ज़ी जानकारी: निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा घोषित
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ज़ी जानकारी: निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा घोषित

ज़ी जानकारी: निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा घोषित

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच में शामिल सभी 9 जजों ने एक राय से ये फैसला दिया कि निजता एक मौलिक अधिकार है. इससे पहले 1954 में 8 जजों की Bench और 1962 में 6 जजों की बेंच ने कहा था कि 'राइट टू प्राइवेसी' मौलिक अधिकार नहीं है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज ये फैसले पलट दिए अब आगे दूसरी बेंच ये तय करेगी कि आधार कार्ड को विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए या नहीं.

सुप्रीम कोर्ट में कुल 21 याचिकाएं थीं. कोर्ट ने 7 दिनों की सुनवाई के बाद 2 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.सुप्रीम कोर्ट में आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दाखिल हुई थीं और इन याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आधार कार्ड बनाने के दौरान जो Finger Prints लिए जाते हैं और आंखों का जो Iris Scan किया जाता है, वो किसी भी व्यक्ति का संवेदनशील Data है और इस Data से उनकी Privacy का उल्लंघन हो सकता है.

अब बड़ा सवाल ये है कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से आधार पर क्या असर पड़ेगा?अभी केन्द्र के 19 मंत्रालयों की करीब 92 योजनाओं में आधार कार्ड का इस्तेमाल हो रहा है. LPG सब्सिडी, Food सब्सिडी और मनरेगा के तहत मिलने वाले फायदे आधार के ज़रिये मिल रहे हैं यही नहीं देश में करीब 67 करोड़ बैंक अकाउंट आधार से Linked हैं. और मोबाइल फोन भी आधार से लिंक किए जा रहे हैं इसीलिए जानकार ये मान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर आधार पर पड़ सकता है.

कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि याचिकाकर्ताओं की तरफ से कही गई ये बात बिल्कुल सही है कि आज तकनीक ने किसी के भी घर में बिना दरवाज़ा खटखटाए दाखिल होने को संभव बना दिया है.. और ये एक व्यक्तिगत पसंद है. अब आपको बहुत संक्षेप में ये भी समझा देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले का असर.. कौन से दूसरे मामलों पर पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर Whatsapp से जुड़े मामले पर भी हो सकता है. जब Whatsapp और Facebook का Merger हुआ था, तब दोनों ने अपने ग्राहकों का Data आपस में share कर लिया था. 

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई. और अदालत ने पिछले महीने निजता के अधिकार पर फैसला आने की बात कहकर ये सुनवाई रोक दी थी.कोर्ट के आज के फैसले का असर आने वाले वक्त में समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग पर भी पड़ सकता है. इससे जुड़ा एक मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. आज के फैसले में भी 9 में से दो जजों ने समलैंगिकता को सही ठहराने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की वकालत की है.

दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में Privacy के अधिकार को बहुत गंभीरता से लिया जाता है. हालांकि ये अधिकार अमेरिका के संविधान में लिखा हुआ नहीं है, लेकिन वहां के सुप्रीम कोर्ट ने कई संशोधनों के बाद ये तय किया कि अमेरिका में Right to Privacy का अस्तित्व है. 

अमेरिका में भी भारत के आधार कार्ड की तरह social security number होता है. लेकिन privacy के कानूनों की वजह से वहां की सरकार social security number को पहचान पत्र के लिए अनिवार्य नहीं कर सकती. 

हालांकि जब किसी भी व्यक्ति को अमेरिकी सरकार की किसी योजना का फायदा लेना होता है, तो फिर उसके लिए social security number देना ज़रूरी होता है. जापान में निजता का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि जापान में नागरिकों की निजी जानकारियों की सुरक्षा के लिए एक कानून है, जिसका नाम है - Act on the Protection of Personal Information इस कानून के मुताबिक जब भी किसी व्यक्ति की निजी जानकारी का इस्तेमाल किया जाएगा, तो उस व्यक्ति को इसके बारे में बताना ज़रूरी होगा . और जब तक नागरिक इसकी अनुमति नहीं देगा तब तक उसकी जानकारियों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

Sweden दुनिया का पहला ऐसा देश था, जिसने अपने नागरिकों को Personal Identification Number दिया था. ऐसा कहा जाता है कि Sweden में बच्चे बच्चे को अपना ID नंबर ज़ुबानी याद रहता है. क्योंकि इसी ID नंबर की वजह से स्वीडन के नागरिकों को सरकार की तरफ से हर तरह की सुविधा मिलती है. 

Sweden में हर नागरिक का ID नंबर सार्वजनिक होता है. हालांकि वहां भी किसी व्यक्ति की निजी जानकारियों का इस्तेमाल करने से पहले उसकी इजाज़त लेना ज़रूरी होता है.

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