मठ के महंत की मौत की असल वजह क्या? सीडी पर बड़ा खुलासा
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मठ के महंत की मौत की असल वजह क्या? सीडी पर बड़ा खुलासा

महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में एक नहीं कई बड़े खुलासे हुए हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इन खुलासों के बाद हो सकता है कि CBI की जांच को नई दिशा मिल जाए और असली गुनहगार तक पहुंचना आसान हो जाए.

 

मठ के महंत की मौत की असल वजह क्या? सीडी पर बड़ा खुलासा

नई दिल्ली: महंत नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) की मौत को हफ्ते भर से ज्यादा का समय बीत चुका है, भू-समाधि को भी 150 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं. मामले की जांच पुलिस से सीबीआई तक पहुंच चुकी है लेकिन सवाल अब भी वहीं की वहीं है, आखिर महंत नरेंद्र गिरि की मौत की वजह क्या है? इन सवालों को सुलझाते हुए Zee News के स्टिंग ऑपरेशन में बड़े खुलासे हुए हैं. ये खुलासे किसी और ने नहीं बल्कि महंत नरेंद्र गिरि के बेहद भरोसेमंद, सुख-दुख के साथी, जिनका महंत नरेंद्र गिरि के साथ रोज का उठना-बैठना था, जो महंत के साथ अक्सर चाय पर चर्चा करते थे, उन्होंने किए हैं.

  1. मठ, महंत और सीडी पर बड़ा खुलासा
  2. महंत के तीन करीबियों ने किए बड़े दावे
  3. महंत की मौत का CD कनेक्शन क्या है ?
  4.  

ये तीन लोग हैं महंत के 'राजदार'

संत समाज के सबसे ताकतवर महंत में से एक नरेंद्र गिरि की मौत की वजह क्या है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए ज़ी मीडिया की टीम उन किरदारों तक पहुंची जो महंत नरेंद्र गिरि के भरोसेमंद दोस्त भी थे और राजदार भी. इन किरदारों के पास महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि से जुड़े ज्यादातर सवालों के जवाब हैं. इनमें पहला नाम आता है, सुशील मिश्रा का. दूसरे नंबर पर हैं इंदु प्रकाश मिश्रा. तीसरे हैं डॉक्टर यूबी यादव. ये सुशील मिश्रा और इंदु प्रकाश उन मध्यस्थों में शामिल थे जिन्होंने महंत नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के बीच समझौता कराया था. डॉक्टर यूबी यादव महंत नरेंद्र गिरि के डॉक्टर थे और महंत की मौत से 5 घंटे पहले उनके साथ चाय पी रहे थे.

ऐसे हुआ था गुरु-शिष्य में समझौता

महंत की मौत के बाद एक सीडी की चर्चा है. इस सीडी पर सुशील मिश्रा ने बड़े दावे किए हैं. साथ ही उन्होंने गुरु-शिष्य विवाद पर खुलासा किया है. सुशील मिश्रा के मुताबिक महंत की मौत की वजह सीडी हो सकती है. उनका ये भी कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या ही की है. साथ ही उन्होंने कहा, महंत आनंद गिरि से समझौता करना चाहते थे. समझौते के लिए महंत ने कई बार आनंद गिरि को फोन भी किए. महंत और शिष्य के बीच विवाद की जड़ लीज की जमीन थी, जिसे आनंद गिरि मांग रहे थे. साथ ही इंदु मिश्रा ने दावा किया कि महंत और आनंद गिरि के बीच उन्होंने मध्यस्थता कराई.  उनके मुताबिक महंत और आनंद गिरि ने बंद कमरे में समझौता किया था. इंदु मिश्रा उत्तर प्रदेश के पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री हैं.

आनंद गिरि ने दबा रखी थी महंत की कौन सी नस?

डॉक्टर यू बी यादव ने कहा कि महंत के दोनों घुटने खराब हो गये थे. महंत घुटनों को बदलने की तैयारी में थे. डॉक्टर यादव का कहना है कि मौत से 5 घंटे पहले महंत बिल्कुल भी तनाव में नहीं लग रहे थे. साथ ही उन्होंने उन खबरों का खंडन किया जिनमें कहा जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरि लिखना नहीं जानते थे. उनके मुताबिक महंत लिखना जानते थे. उनका यह भी कहना है कि महंत हमेशा आनंद गिरि के मुद्दे पर चुप हो जाते थे, पता नहीं महंत की कौन सी नस दबी हो.

