मंदी की चपेट में सूरत का हीरा कारोबार, 15000 से ज्यादा कारीगर हुए बेरोजगार
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मंदी की चपेट में सूरत का हीरा कारोबार, 15000 से ज्यादा कारीगर हुए बेरोजगार

राज्य सरकार ने पिछले एक साल में कितने हीरे के व्यापारी बेरोजगार हुए हैं उसको लेकर एक रिपोर्ट मांगी है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार इन व्यापारियों के लिए सब्सिडी का ऐलान करे.

मंदी की चपेट में सूरत का हीरा कारोबार, 15000 से ज्यादा कारीगर हुए बेरोजगार

चेतन पटेल, नई दिल्ली/सूरत: डायमंड नगरी सूरत को किसी की नज़र लग गई हो ऐसा लग रहा है. पिछले एक साल से हीरे के कई छोटे - बड़े उद्योग मंदी के कारण बंद हो रहे हैं. कई हीरे के उद्योग बंद होने के बाद 15000 हीरे के कारीगर बेरोजगारी का सामना कर रहे है. फिलहाल कई हीरे के कारीगरों की हालत ऐसी है कि वे घर का गुजारा कैसे चलाए उन्हें समझ नहीं आ रहा. वहीं कई हीरे के कारीगर सूरत छोड़ अपने गांव लौट गए है.

सूरत के हीरे देश समेत पूरे विश्व में प्रख्यात है. यहां दुनिया के 10 में से 9 हीरे तैयार किये जाते हैं. देश विदेश के लोग यहां व्यापार करने आते हैं जिससे लाखों हीरे के कारीगर अपने घर का गुजारा चलाते हैं. हालांकि, हीरे के व्यापार को भी नज़र लग गई हो ऐसा लग रहा है. क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार के कारण यह उद्योग ठप हो गया है. पिछले एक साल की बात करें तो अनगिनत छोटे बड़े हीरे के उद्योग मंदी के कारण बंद हो गए हैं जिसके बाद से हजारों हीरे के कारीगर बेरोजगार हो गए हैं और घर का गुजारा चलाने के लिए विकल्प की खोज कर रहे हैं. 

आधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो हीरा कारीगरों के संघ कार्यालय के मुताबिक पिछले एक साल में 1500 हीरे के कारीगर बेरोजगार हुए हैं. साथ ही हीरा कारीगर संधि के अध्यक्ष का दावा है कि कंपनी बंद होने से अब मात्र 10% हीरे कारीगर उनके पास अपना नाम दर्ज करवाने आते हैं. पिछले एक साल की बात करें तो 15 हजार हीरे के कारीगर बेरोजगार होने का दावा किया जा रहा है. इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए संघ के अध्यक्ष द्वारा मुख्यमंत्री राज्य से सचिव समेत केंद्र सरकार को भी इस मामले से वाकिफ किया गया है. 

कंपनियों के पास काम नहीं
हीरा उद्योग को देखते हुए पहले ऐसा कहा जाता था की अनपढ़ आदमी भी हीरे घिस कर 20 से 30 हजार रुपए कमा सकता है. हालांकि हीरा उद्योग की ऐसी हालत हो गई है की लोग यहां से अब अलविदा कर रहे हैं और अन्य जगहों पर मज़दूरी कर अपने घर का गुजारा चलाने पर मजबूर हैं और हीरे की कम्पनियां बंद होने के कगार पर हैं. कंपनी के मालिक द्वारा हीरा कारीगरों को फिलहाल काम पर आने को मना किया गया है और कहा है कि उनके पास अभी माल नहीं है. जब उनके पास माल होगा तब वे उन्हें काम पर बुलाएंगे. 

एक साल में 1000 फैक्ट्रियां हुईं बंद
हालांकि, इस बात को लेकर तीन महीने हो चुके है पर अभी तक हीरे के कारीगरों को काम पर नहीं बुलाया गया है. वही इस परिस्थिति की वजह से हीरे के कारीगरों की हालत बदतर हो गई है. वे अपने परिवार का गुजारा कैसे चलाएं, घर का भाड़ा कैसे भरें, लोन की EMI कैसे चुकाएं इसकी चिंता उन्हें सता रही है. एक-एक कंपनी में करीबन 200 हीरे के कारीगर काम करते हैं लेकिन ये कंपनिया बंद हो जाने से हीरे के कारीगर रास्ते पर आ गए है. कुल मिला कर पिछले एक साल में एक हजार से ज्यादा हीरे की फैक्ट्रियां बंद हुई हैं. 

2008 की तरह मंदी की आशंका
वर्ष 2008 में जिस तरह हीरे के उद्योग में मंदी आई थी वैसी ही मंदी इस बार भी देखने को मिल रही है. पिछले लम्बे समय से अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार के चलते सूरत के हीरा व्यापारी परेशान हैं. सूरत के 42% पॉलिस हुए हीरे चीन और हॉन्गकॉन्ग एक्सपोर्ट किए जाते हैं. जिसे चीन फिर अमेरिका को बेचता है लेकिन अमेरिका द्वारा चीन के प्रोडक्ट पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लगाई गई है जिससे प्रोडक्ट कॉस्ट में काफी बढ़ोतरी हुई है. जिसकी सीधा असर सूरत उद्योग पर पड़ रहा है. 

हॉन्गकांग प्रदर्शन का भी दिख रहा असर
पिछले एक साल से प्रोडक्शन डाउन होने के बावजूद कई कंपनी घंटों के हिसाब से काम कर रही हैं. हांगकांग में प्रदर्शन की वजह से वहां होने वाला एग्जीबिशन भी नहीं हो रहा है. इसका भी असर सूरत में देखने को मिल रहा है. हीरा उद्योग में जिस तरह की मंदी छाई हुई है वह अन्य राज्यों के लिए चिंता का विषय है. राज्य सरकार ने पिछले एक साल में कितने हीरे के व्यापारी बेरोजगार हुए हैं उसको लेकर एक रिपोर्ट मांगी है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार इन व्यापारियों के लिए सब्सिडी का ऐलान करे.

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