हर 10 में 7 हेलमेट बिना ISI मार्क वाले हैं. यानी आपकी सुरक्षा के साथ समझौता करने वाले लोगों को, सिस्टम का भरपूर समर्थन मिल रहा है.
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DNA में हम ऐसे विषयों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं जो आपकी ज़िंदगी से जुड़े हुए हैं. आपको याद होगा कि 19 फरवरी को आपकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हेलमेट से जुड़ा हुआ एक विश्लेषण किया था. इसमें हमने ये मुद्दा उठाया था कि भारत में ज़्यादातर लोग हेलमेट को एक बोझ समझते हैं और चालान से बचने के लिए बिना आईएसआई मार्क वाले सस्ते हेलमेट पहनते हैं. इस विश्लेषण के बाद हमें लगा कि बात कुछ अधूरी है और इस पर और काम करने की ज़रूरत है. सवाल ये है कि अगर बिना ISI मार्क वाले हेलमेट आपके लिए असुरक्षित हैं, तो वो इस देश में खुले आम कैसे बिक रहे हैं और इन्हें कौन बना रहा हैं? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए हमने एक बार फिर ग्राउंड रिपोर्टिंग की है. और इसके नतीजे आपको हैरान कर देंगे.
ये अजीब सा विरोधाभास है कि हमारा सिस्टम घटिया हेलमेट ना पहनने की नसीहत देता है और कई बार ऐसे हेलमेट पहनने वालों के ख़िलाफ चालान भी काटता है लेकिन ऐसे घटिया हेलमेट बनाने वालों और उन्हें बेचने वालों के ख़िलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता. आपको ये जानकर झटका लगेगा कि हमारे देश में घटिया हेलमेट को बनाने और बेचने पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है.
भारत में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने ISI मार्क वाली लिस्ट में 115 ऐसे सामान रखे हैं जिन्हें ISI सर्टिफिकेट के बिना नहीं बेचा जा सकता. इस लिस्ट में उन वस्तुओं को रखा जाता है जो आपकी सेहत और सुरक्षा से जुड़ी हुई हैं लेकिन हैरानी बात ये हैं कि इस लिस्ट में हेलमेट को शामिल नहीं किया गया है.
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हेलमेट का व्यापार करीब 800 से एक हज़ार करोड रुपये का है. इनमें से घटिया क्वालिटी के हेलमेट का व्यापार करीब 70 से 80 प्रतिशत है. यानी हर 10 में 7 हेलमेट बिना ISI मार्क वाले हैं. यानी आपकी सुरक्षा के साथ समझौता करने वाले लोगों को, सिस्टम का भरपूर समर्थन मिल रहा है.
ये हमारे सिस्टम ऐसा दोहरा चरित्र है जो सड़क पर आपकी सुरक्षा को ख़तरे में डाल रहा है. आज हमने सिस्टम के इसी दोहरे चरित्र को बेनकाब़ करने के लिए एक Ground Report तैयार की है, जो अब आपको देखनी चाहिए.