कर्नाटक : कांग्रेस की हार के बाद कहीं फिर न गर्मा जाए EVM का मुद्दा, जानें कहानी
Advertisement

कर्नाटक : कांग्रेस की हार के बाद कहीं फिर न गर्मा जाए EVM का मुद्दा, जानें कहानी

1982 में देश में पहली बार हुआ था इलेक्‍ट्राॅॅ‍िनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्‍तेमाल.

कर्नाटक चुनावों में 80 हजार ईवीएम का उपयोग हुआ.

नई दिल्‍ली : आज यानी मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजे आने वाले हैं. 12 मई को 224 सीटों में से 222 सीटों पर मतदान हुआ था. इस बार कर्नाटक में करीब 46 साल बाद 72.3 फीसदी वोटिंग हुई थी. टाइम्‍स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कुल 80 हजार इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्‍तेमाल किया गया था. इस सभी में वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) का भी उपयोग किया गया. पिछले कुछ चुनावों के नतीजों के बाद ईवीएम की प्रामाणिकता को लेकर सवाल उठाए गए थे. कर्नाटक में कांग्रेस की हार के बाद भी ऐसी ही आशंका तेज हो गई है. आपको बता दें कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शुमार है, जहां ईवीएम का उपयोग होता है. 1982 में देश में पहली बार इस्‍तेमाल हुई ईवीएम की पूरी कहानी यहां पढ़ें.

  1. कर्नाटक चुनाव में हआ 80 हजार ईवीएम का इस्‍तेेेेमाल
  2. 2019 में पूरे देश में ईवीएम के इस्‍तेमाल की तैयारी में चुनाव आयोग
  3. चुनावों में वीवीपैट की भी किया गया उपयोग

पहली बार केरल में हुआ ईवीएम का इस्‍तेमाल
देश में ईवीएम आज भले ही हर चुनावों में इस्‍तेमाल होती हो, लेकिन पहली बार देश में चुनावों में ईवीएम का उपयोग केरल के परूर विधानसभा सीट के उपचुनाव में 1982 में किया गया था. उन उपचुनावों में 50 मतदान केंद्रों पर इनका इस्‍तेमाल किया गया था. केरल के परूर उपचुनाव में सफलता के बाद इसे 1998 में मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान और दिल्‍ली की 16 विधानसभा सीटों के लिए हुए मतदान में किया गया. इसके बाद इसे पूरे देश में इस्‍तेमाल करने को लेकर योजना बनाई गई. 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में पहली बार पूरे देश में ईवीएम का इस्‍तेमाल किया गया.

...तो ऐसे काम करती है ईवीएम
ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में पूरा डाटा और ईवीएम की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने वाला प्रोग्राम होता है. यह खास प्रोग्राम एक माइक्रोचिप में होता है. इसमें न तो छेड़छाड़ की जा सकती है और न ही इसपर दूसरा डाटा ओवरराइट किया जा सकता है. मतदान होने के बाद इसे बंद करने वाला क्‍लोज बटन दबा दिया जाता है. इसके बाद ईवीएम बिलकुल निष्क्रिय हो जाती है. इसके बाद इसमें कोई भी नया डाटा नहीं डाला जा सकता. बूथ पर मौजूद रजिस्‍टर में दर्ज मतदाताओं के आंकड़ों को ईवीएम में कैद वोटों के आंकड़ों से मिलाया जाता है. देश में जो ईवीएम इस्‍तेमाल होती है उसे किसी भी बाहरी डिवाइस से नहीं जोड़ा जाता. यह स्‍वत: काम करती है.

वीवीपैट को जानते हैं आप
देश में चुनावों में पारदर्शिता बरतने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग ने 2010 में वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) करे चुनावों में इस्‍तेमाल करने पर विचार किया. ईवीएम से जुड़ी इस मशीन में वोटिंग करने के बाद एक पर्ची निकलती है. उसमें मतदाता यह जान सकता है कि उसने जिस पार्टी को वोट दिया है, वोट हकीकत में उसी पार्टी को गया है कि नहीं. उस पर्ची पर उम्‍मीदवार और पार्टी की निशान छपा होता है. वीवीपैट को पहली बार 2103 में नगालैंड के उपचुनावों में हुआ था. 2014 में निर्वाचन आयोग ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पूरे देश में वीवीपैट को इस्‍तेमाल करने का प्रस्‍ताव रखा है. निर्वाचन आयोग का कहना है कि आयोग पूरे देश में वीवीपैट को इस्‍तेमाल करने के लिए तैयार है.

ईवीएम का अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व
इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्‍तेमाल दुनिया 31 देशों में हुआ. इन देशों ने या तो इसका इस्‍तेमाल हुआ या इसका परीक्षण हुआ. लेकिन सिर्फ चार देशों ने इसे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इस्‍तेमाल किया. 11 देशों ने इसे अपने यहां कुछ क्षेत्रों में इस्‍तेमाल किया. 5 देशों में इसे पायलट प्रोजेक्‍ट के तहत इस्‍तेमाल किया गया. तीन देशों ने इसके इस्‍तेमाल को बंद कर दिया. वहीं 11 देशों इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के खिलाफ हो गए.

इन देशों में इस्‍मेमाल हो रही ईवीएम
भारत, ब्राजील, भूटान, वेनेजुएला

इन देशों के कुछ हिस्‍सों में इस्‍तेमाल
बेल्जियम, फ्रांस, अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, पेरू, अर्जेंटीना, जापान

यहां चल रहे पायलट प्रोजेक्‍ट
रूस, मंगोलिया, नेपाल, बांग्‍लादेश, इंडोनेशिया, इक्‍वाडोर

यहां इस्‍तेमाल हुआ बंद
जर्मनी, नीदरलैंड, पैरागुवे

यहां चले पायलट प्रोजेक्‍ट और बंद हो गया इस्‍तेमाल
फिलीपींस, ऑस्‍ट्रेलिया, कोस्‍टा रिका, ग्‍वाटेमाला, आयरलैंड, इटली, कजाखिस्‍तान, नॉर्वे, ब्रिटेन

Trending news