प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया भर के पत्रकारों के सामने साफ कह दिया, वो कश्मीर के मुद्दे पर दुनिया के किसी तीसरे देश को कष्ट नहीं देना चाहते. प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसे भारत और पाकिस्तान आपस में मिलकर सुलझा लेंगे.
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किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उस देश की राष्ट्रीय भावनाओं का प्रतीक होता है. राष्ट्रीय ध्वज देश के हर धर्म, जाति, नस्ल, क्षेत्र और भाषा का प्रतिनिधत्व करता है. भारत के राष्ट्रीय ध्वज में ये सारी विशेषताएं शामिल हैं. ये अखंडता का भी प्रतीक है, अदम्य साहस का भी और दुनिया में भारत के सम्मान का भी. इसलिए आज हम ऐसी तीन खबरों का विश्लेषण करेंगे, जिन्हें आप भारत के स्वाभिमान के तीन रंग भी कह सकते हैं. कश्मीर में भारत का तिरंगा अब शान से लहराने लगा है, तो उधर स्विटज़रलैंड में भी भारत का ही तिरंगा छाया रहा. इतना ही नहीं...फ्रांस के biarritz में भी भारत के तिरंगे की ही चर्चा हो रही है. नकारात्मक खबरों के दौर में आपको आज स्वाभिमान के तीन सकारात्मक रंगो वाला ये विश्लेषण ज़रूर देखना चाहिए.
श्रीनगर के सचिवालय से राज्य का झंडा उतारकर भारत का तिरंगा लहरा दिया गया है. यानी अब भारत में एक देश , एक विधान और एक निशान वाला सपना सच हो गया है. दूसरी तरफ भारत की बैडमिटन खिलाड़ी..पीवी सिंधु ने. Switzerland में बैडमिंटन की World Championship जीतकर भारत के तिरंगे का मान बढ़ाया. इसके अलावा फ्रांस के Biarritz शहर में आयोजित G-7 देशों के सम्मेलन में.. भारत की दमदार उपस्थिति भी तिरंगे की बढ़ती शान का ही उदाहरण है. आप इसे तिरंगे से जुड़ी अगस्त क्रांति भी कह सकते हैं.
आप कह सकते हैं कि कश्मीर में तिरंगा लहराकर भारत अपनी अखंडता की रक्षा करने के मामले में एक World Champion बन गया है. रविवार को बैडमिंटन के Court पर भी भारत को एक नया World Chanmpion मिला. इस चैंपियन का नाम है पीवी सिंधु. सिंधु वर्ल्ड चैम्पियनशिप में Gold Medal जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं. इतना ही नहीं कूटनीति की दुनिया में भी भारतीय नेतृत्व में विश्वविजेता होने के सारे लक्षण दिखाई दे रहे हैं. UAE में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला सर्वोच्च नागरिक सम्मान और G-7 में भारत की शानदार Entry ने देश के लोगों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है.
कश्मीर और खेल के मैदान में ही नहीं.. भारत का तिरंगा फ्रांस के Biarritz में भी शान से लहरा रहा है. Biarritz में G-7 देशों का सम्मेलन हो रहा है. G-7 देशों का हिस्सा ना होते हुए भी, दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के बीच भारत की मौजूदगी गर्व की बात है. इसलिए आज हम भारत की गौरवपूर्ण कूटनीति का विश्लेषण कर रहे हैं. पिछले 6 वर्षों से विपक्ष के नेता और कुछ डिज़ाइनर पत्रकार प्रधानमंत्री के विदेश दौरों पर सवाल उठा रहे हैं. आज उन्हें फ्रांस में G-7 की बैठक पर हमारा ये DNA टेस्ट ज़रूर देखना चाहिये. उन्हें ये समझने में मदद मिलेगी कि जब देश का प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर होता है...तो वो किसी एक पार्टी का नहीं...देश का एजेंडा आगे बढ़ा रहा होता है. वो देश की कूटनीतिक शक्ति मज़बूत कर रहा होता है...वो नये अंतरराष्ट्रीय संबंध बनाकर देश के हितों की रक्षा कर रहा होता है. ऐसा ही आज प्रधानमंत्री मोदी ने किया.
G-7 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच अलग से भी एक मुलाकात हुई. कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुई इस मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था. अमेरिका.. कश्मीर पर मध्यस्थता करने के लिए बड़ा बेचैन है..लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की इस बेचैनी का इलाज पूरी दुनिया के सामने कर दिया.
इस बैठक से आज 5 महत्वपूर्ण बातें निकलकर सामने आईं. पहली बात ये कि- प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया भर के पत्रकारों के सामने साफ कह दिया, वो कश्मीर के मुद्दे पर दुनिया के किसी तीसरे देश को कष्ट नहीं देना चाहते. प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसे भारत और पाकिस्तान आपस में मिलकर सुलझा लेंगे. दूसरी बात ये कि पाकिस्तान को भी ये संदेश दिया गया...कि वो कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की बात भूल जाए.
तीसरी बात ये ...कि प्रधानमंत्री मोदी के बयान से दुनिया को भी ये संदेश गया है कि कश्मीर पर भारत किसी भी देश की दखलअंदाज़ी बर्दाश्त नहीं करेगा. ध्यान देने की चौथी बात ये है कि भारत ने साफ कह दिया- पाकिस्तान चाहे तो गरीबी, अशिक्षा और बीमारियों के खिलाफ भारत के साथ मिलकर लड़ सकता है. लेकिन पाकिस्तान को कश्मीर से छेड़छाड़ की इजाजत नहीं दी जाएगी.
पांचवीं और अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है...कि इस दौरान डोनल्ड ट्रंप ने भी साफ किया कि अब ये मुद्दा भारत और पाकिस्तान को ही आपस में मिलकर सुलझाना है. इसका मतलब ये भी है कि पिछले महीने इमरान ख़ान और ट्रंप के बीच पिछले महीने जो मुलाकात हुई थी वो अब neutralize यानी बेअसर हो गई है.