सुशील मिश्रा के बेहद हैरान करने वाले दावे

कैमरे पर नपी-तुली प्रतिक्रिया देने वाले सुशील मिश्रा को लगा कि उनकी बातचीत ऑफ द रिकॉर्ड हो रही है और इसलिए उन्होंने अपने घर में सोफे पर बैठकर ऐसे-ऐसे दावे किये जो बेहद हैरान करने वाले थे. महंत नरेंद्र गिरि के परम मित्र सुशील मिश्रा के मुताबिक पुलिस के पास महंत नरेंद्र गिरि की सीडी हो सकती है. उनके मुताबिक महंत नरेंद्र गिरि को किसी ने सीडी दिखा दी होगी और सीडी देखने के बाद ही महंत ने आत्महत्या की होगी. इनकी बातों पर भरोसा नहीं करने का कोई कारण भी नहीं है क्योंकि सुशील मिश्रा बाघम्बरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि के भरोसेमंद थे. बातचीत कुछ इस तरह शुरू हुई-

रिपोर्टर- सर पर्सनली एक बात बताइए, इसके पीछे कहानी है क्या? आप जुड़े हुए हैं मठ से हमेशा आते जाते रहे हैं.
सुशील मिश्रा-  कहानी ये है कि मुझे जितनी जानकारी है..अंदर की बहुत बात जो...रात्रि के बाद की कवायद में तो हमलोग कभी नहीं. मतलब कि मंदिर में हम लोग 8 बजे तक रहे, आरती के समय हम और सारे अधिकारी वहां जाते थे. उसमें सारे अधिकारी हैं, उसमें एसएसपी भी हैं डीआईजी भी हैं. कोई ऐसा नहीं जो ना हो. हम लोग जाते हैं, आते हैं. जुड़ाव था महाराज जी से देखिए जितना हमलोग इन लोगों को समझे, कुछ बताए और कुछ बिना बताए भी आनंद गिरि पहले राजस्थान में रहते थे..किसी मंदिर में तो आनंद गिरि वहां किसी होटल में प्लेट साफ करते थे. घर से बहुत गरीब थे. ये (आनंद गिरि) तीन भाई थे, अभी भी दो भाई बहुत गरीब हैं.

रिपोर्टर- सर सुसाइड क्यों करेंगे? सुसाइड है या मर्डर है ये?
सुशील मिश्रा-  देखिए तो मर्डर लग रहा है और एविडेंस देखिए तो सुसाइड लग रहा है.

रिपोर्टर- सुसाइड क्यों करेंगे?
सुशील मिश्रा- अगर जैसा ये लोग कह रहे हैं कि पुलिस लाइन में सीडी मिल गई है. तो किसी ने सीडी दिखा दी हो तो आदमी सुसाइड कर सकता है, ये भी हो सकता है.

रिपोर्टर- दिल से बताइएगा सर, हम लोग यहां तीन लोग हैं बाबा और आनंद गिरि में कुछ रिलेशन भी था क्या?
सुशील मिश्रा- तमाम तरह की बातें हैं जो परंपराओं को देखिए ... तो समझ में नहीं आता है. ऐसे हम लोगों को भी आभास नहीं हुआ. ना हम लोग इतने निचले स्तर पर उनसे बात करते थे. मतलब ये कि लबादा धर्म के ओढ़े हैं तो हमलोग धर्म की ही बात करते थे. कभी अधार्मिक ऐसी बात करते नहीं थे.. बहुत निचले स्तर की तो नहीं जानकारी है. लेकिन तमाम बातें शहर में तो तमाम प्रकार की रहती हैं.

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रिपोर्टर- सुसाइड का कारण क्या रहा होगा? अचानक से इतना बड़ा आदमी था.
सुशील मिश्रा- Only On सीडी

रिपोर्टर- सीडी में ऐसा क्या है सर.
सुशील मिश्रा- सीडी तो...पुलिस ने जो देखी है.. बिना देखे.. महाराज जी को कोई फोटो दिखाकर ब्लैकमेल नहीं कर सकता है. इतनी बड़ी हैसियत थी. उनको एक्चुअल (वास्तविक) चीज दिखा दी गई होगी तभी वह आदमी ऐसा कदम उठाएगा नहीं तो नहीं सुसाइड करते, इतना जान लीजिए.

