नई दिल्ली: कर्नाटक में पिछले तीन दिनों में हुए राजनीतिक घटनाक्रम का अंत फ्लोर टेस्ट से पहले ही बीजेपी के हार मानने और विपक्षी खेमे की जीत के साथ हुआ. इस पूरे मामले के कई मायने निकाले जा सकते हैं. दरअसल, राजनीतिक दांव-पेच का यह पूरा खेल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले हुआ है. इसे देखते हुए इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. बीजेपी को जहां साफ संदेश मिल चुका है कि उसे लोकसभा चुनाव के लिए और भी पुख्ता तरीके से तैयारी करनी है, वहीं विपक्षी दलों को भी गोलबंद होने का सिग्नल मिल गया है.


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पिछले दो महीने में देशभर में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के आपसी भेंट-मुलाकात पर नजर डालें तो पता चलता है कि वे गैर बीजेपी गैर कांग्रेस विकल्प की तलाश कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार अपने भाषणों में सारे विपक्षी दलों को एक मंच पर आने की अपील कर रहे हैं. वे इस बात को समझाने के लिए अपने पिता राजीव गांधी और नानी इंदिरा गांधी के दौर का भी उदाहरण देने से नहीं हिचक रहे हैं कि विपक्षी एकता के सामने इन दोनों बड़े नेताओं को भी हार का मुंह देखना पड़ा था.


राहुल गांधी के इन प्रयासों के बाद भी अन्य विपक्षी दल कांग्रेस की अगुवाई में 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाने में हिचक रहे थे, लेकिन कर्नाटक की घटना के बाद शायद ये हालात बदल सकते हैं. कर्नाटक में बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस तीसरे नंबर की जेडीएस को सत्ता सौंपने को तैयार हो गई. इस फैसले के जरिए कांग्रेस ने संकेत देने की कोशिश की है कि उनका मकदस बीजेपी को रोकना है. साथ ही इस लड़ाई में उनका साथ देने वाले को कांग्रेस कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है.


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आइए एक नजर डालते हैं कि कर्नाटक की घटना के बाद देश के किन 11 राज्यों में बीजेपी को टक्कर देने के लिए विपक्षी दल 2019 के चुनाव में एकजुट हो सकते हैं.


उत्तर प्रदेश: इस राज्य से लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद पहुंचते हैं. केंद्र में किसी भी पार्टी की सरकार बनने के लिए इस राज्य काफी महत्व है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से 72 सीटें जीती थी. इस बार यहां बसपा, सपा, रालोद और कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव में उतर सकते हैं.


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बिहार: मौजूदा समय में बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सबसे बड़ी पार्टी होकर भी विपक्ष में है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां आरजेडी, जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' कांग्रेस और वामदलों के साथ मिलकर बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं. एनडीए के घटक दल रालोसपा के भी इनके साथ आने की खबरें लगातार आ रही हैं.  यहां से 40 सांसद संसद पहुंचते हैं.



पश्चिम बंगाल: मौजूदा समय में ममता बनर्जी एकलौती ऐसी बड़ी नेता हैं जो जनता की ताकत के दम पर बीजेपी से सीधे टक्कर ले रही हैं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती है. यहां लोकसभा की 42 सीटें हैं.


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महाराष्ट्र: केंद्र की कुर्सी हासिल करने के लिए महाराष्ट्र की भी काफी अहमियत है. यहां से 48 सांसद लोकसभा में पहुंचते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एक साथ होना तो तय है. साथ ही शिवसेना के भी बीजेपी से लगातार टकराव के चलते कोई बड़ा बदलाव दिख सकता है.


तमिलनाडु: यहां कांग्रेस और डीएमके के बीच गठबंधन की संभावना है. क्योंकि संभावना जताई जा रही है कि जयललिता की मौत के बबाद से सत्ताधारी एआईएडीएमके के नेताओं की नजदीकी बीजेपी से बढ़ी है. यहां लोकसभा क 39 सीटें हैं.


कर्नाटक: यहां तो कांग्रेस और जेडीएस मिलकर सरकार ही बनाने जा रही है तो लोकसभा चुनाव में इनका साथ लड़ना लगभग तय ही माना जा रहा है. यहां 28 लोकसभा सीटें हैं.


आंध्रप्रदेश: लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी से दोस्ती तोड़ ली है. ऐसे में पूरी संभावना है कि कांग्रेस और टीडीपी मिलकर बीजेपी को रोकने की कोशिश करेंगे.


तेलंगाना: टीआरएस गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी मोर्चा बनाने की कोशिश में जुटी है, लेकिन कर्नाटक के घटनाक्रम के बाद शायद यह दल कांग्रेस के साथ एक मंच पर आने को तैयार हो जाए. 


झारखंड: यहां शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस मिलकर 2019 के चुनाव में उतर सकते हैं. यहां लोकसभा की 14 सीटें हैं.



हरियाणा: 1990 के दशक में कांग्रेस को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने में अहम रोल निभाने वाले चौधरी देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और कांग्रेस एक साथ आ सकते हैं. इनेलो इस वक्त यहां मुख्य विपक्षी दल है. यहां से 10 सांसद लोकसभा में पहुंचते हैं.


जम्मू कश्मीर: 6 सांसद लोकसभा में भेजने वाले इस राज्य में कांग्रेस फारुख अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस मिलकर 2019 में उतर सकते हैं.


इन सभी 11 राज्यों के लोकसभा सीटों की संख्या जोड़ दी जाए तो यह आंकड़ा 349 तक पहुंचता है. 545 सदस्यों वाले लोकसभा में सरकार बनाने के लिए 272 सांसदों की जरूरत होती है. अगर इन सभी 11 राज्यों में कांग्रेस एकजुट हो जाती है तो बीजेपी की राह बेहद कठिन हो सकती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इनमें से ज्यादातर राज्यों में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था, जिसका बीजेपी को काफी फायदा हुआ था.