कर्नाटक: जब SC में गंभीर माहौल में हो रही थी सुनवाई, तभी इस WhatsApp जोक पर सभी हंस पड़े
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कर्नाटक: जब SC में गंभीर माहौल में हो रही थी सुनवाई, तभी इस WhatsApp जोक पर सभी हंस पड़े

दरअसल जब कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से पेश वकील अपने पक्ष में जादुई आंकड़े की बात करते हुए बेहद गंभीर माहौल में बहस कर रहे थे, तो उसी तनाव भरे माहौल में जस्टिस एके सीकरी के एक वाट्सऐप जोक का जिक्र करने पर सभी हंस पड़े.

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में 19 मई को शाम 4 बजे शक्ति परीक्षण के आदेश दिए.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: कर्नाटक में सियासी संग्राम और बहुमत के जादुई आंकड़ों के बीच सोशल मीडिया और वाट्सऐप पर तमाम तरह के चुटीले जोक चल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में जब शुक 18 मई को इस मसले पर सुनवाई हो रही थी, तब इसकी बानगी वहां भी देखने को मिली. दरअसल जब कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से पेश वकील अपने पक्ष में जादुई आंकड़े की बात कह रहे थे तो बेहद गंभीर माहौल में बहस कर रहे थे तो उसी तनाव भरे माहौल में जस्टिस एके सीकरी के एक वाट्सऐप जोक का जिक्र करने पर सभी हंस पड़े.

  1. कर्नाटक में 19 मई को शाम 4 बजे होगा शक्ति परीक्षण
  2. प्रोटेम स्‍पीकर की देखरेख में होगा फ्लोर टेस्‍ट
  3. इस बीच कांग्रेस-जेडीएस ने अपने विधायकों को हैदराबाद भेजा

जस्टिस सीकरी ने कहा कि हमारे पास एक वाट्सऐप संदेश आया है, जिसमें होटल मालिक ने कहा है कि उसके पास 116 विधायक हैं और इस आधार पर उसको मुख्‍यमंत्री बनाया जाना चाहिए. बस फिर क्‍या था, इस बात से कोर्ट रूम में मौजूद सभी लोग हंस पड़े. उल्‍लेखनीय है कि दरअसल यह मैसेज बेंगलुरु के उस ईगलटन रिसॉर्ट के संदर्भ में था, जहां 17 मई की रात तक कांग्रेस और जेडीएस के विधायक मौजूद थे. उसके बाद बीएस येदियुरप्‍पा के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पिछली रात इन विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया गया.

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इस बीच राज्‍यपाल द्वारा बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्‍पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के विरोध में कांग्रेस-जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उस पर फैसला देते हुए कोर्ट ने 19 मई को शाम चार बजे कर्नाटक में शक्ति परीक्षण का आदेश दिया है. इससे पहले राज्‍यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के साथ 15 दिनों में बहुमत साबित करने के लिए कहा था.

हालांकि बीजेपी की तरफ से कहा गया कि वह 19 मई को शक्ति परीक्षण के लिए तैयार नहीं हैं, लिहाजा उसको कुछ और वक्‍त दिया जाना चाहिए लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील नहीं सुनी. इसके बरक्‍स कांग्रेस-जदएस गठबंधन की तरफ से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह 19 मई को शक्ति परीक्षण के लिए तैयार हैं.

बीजेपी की तरफ से पेश वकीलों ने कहा कि सीक्रेट बैलट पेपर(गुप्‍त मतदान) से यह परीक्षण होना चाहिए लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील को खारिज करते हुए कहा कि 18 मई को शाम चार बजे तक प्रोटेम स्‍पीकर की नियुक्ति की जानी चाहिए. इसी प्रोटेम स्‍पीकर की देखरेख में 19 मई को विधानसभा का शक्ति परीक्षण कराया जाएगा. इसलिए कोर्ट ने किसी पर्यवेक्षक की नियुक्ति नहीं की. ऐसे में सारी निगाहें अब प्रोटेम स्‍पीकर पर टिक गई हैं.

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कौन होगा प्रोटेम स्‍पीकर?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के आठ बार से कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे का नाम इस रेस में सबसे आगे चल रहा है. आमतौर पर विधानसभा या लोकसभा सचिवालय सदन में सबसे ज्‍यादा समय बिताने वाले वरिष्‍ठ सदस्‍य का नाम इसके लिए प्रस्‍तावित करते हैं. 2014 में जब 16वीं लोकसभा का गठन हुआ था तो नौवीं बार सांसद बने वरिष्‍ठ नेता कमलनाथ को प्रोटेम स्‍पीकर बनाया गया था. इस लिहाज से आठ बार से कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे का नाम भेजा गया है. अब राजभवन को 18 मई की शाम चार बजे तक नाम पर मुहर लगानी होगी.

कांग्रेस-जेडीएस विधायक हैदराबाद में शिफ्ट
कर्नाटक में सत्‍ता के लिए मचे सियासी संग्राम और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्‍पा के मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने अपने विधायकों को 17 मई की रात बेंगलुरू से हैदराबाद शिफ्ट कर दिया. ऐसा करने के पीछे कांग्रेस ने यह आरोप लगाया है कि‍ बेंगलुरू के जिस रिसॉर्ट में उनके विधायक रुके थे, उनको वहां धमकाया जा रहा था और बीजेपी के पक्ष में पाला बदलने के लिए कहा जा रहा था. हालांकि इस तरह के आरोपों के बावजूद मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन विधायकों से कांग्रेस और जेडीएस ने मोबाइल स्विच ऑफ करने या जमा करने के लिए नहीं कहा है. हालांकि इसके उलट उनसे कहा गया है कि वह कॉल रिकॉर्ड करने वाले ऐप डाउनलोड कर लें.

इसके पीछे मकसद ये है कि किसके पास किस तरह के फोन आएंगे या जाएंगे, ये पता करना आसान होगा. इसलिए इन विधायकों को अपने पास मोबाइल रखने की अनुमति दी गई है. हालांकि इससे पहले ऐसा होता रहा है कि इस तरह की परिस्थिति में विधायकों से मोबाइल भी जमा करा लिए जाते रहे हैं ताकि खरीद-फरोख्‍त से जुड़ी कोई डील न हो पाए. कई बार तो ऐसा देखा गया कि विधायकों की इस तरह निगरानी की जाती है कि उनका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रह जाता.

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