कश्मीर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को जो नसीहत दी है उसे आप दोस्ताना सलाह भी कह सकते हैं. अच्छे दोस्त ऐसी सलाहों का बुरा नहीं मानते हैं और एक दूसरे से हंसी मज़ाक जारी रखते हैं. आपको डोनल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हुए हंसी मज़ाक वाले एक संवाद को भी आज ज़रूर देखना चाहिए. मीडिया से बात करते हुए जब डोनल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की अंग्रेज़ी के तारीफ की..तो वहां हंसी के ठहाके गूंजने लगे.
अब आप देखिए कि दुनिया के शक्तिशाली देश...कैसे मजबूत इरादों वाले देशों को सम्मान देते हैं...पिछले महीने व्हाइट हाउस में इमरान ख़ान और डोनल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई थी. उस दौरान इमरान ख़ान की Body Language..किसी हारे हुए नेता की तरह थी. ऐसा लग रहा था कि डोनल्ड ट्रंप ने इमरान ख़ान को फटकार लगाई है जबकि आज प्रधानमंत्री मोदी और डोनल्ड ट्रंप के बीच मुलाकात ने बता दिया है कि दो बड़े देशों के नेताओं के बीच दोस्ती कैसी होती है. जब इमरान ख़ान डोनल्ड ट्रंप से मिले थे...तब ट्रंप ने कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कही थी..लेकिन आज ट्रंप की बातों से ये साफ हो गया कि कश्मीर पर दिया गया बयान उनकी भूल थी...और आज उन्होंने अपनी इस भूल को सुधार लिया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के जिस मंच से अपनी बात रखी वो दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों का समूह है. G-7 का अर्थ है Group Of Seven यानी सात का समूह. G-7 में दुनिया के सबसे विकसित और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश शामिल हैं. इन देशों में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान, इटली, कनाडा और ब्रिटेन हैं. इसके अलावा European Union के अधिकारी भी हर साल इसकी बैठक में हिस्सा लेते हैं. आप इसे शक्तिशाली देशों का Elite Club भी कह सकते हैं. शुरुआत में G7 के देश सिर्फ अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर बात किया करते थे. लेकिन अब G-7 समिट में जलवायु परिवर्तन, असमानता और गरीबी जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होती है. आज हम आपको ये भी बताएंगे कि G-7 कैसे पहले G-8 हुआ करता था और क्यों Russia को इस समूह से बाहर कर दिया गया. लेकिन पहले दुनिया की कूटनीति में G-7 का महत्व समझिए. दुनिया की अर्थव्यवस्था में इन सात देशों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है. हालांकि ये लगातार घट रही है. वर्ष 1990 तक दुनिया की अर्थव्यवस्था में इन देशों की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से भी ज्यादा थी. G-7 में शामिल देशों की प्रति व्यक्ति आय भी दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है. अमेरिका, जर्मनी और कनाडा में प्रति व्यक्ति आय करीब 21 लाख रुपये है. जबकि भारत में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 26 हजार 403 रुपये है. G-7 में शामिल तीन देश Nuclear Power भी हैं. इन देशों के नाम हैं अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन.
वर्ष 2014 तक रूस भी इस शक्तिशाली समूह का हिस्सा हुआ करता था. तब इस समूह का नाम G-8 था क्योंकि तब इसमें 8 देश शामिल थे. रूस को इस Exclusive Club में वर्ष 1998 में शामिल किया गया था. लेकिन वर्ष 2014 में जब रूस ने Crimea पर कब्ज़ा किया तब उसे इस समूह से बाहर कर दिया गया. हालांकि अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप रूस को एक बार फिर से इस समूह का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
अब आपके मन में ये प्रश्न ज़रूर उठ रहा होगा, कि G7 देशों के सम्मेलन में भारत क्या कर रहा है? भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को.. इस सम्मेलन में हिस्सा लेने का न्योता फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanual Macron ने दिया था. Macron और मोदी अच्छे दोस्त हैं । भारत और फ्रांस.. आतंकवाद, रक्षा, जलवायु परिवर्तन और Technology Transfer जैसे मुद्दों पर मिलकर काम कर रहे हैं. इसलिए फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanual Macron ने भारत को G-7 सम्मेलन का Special Invitee बनने का न्योता दिया था. भारत के अलावा साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, चिली, इजिप्ट, सेनेगल, रवांडा, बुर्किना फासो और स्पेन भी विशेष मेहमान के तौर पर इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. लेकिन इस Summit में भारत की मौजूदगी कई मायनों में महत्वपूर्ण है.
भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जिसने जलवायु परिवर्तन से लड़ने को लेकर मज़बूत इच्छाशक्ति दिखाई है. भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और G-7 में शामिल ज्यादातर देशों के लिए भारत बहुत बड़ा बाज़ार है. इसके अलावा भारत एक परमाणु संपन्न देश है. और फ्रांस भारत के परणामु कार्यक्रमों का समर्थन करता रहा है.
भारत G-7 का हिस्सा नहीं है..लेकिन भारत की अर्थव्यस्था G-7 के कई देशों को टक्कर दे रही है. भारत की अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2018 में फ्रांस को भी पीछे छोड़ दिया था. फिलहाल भारत G-20 का हिस्सा है. ये दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली देशों का समूह है और दुनिया की अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है. यानी दुनिया का कोई भी शक्तिशाली मंच भारत के बिना अधूरा है. और वो दिन दूर नहीं जब भारत भी G 7 वाले इस Elite Club के साथ साथ United Nations Security Council का भी हिस्सा बन जाएगा.