रिपोर्टर- सुसाइड नहीं कर सकते थे...इतने कमजोर...?
सुशील मिश्रा- कोई फोटो दिखा दे और बता दे आनंद गिरि धमकी दिए हैं कि आप की सीडी चला देंगे, गरिया के भगा देंगे. उसके पास इतनी शक्ति थी कि चाहते तो आनंद गिरि के पास से सीडी उठवा लेते. उसको लग गया होगा कि अब समय जा चुका है.अब महाराज जी चाह रहे थे कि जिंदगी भर शान से जिये. शान से मरना चाहता हूं एकदम आप इस थ्योरी पर जाइए. 101% मेरे हिसाब से यह सुसाइड है.

मामले की जड़ में जमीन विवाद? 
सुशील मिश्रा विवाद की वजह किसी जनमीन एग्रीमेंट को भी बताते हैं. हो सकता है वो जमीन प्रयागराज के बाघम्बरी मठ गद्दी की 10 एकड़ जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा हो. दावा है कि 2 साल पहले मठ की 80 फीट चौड़ी और 120 फीट लंबी जमीन को महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि को 29 साल की लीज पर दी थी. इस जमीन पर आनंद गिरि पेट्रोल पंप खोलना चाहते थे लेकिन दो साल बाद महंत उस जमीन को आनंद गिरि से वापस लेना चाहते थे. सुशील मिश्रा के मुताबिक इसी बात को लेकर गुरु और शिष्य में विवाद बढ़ गया.

रिपोर्टर- सर, विवाद हुआ क्यों दोनों में?
सुशील मिश्रा- ऑफ द रिकॉर्ड यह है कि उन्होंने कोई जमीन इधर-उधर एग्रीमेंट किया था. उसे वह लौटा कर बेचना चाहते थे.

रिपोर्टर - मतलब कि बड़े महाराज ने.
सुशील मिश्रा- आनंद गिरि को कोई जमीन एग्रीमेंट किया था.

रिपोर्टर- दे दिया था?
सुशील मिश्रा- हां, फिर उसको शायद लौटना चाह रहे थे.

रिपोर्टर- लेना चाह रहे थे ?
सुशील मिश्रा- लेना चाह रहे थे. हम लोगों को ये बातें नहीं बताई गईं कि क्या विवाद था. 

आनंद गिरि को बेदखल करने के बाद बढ़ा विवाद
असल में महंत ने आनंद गिरि को 29 अगस्त 2011 को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था लेकिन 2 जून 2020 को उन्हें उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया और मठ से भी निष्कासित कर दिया था. इसके बाद तो आनंद गिरि ने महंत पर परिवार को लाभ पहुंचाने और वित्तीय अनियमितता से जुड़े कई गंभीर आरोप लगाए. सुशील मिश्रा के मुताबिक इन आरोपों से महंत बहुत परेशान थे और उन्होंने विवाद खत्म करने के लिए आनंद गिरि से समझौते की पहल की थी.

नरेन्द्र गिरि का तनाव बढ़ता गया
इस साल 26 मई को जब मंहत नरेंद्र गिरी और आनंद गिरि के बीच समझौता हुआ था, तब वहां इंदु प्रकाश मिश्रा भी मौजूद थे और इस स्टिंग ऑपरेशन के दौरान उन्होंने बताया कि महंत नरेन्द्र गिरि और आनंद गिरि के बीच समझौता बन्द कमरे में हुआ था. वो ये भी बताते हैं कि इस समझौते से पहले महंत नरेन्द्र गिरि काफी तनाव में थे और उन्होंने खुद ये कहा था कि वो किसी भी तरह आनंद गिरि के साथ विवाद को खत्म करना चाहते हैं. आनंद गिरि ने उन पर परिवार के साथ संबंध रखने और बाघम्बरी मठ की जमीन में हेराफेरी के आरोप लगाए थे. यानी इससे दो बातें निकल कर सामने आती हैं. पहली ये कि उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा था, जिसके पीछे एक सीडी हो सकती है. दूसरी ये कि वो आनंद गिरि की ओर से लगाए गए आरोपों से तनाव में थे और उन्हें अपनी छवि खराब होने का डर था. इंदु प्रकाश मिश्रा और रिपोर्टर की बातचीत इस प्रकार है- 

रिपोर्टर- सर एक बात बताइए ऑफ द रिकॉर्ड समझना चाह रहा था कि यह विवाद था किस बात को लेकर?
इंदु प्रकाश मिश्रा- विवाद इनका वही था अपना...सोशल मीडिया पर महाराज जी के लिए क्यों लिख रहे थे?

