ZEE जानकारीः BR अंबेडकर के नाम में 'रामजी ' भी शामिल है
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ZEE जानकारीः BR अंबेडकर के नाम में 'रामजी ' भी शामिल है

हमारे देश में बुद्धिजीवियों का एक ऐसा वर्ग है जिसको भगवान राम के नाम से बहुत तकलीफ होती है . कुछ ऐसे नेता भी हैं जिनके माता-पिता ने उनका नाम, राम के नाम पर रखा है लेकिन उन्हें राम के नाम से बहुत परेशानी होती है. ज़रा सोचिए कि श्री राम के देश में राम का नाम लेना मुश्किल हो गया है. हमारे देश में जैसे ही कोई राम का नाम लेता है, तो उस पर तुरंत राजनीति शुरू हो जाती है. और पूरी बात को सांप्रदायिक रंग दे दिया जाता है.

ZEE जानकारीः BR अंबेडकर के नाम में 'रामजी ' भी शामिल है

देश के संविधान की रचना करने वाले डॉक्टर BR अंबेडकर का पूरा नाम क्या था? भीम राव अंबेडकर या भीमराव राम जी आंबेडकर. आज ये सवाल देश की राजनीति में चर्चा और विवाद का विषय बना हुआ है. BR अंबेडकर के नाम को लेकर ये विवाद उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के बाद हुआ है . उत्तर प्रदेश सरकार ने ये आदेश दिए हैं कि उत्तर प्रदेश के सभी अभिलेखों में Doctor भीम राव अंबेडकर के नाम में संशोधन करके 'Doctor भीमराव रामजी आंबेडकर' कर दिया जाए .इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि 'भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में ''Doctor BR अंबेडकर का नाम 'डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर'' ही लिखा हुआ है . 

भारत की राजनीति का यही चरित्र है, कि किसी भी फैसले के बाद बिना कोई सोच-विचार या रिसर्च किए ही, राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगती हैं. और इस वजह से पूरे देश में भ्रम फैलता है. DNA में हम हमेशा पूरे Research के साथ किसी ख़बर का विश्लेषण करते हैं. ताकि आपको सभी संदर्भों के साथ पूरी सच्चाई पता चले. और आज इस ख़बर में भी हम ऐसा ही करेंगे. हमारे देश में बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जिन्हें ये पहली बार पता चला होगा कि B R अंबेडकर के नाम में 'रामजी ' भी शामिल है . क्योंकि बीते 70 वर्षों में उनका प्रचलित नाम भीम राव अंबेडकर ही रहा है. 

अब सवाल ये है कि भीमराव अंबेडकर के असली नाम से राम जी शब्द किसने हटाया और क्यों हटाया? 
इस सवाल के जवाब का पता लगाने के लिए आज हमने काफी अध्ययन किया है . हमने उन विद्वानों से भी बातचीत की है जिन्होंने BR अंबेडकर के जीवन पर काम किया है . आज DNA में हम संविधान निर्माता BR अंबेडकर के नाम का संपूर्ण विश्लेषण करेंगे . और साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि सिर्फ़ नाम बदल देने से देश में दलित समाज की स्थिति में कोई सुधार नहीं आने वाला. इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को कठिन परिश्रम करना होगा.

भारत की एक बहुत बड़ी विशेषता ये भी है कि भारत में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अवतार लिया . भगवान राम के चरित्र से पूरी दुनिया सीख लेती है . भगवान राम जैसा पुत्र, उनके जैसा भाई, उनके जैसा पति, और उनके जैसा राजा शायद ही किसी और देश में अवतरित हुआ हो . भगवान राम परम पुरुष भी हैं और राष्ट्र पुरुष भी हैं . इसीलिए हमारे देश में एक दूसरे को राम-राम कहने की परंपरा है. और जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो कहा जाता है राम नाम सत्य है. राम का नाम धर्मों से ऊपर है

लेकिन हमारे देश में बुद्धिजीवियों का एक ऐसा वर्ग है जिसको भगवान राम के नाम से बहुत तकलीफ होती है . कुछ ऐसे नेता भी हैं जिनके माता-पिता ने उनका नाम, राम के नाम पर रखा है लेकिन उन्हें राम के नाम से बहुत परेशानी होती है. ज़रा सोचिए कि श्री राम के देश में राम का नाम लेना मुश्किल हो गया है. हमारे देश में जैसे ही कोई राम का नाम लेता है, तो उस पर तुरंत राजनीति शुरू हो जाती है. और पूरी बात को सांप्रदायिक रंग दे दिया जाता है.

जिन लोगों को भगवान राम के नाम से परेशानी होती है उन्हीं लोगों ने एक योजनाबद्ध तरीके से बी आर अंबेडकर के नाम को भीम राव अंबेडकर कहकर प्रचारित किया . उन्होंने जानबूझकर संविधान निर्माता के नाम से रामजी शब्द को हटा दिया. ताकि वो उनकी छवि को अपने एजेंडे के हिसाब से इस्तेमाल कर सकें. और उनका राजनीतिक दोहन किया जा सके. लेकिन आज जब ये सच सामने आया तो ऐसे तमाम बुद्धिजीवियों को सबसे ज़्यादा तकलीफ हो रही है. 

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