कर्नाटक में बोपैया ही बने रहेंगे प्रोटेम स्पीकर, सभी चैनल फ्लोर टेस्ट का Live प्रसारण करें: सुप्रीम कोर्ट
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कर्नाटक में बोपैया ही बने रहेंगे प्रोटेम स्पीकर, सभी चैनल फ्लोर टेस्ट का Live प्रसारण करें: सुप्रीम कोर्ट

आवेदन में कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा एक कनिष्ठ विधायक को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करना असंवैधानिक कदम है.

कर्नाटक में बोपैया ही बने रहेंगे प्रोटेम स्पीकर, सभी चैनल फ्लोर टेस्ट का Live प्रसारण करें: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: केजी बोपैया ही कर्नाटक विधानसभा में आज (शनिवार) शक्ति परीक्षण कराएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बोपैया ही प्रोटेम स्‍पीकर (अस्थाई अध्यक्ष) बने रहेंगे. बोपैया की नियुक्ति को कांग्रेस और जनता दल (एस) गठबंधन ने शुक्रवार (18 मई) रात उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. कोर्ट नंबर 6 में जैसे ही सुनवाई शुरू कांग्रेस-जेडीएस की ओर पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट को तकलीफ देने के लिए सॉरी, इसपर तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस ए. के. सीकरी ने कहा 'इट्स ओके, हम अपने काम का सम्मान का काम करते हैं.'

  1. शाम चार बजे कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण होना है.
  2. तीन सदस्‍यीय बेंच ने की सुनवाई.
  3. कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पेश.

इसके बाद सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील पेश करते हुए कहा कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में पुरानी परंपरा तोड़ी गई है. इसके जवाब में जस्टिस बोबडे ने कहा कि ऐसा कई बार हुआ है जब सबसे वरिष्ठ विधायक प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाए गए हैं. सिब्बल ने बोपैया की नियुक्ति पर कहा कि हमें आपत्ति नहीं होगी यदि प्रोटेम स्पीकर सिर्फ शपथ दिलाएं, लेकिन समस्या ये है कि प्रोटेम स्पीकर फ्लोर टेस्ट भी कराएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने जवाब में कहा, 'अगर बोपैया की नियुक्ति की जांच करनी है तो, प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति स्थगित करनी होगी और ऐसे हालात में आज फ्लोर टेस्ट संभव नहीं.' इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वे बोपैया का पक्ष जाने बिना आदेश जारी नहीं कर सकते.

ए.के. सीकरी ने सिब्बल से कहा कि अगर बोपैया सिर्फ शपथ दिलाएंगे तो फिर शक्ति परीक्षण कौन कराएगा. इसके बाद सिब्बल ने कहा कि वरिष्ठ विधायक को फ्लोर टेस्ट की जिम्मेदारी दी जाए. कोर्ट ने कहा कि सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर के लिए बुलाया जाए, इसकी कोई कानूनी परंपरा नहीं. इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के राज्यपाल के वकील की शक्ति परीक्षण के सीधे प्रसारण की सलाह को ‘निष्पक्ष’ बताया. उच्चतम न्यायालय ने सुझाव दिया कि सभी चैनलों को शक्ति परीक्षण का सीधा प्रसारण करने दिया जाए. उच्चतम न्यायालय ने सुझाव दिया कि सभी चैनलों को शक्ति परीक्षण का सीधा प्रसारण करने दिया जाए.

गौरतलब है कि केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का प्रोटेम स्‍पीकर (अस्थाई अध्यक्ष) नियुक्त किए जाने के प्रदेश के राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले को कांग्रेस-जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शुक्रवार (18 मई) देर रात इस मामले को न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया था, जो इस (कर्नाटक) मामले में सुनवाई कर रही है. पीठ ने सुबह साढ़े दस बजे इस मामले में सुनवाई शुरू की, जबकि शाम चार बजे कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण होना है. इस पीठ में न्यायमूर्ति एस के बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल हैं.

सूत्रों के अनुसार गठबंधन की तरफ से अधिवक्ता देवदत्त कामत द्वारा दायर याचिका शाम को शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार के समक्ष दायर की गई, लेकिन याचिका में कुछ खामियां बतायी गईं जिसे बाद में ठीक कर लिया गया. नई याचिका देर रात में रजिस्ट्री में दायर की गई और शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार इस पर विचार संबंधी निर्देश के लिए इसे लेकर प्रधान न्यायाधीश के आवास पर पहुंचे.

याचिका में बोपैया की नियुक्ति को रद्द करने की मांग
आवेदन में, गठबंधन ने भाजपा विधायक बोपैया को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करने के फैसले को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि यह परंपरा के विपरीत है क्योंकि परंपरा के अनुसार इस पद पर आम तौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त किया जाता है. आवेदन में कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा एक कनिष्ठ विधायक को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करना असंवैधानिक कदम है. आवदेन में यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल निर्देश की मांग की गई कि शक्ति परीक्षण स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से हो.

कर्नाटक में होगी किसकी सरकार, 4 बजे होगा फ्लोर टेस्ट
वहीं दूसरी ओर कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को राज्य विधानसभा में आज शाम 4 बजे अपना बहुमत साबित करना है. उच्चतम न्यायालय ने बीते शुक्रवार (18 मई) को यह आदेश सुनाया था. शीर्ष अदालत ने येदियुरप्पा को फ्लोर टेस्‍ट के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई 15 दिन की समयसीमा को घटाते हुए यह व्यवस्था दी. विपक्षी जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के विधायकों द्वारा दलबदल, इस्तीफा देने या मतदान से दूर रहने की स्थिति को छोड़ दें तो बहुमत साबित करने के लिए आंकड़े भाजपा के पक्ष में नजर नहीं आते.

हालिया विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और उसके पास 104 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास 78 तथा जेडीएस के पास 37 सीटें हैं. तीन सीटें निर्दलीय को मिली हैं. 224 सदस्यीय विधानसभा में मतदान 222 सीटों पर हुआ था. दोनों ही खेमों ने आंकड़े अपने पक्ष में होने का भरोसा जताया है.

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