रिपोर्टर- क्यों अचानक उनके खिलाफ हो गए? क्योंकि थे तो उनके प्रिय भक्त ही?
इंदु प्रकाश मिश्रा- क्यों खिलाफ हैं..हो गए, इसकी जानकारी नहीं है.

रिपोर्टर- सर आप 3 लोग जो थे समझौता में. बड़े महंत जी बोलते हैं ना, वह खुद आए थे बोलने?
इंदु प्रकाश मिश्रा- हां-हां आये थे, बड़े महाराज आए और छोटे महाराज हरिद्वार से आए. आए तो हम बैठे, कमरा बंद किए (महंत और आनंद गिरि ने). फिर जब इन लोगों का (समझौता) तय हो गया, तब उन्होंने बुलाया. हमारे साथ एक सुशील मिश्रा जी थे, उन्होंने वीडियो बनाया.

VIDEO

 

महंत के डॉक्टर का बड़ा खुलासा
सबसे बड़ा खुलासा महंत नरेन्द्र गिरि के डॉक्टर यूबी यादव ने किया, जो इस स्टिंग के तीसरे किरदार हैं. उन्होंने दावा किया कि वो इस घटना से पांच घंटे पहले महंत नरेन्द्र गिरि के ही साथ थे. दोनों ने इस दौरान चाय भी पी और हल्की फुल्की बात भी हुई. वो कहते हैं कि जब आनंद गिरि के बारे में कोई बात होती थी तो महंत नरेंद्र गिरि चुप हो जाते थे और कुछ भी बोलने से परहेज करते थे. यानी उन्हें किसी बात का तो डर था. वो ये भी बताते हैं कि महंत नरेंद्र गिरि पढ़ लिख तो सकते थे लेकिन उन्होंने भी खुद उन्हें कभी कुछ लिखते हुए नहीं देखा, जिससे उनके कमरे में मिले 12 पन्नों के Suicide Note को लेकर शक पैदा होता है.

रिपोर्टर-  सर एक बात बताइए, मैं आपसे एक चीज समझना चाहता हूं जिस आदमी का दोनों घुटना खराब हो जाए, मेरी माता जी के दोनों घुटने खराब हैं क्या वह कुर्सी या टेबल लगाकर ऊपर चढ़ जाएगा?
डॉक्टर यू बी यादव- इतना खराब नहीं था.

रिपोर्टर- क्या?
डॉक्टर यू बी यादव- इतना खराब नहीं था.

रिपोर्टर- मतलब कि चढ़ सकते थे वह?
डॉक्टर यू बी यादव- सीढ़ी पर तो चढ़ते ही थे.

रिपोर्टर- अच्छा इतना लिख सकते थे वो अखाबार वाले लिख रहे हैं कि लिख नहीं सकते थे बाबा.
डॉक्टर यूबी यादव- यह गलत है एकदम लिख सकते थे. नहीं नहीं ऐसा नहीं है.

रिपोर्टर- लिख सकते थे?
डॉक्टर यूबी यादव- नहीं नहीं ऐसा नहीं है. दस तक पढ़े थे वो. 11 तक पढ़े थे. पूरा पढ़ लेते थे.

रिपोर्टर- आपने देखा है पढ़ते हुए?
डॉक्टर यूबी यादव- लिखते तो कभी नहीं देखा लेकिन पढ़ाई तो सब कर लेते थे. पत्र पर साइन करते थे. करते थे ना वो. उन्हीं का साइन तो सब जगह जाता था.

रिपोर्टर- पैसा मुद्दा नहीं है?
डॉक्टर यूबी यादव- नहीं .. आज अगर गिना जाए तो वहां पचासों करोड़ रुपये निकलेंगे. सोना चांदी सब है. पैसा कोई मुद्दा नहीं है.

रिपोर्टर- अच्छा आप उसी दिन मिले हैं चार पांच घंटा पहले?
डॉक्टर यूबी यादव- अरे भैया सवेरे 9 बजे उनके साथ बैठकर चाय पी रहा था. और चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी.

क्या सच में ऐसी कोई सीडी है?
महंत को करीब से जानने वाले सुशील मिश्रा ने आखिर किस आधार पर कहा कि महंत की मौत की वजह सीडी है. क्या सच में ऐसी कोई सीडी है? आखिर वो कैसी सीडी है? उस सीडी में ऐसा क्या है कि महंत को उसका सामना करने की जगह मौत को गले लगाना आसान लगा. साथ ही उनके 12 पन्नों के Suicide Note की असलियत क्या है? इन सवालों का जवाब आना बाकी है.

 

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