये टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि 45 वर्ष के इस व्यक्कि की मौके पर ही मौत हो गई। ये ऑटो इतनी स्पीड में था कि टक्कर से पहले उसका आगे का हिस्सा हवा में उठ गया। दरअसल इस हादसे से कुछ सेकेंड्स पहले ही ऑटो रिक्शा का आगे का टायर टूट कर अलग हो गया था जिसके बाद इसका नियंत्रण बिगड़ गया और ऑटो रिक्शा सड़क को पार करने वाले व्यक्ति से जाकर टकरा गया। ये ऑटो सभी तरह के नियम तोड़ रहा था क्योंकि इसमें तय सीमा से ज्यादा लोग बैठे थे। ऑटो की स्पीड भी काफी ज्यादा थी। और हादसे के वक्त ऑटो रिक्शा ड्राइवर के पास उसका ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं था। 

आपने ऐसे ऑटो रिक्शा अपने आसपास ज़रूर देखे होंगे लेकिन कोई उनसे सवाल नहीं पूछता कोई उन पर कार्रवाई नहीं करता।

दूसरी तस्वीर दिल्ली की है जहां कल रात करीब 11.30 बजे तेज़ रफ्तार से आ रही एक लक्जरी कार ने एक कैब को टक्कर मार दी। इस हादसे में कैब ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई। लक्जरी कार को 24 वर्ष का एक युवक चला रहा था जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन ये दोनों तस्वीरें ये बताती हैं कि सड़क दुर्घटनाएं एक महामारी बन चुकी है जिसकी वजह से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लाखों लोग मारे जा रहे हैं। 

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल 12 लाख 50 हज़ार लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों में से 60 प्रतिशत की उम्र 15 से 44 वर्ष के बीच होती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में 90 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होती है। ये रिपोर्ट वर्ष 2013 के आंकड़ों पर आधारित है। अगर आप मोटरसाइकिल या स्कूटर चलाते हैं और हेलमेट नहीं लगाते हैं तो अगला आंकड़ा आपको डरा देगा, इस रिपोर्ट के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों में 23 प्रतिशत बाइक या स्कूटर चलाने वाले लोग होते हैं। दूसरे नंबर पर पैदल चलने वाले हैं। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में 22 प्रतिशत लोग सड़क पर पैदल चलते हुए ही मारे जाते हैं। तीसरे नंबर पर साइकिल चलाने वाले हैं। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में साइकिल चलाने वालों की हिस्सेदारी 4 प्रतिशत है। 

इस रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत की सबसे बड़ी वजह ओवर स्पीडिंग को बताया गया है। दूसरे नंबर पर शराब पीकर गाड़ी चलाना, तीसरे नंबर पर बिना हेलमेट के वाहन चलाना जबकि चौथे नंबर पर बिना सीट बेल्ट लगाए कार चलाने को मौत की सबसे बड़ी वजह माना गया है। भारत में कुल मिलाकर 25 करोड़ वाहन हैं और हर साल लगभग डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। इसके बाद भी हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं को हल्के में लिया जाता है। लेकिन हमें इन खबरों को छोटा समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। क्योंकि सड़क दुर्घटनाएं कभी भी और किसी के भी साथ हो सकती है। और इन दुर्घटनाओं में एक ही झटके में पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है और हमने ये भी देखा है कि अकसर ऐसे हादसों की सबसे बड़ी वजह होती है ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना आंकड़े साबित करते हैं कि भारत में सड़कों पर हर वर्ष लाखों लोग बेमौत मारे जा रहे हैं और आंकड़े कभी झूठ नहीं बोलते. इसलिए अब देश को सड़क दुर्घटनाओं की मार से आज़ाद होना होगा। 

और ये तभी संभव है जब समाज और सिस्टम अपनी ज़िम्मेदारी को पूरी गंभीरता से निभाए। लापरवाही की वजह से होने वाले सड़क दुर्घटना एक तरह का पाप हैं और हमें लगता है कि हमारा सिस्टम भी इस पाप में भागीदार है। हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो ट्रैफिक नियमों से अनजान हैं और ऐसे लोग रिश्वत के सहारे ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर लेते हैं और बाद में सड़क दुर्घटनाओं की वजह बनते हैं ऐसे हालात में सिस्टम को अपने ढीले रवैये को बदलना होगा और लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करना होगा हालांकि यहां पूरी ज़िम्मेदारी सिस्टम की नहीं है लोगों को और हमारे समाज को भी ट्रैफिक नियमों का सम्मान करने की आदत डालनी होगी।

हमारे देश में यातायात के कानूनों की परवाह कोई नहीं करता यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए देश में कानूनों की कमी नहीं है। शराब पीकर गाड़ी चलाना हो, रैश ड्राइविंग हो, रेड लाइट जंप करना हो या खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना ट्रैफिक से जुड़े हर अपराध के खिलाफ हमारे देश में कानून है और उससे जुड़ी उचित सज़ा और जुर्माना भी तय है लेकिन हमारे देश में लोग इन कानूनों का सम्मान नहीं करते। हमारे देश की कोई भी ऐसी सड़क नहीं होगी जहां हर रोज़ हर पल यातायात का कोई न कोई कानून टूटता ना हो। यहां तक कि लोग हेलमेट भी नहीं पहनते जबकि हेलमेट पहनना उनकी अपनी सुरक्षा के लिए ज़रूरी है। ज़्यादातर लोग हेलमेट इसलिए पहनते हैं ताकि चालान से बच सकें। लोग दूसरों के साथ साथ अपनी जान को भी खतरे में डाल देते हैं। वो इस बात की भी चिंता नहीं करते कि कोई हादसा हो जाने पर उनके परिवार पर क्या बीतेगी? और ज़ाहिर है जब लोग लापरवाह हो जाते हैं तो सिस्टम भी यही मान लेता है कि जो चल रहा है उसे चलने दो। हादसे हो रहे हैं तो होने दो। हमें इस इस तस्वीर को हर हाल में बदलना होगा।

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