Zee जानकारी: डीयू की घटना के बाद वायरल हो रही तस्वीरों का सच क्या है?
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Zee जानकारी: डीयू की घटना के बाद वायरल हो रही तस्वीरों का सच क्या है?

Zee जानकारी: डीयू की घटना के बाद वायरल हो रही तस्वीरों का सच क्या है?

इन दिनों Social Media पर गुरमेहर कौर Trend कर रही हैं। इस छात्रा को मोहरा बनाकर देश की एकता और अखंडता की बातें करने वालों को गालियां दी जा रही हैं। देशभक्ति की बात करने वालों को चुन चुनकर निशाना बनाया जा रहा है और शाब्दिक गुंडागर्दी की जा रही है। इसे Social Media की भाषा में Trolling कहा जाता है और सोशल मीडिया पर जो लोग ये गुंडागर्दी करते हैं उन्हें Trolls कहा जाता है। ऐसे Trolls या Social Media के गुंडों से हर रोज़ मेरा सामना भी होता है। 

लेकिन सवाल ये है कि ये Trolls होते कौन हैं? क्योंकि अक्सर जब भी किसी व्यक्ति या Celebrity की सोशल मीडिया में Trolling होती है, तो वो फर्ज़ी IDs के ज़रिए होती है। अभी तक ये सुनने में आता था, कि Trolling का ये काम पैसे देकर भी किया जा सकता है। लेकिन आज हम ये दावे के साथ कह सकते हैं, किसी को भी सोशल मीडिया पर Troll करने के लिए किराये पर Troll Army को लगाया जा सकता हैं। ये ऐसे गुंडे होते हैं जो पैसे लेकर किसी के विरोधियों की छवि को खराब करने का ठेका लेते हैं। 

आज हम आपको ये बताएंगे कि सोशल मीडिया की दुनिया में कितनी मिलावट है? किस तरह Facebook के Likes और YouTube के Clicks खरीदे जाते हैं ? और कैसे देश में किसी भी विषय या विचारधारा को पैसा लेकर Trend करवाया जाता है। ये देश का सबसे बड़ा वैचारिक घोटाला है जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए।

हमने Social Media में ऐसी Fixing करने वाली कंपनियों का Sting Operation किया है। जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं। हमने देश की तीन Social Media Marketing Companies के प्रतिनिधियों से खुफिया कैमरे पर बातचीत की।  इस Sting Operation से हमें पता चला कि कोई भी व्यक्ति इन कंपनियों की मदद से अपने विरोधियों के खिलाफ सोशल मीडिया में दुष्प्रचार कर सकता है। 

विरोधियों के खिलाफ सोशल मीडिया में अपशब्द कहलवाए जा सकते हैं। उन्हें बदनाम किया जा सकता है और उनके खिलाफ अफवाह भी फैलाई जा सकती है। ऐसा करने के लिए इन कंपनियों के पास बाकायदा लोगों की फौज होती है, जिनके पास Fake Social Media Accounts होते हैं। जब किसी व्यक्ति के खिलाफ ऐसा कोई campaign चलाना होता है, तो फिर Twitter, Facebook और Whatsapp जैसे सोशल मीडिया के Platforms का सहारा लिया जाता है। 

इन कंपनियों में काम करने वाले लोग Technical Expert होते हैं। और अक्सर Trolling के लिए फर्ज़ी IDs का इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि वो ऐसा इंतज़ाम भी कर देते हैं कि पुलिस किसी भी तरीके से ये पता ना लगा सके कि जिस ID से अपशब्द कहे गए हैं, वो किसकी है और कहां से इस्तेमाल हो रही है। ऐसे लोग फर्ज़ी तस्वीरें और वीडियो बनाते हैं और तस्वीरों को Morph करते हैं। 

हमारी Investigation में देश की कुछ बड़ी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं के नाम भी सामने आए हैं। यानी राजनीतिक पार्टियां भी सोशल मीडिया के ज़रिए अपने विरोधियों के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने का काम करती हैं। वैसे तो ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों की अपनी Social Media Army है, लेकिन इसके बावजूद कई पार्टियां विरोधियों के खिलाफ ऐसी कंपनियों का इस्तेमाल करती हैं। 

राजनीतिक पार्टियां चुनावों के दौरान वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए भी सोशल मीडिया वाली इस सेना का इस्तेमाल करती हैं। क्योंकि इन लोगों के पास देश के हर इलाके, जाति, समुदाय और Gender से जुड़ा हुआ Data उपलब्ध है। अगर किसी भी जाति या समुदाय के खिलाफ Social Media पर कोई ऐसी अफवाह Viral करवानी हो, जिसका फायदा किसी राजनीतिक पार्टी को मिल सकता है, तो ये काम भी बड़ी ही आसानी से हो जाता है। मुंबई या दिल्ली में बैठे बैठे उत्तर प्रदेश में वोटों का ध्रुवीकरण भी करवाया जा सकता है। 

हमारे Sting Operation में अंग्रेज़ी की एक बड़ी महिला टीवी पत्रकार का नाम है। इसके अलावा एक बड़े Socialite का नाम भी है जो कि अक्सर अंग्रेज़ी न्यूज़ चैनलों पर लगभग हर विषय के एक्सपर्ट के तौर पर दिखाई देते हैं। इन दोनों के बारे में ये पता चला है कि ये लोग Social Media पर Promotion या Retweets के लिए बाकयदा पैसे लेते हैं। यानी Social Media पर एक ऐसा घोटाला हो रहा है, जिसमें ना चाहते हुए भी कहीं ना कहीं आप भी हिस्सा ले रहे हैं और आपको पता भी नहीं चल रहा है कि आप इस Fixing का शिकार हो चुके हैं। 

इस स्टिंग ऑपरेशन में एक बड़े कॉरपोरेट घराने और एक बड़े बिल्डर का नाम आया हैं। एक बड़े वकील का नाम आय़ा है जो कि एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता हैं और उसी राजनीतिक पार्टी के एक और बड़े नेता का नाम लिया गया है। हमने जिन लोगों का स्टिंग ऑपरेशन किया उन्होंने ये बताया कि इन बड़े-बड़े लोगों ने पैसे देकर किराए पर ये Troll Army ली ताकि ये लोग सोशल मीडिया पर अपना एजेंडा चला सकें। हमें लगता है कि इस मामले की और गहराई से जांच करने की ज़रूरत है। इसलिए हमने ये तमाम नाम सार्वजनिक नहीं किए लेकिन जब इन नामों की पुष्टि हो जाएगी। तो हम ये सारे नाम आपको ज़रूर बताएंगे।

सोशल मीडिया एक ऐसा Platform है, जिसमें हम सब हिस्सा ले रहे हैं। जाने-अनजाने में हम भी कहीं ना कहीं किसी Trolling का हिस्सा बन रहे हैं। सोशल मीडिया में किसी भी मुद्दे पर पक्ष रखने की आज़ादी सभी को है और हम भी इस आज़ादी का समर्थन करते हैं। लेकिन इस आज़ादी के नाम पर किसी को गालियां नहीं दी जा सकतीं। जिन लोगों से आपके विचार मेल नहीं खाते उनकी आप आलोचना तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अपशब्द नहीं कह सकते हैं। और जब कोई पार्टी या व्यक्ति बाकायदा ठेका देकर अपने विरोधियों को अपशब्द कहती है, तो इससे बड़ा वैचारिक घोटाला दूसरा कोई हो नहीं सकता है। इन सारे मामलों में सबसे बड़ा Loophole ये है कि लोग शिकायत नहीं करते हैं। और सोशल मीडिया पर होने वाली गलत हरकतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। 

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