कर्नाटक में क्‍या होगा येदियुरप्‍पा सरकार का? सुप्रीम कोर्ट में थोड़ी देर में होगी सुनवाई...
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कर्नाटक में क्‍या होगा येदियुरप्‍पा सरकार का? सुप्रीम कोर्ट में थोड़ी देर में होगी सुनवाई...

शीर्ष अदालत ने आधीरात को घंटों चली सुनवाई में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) की येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की संयुक्त याचिका के मद्देनजर शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

भाजपा के बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाते कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला. (PTI/17 May, 2018)

नई दिल्ली: बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज (शुक्रवार) सुबह 10.30 बजे सुनवाई होगी, जिसमें येदियुरप्पा को 15 और 16 मई को राज्यपाल वजुभाई वाला को लिखे वे दोनों पत्र पेश करने होंगे, जिनमें उन्होंने सरकार बनाने का दावा किया है. इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार (17 मई) तड़के बी.एस. येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर रोक नहीं लगाई.

  1. येदियुरप्पा ने 17 मई को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली
  2. कर्नाटक में 222 सीटों पर चुनाव हुए थे
  3. भाजपा को मिली थीं 104 सीटें

शीर्ष अदालत ने आधीरात को घंटों चली सुनवाई में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) की येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की संयुक्त याचिका के मद्देनजर शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है. इस मामले की कार्यवाही की अध्यक्षता एके सीकरी, एसए बॉब्डे और अशोक भूषण ने की थी.

येदियुरप्पा ने तय योजना के अनुरूप गुरुवार (17 मई) सुबह नौ बजे शपथ ली थी. येदियुरप्पा ने पत्रों में सदन में बहुमत होने का दावा किया है, लेकिन सवाल है कैसे? इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. कांग्रेस और जेडी-एस ने राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने को चुनौती दी है.

कर्नाटक में सरकार गठन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जेठमलानी
वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायशास्त्री राम जेठमलानी ने कर्नाटक में भाजपा को सरकार बनाने का आमंत्रण देने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ बीते गुरुवार (17 मई) को उच्चतम न्यायालय का रुख किया। उन्होंने राज्यपाल के फैसले को ‘‘संवैधानिक शक्ति का घोर दुरुपयोग’’ बताया। 

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने तत्काल सुनवाई के लिए दायर की गई जेठमलानी की याचिका पर विचार किया और कहा कि गुरुवार (17 मई) तड़के मामले की सुनवाई करने वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ शुक्रवार (18 मई) को इस पर सुनवाई करेगी। 

न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा कि वह न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष 18 मई को अपनी याचिका दायर करें जब कांग्रेस पार्टी और जनता दल (सेक्यूलर) की याचिकाओं पर सुनवाई होगी।

17 मई को करीब साढ़े तीन घंटे चली थी सुनवाई
न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने याचिका पर 17 मई की देर रात दो बजकर 11 मिनट से सुनवाई शुरू की जोकि करीब साढ़े तीन घंटे चली. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि शपथग्रहण और सरकार गठन उसके समक्ष मामले की सुनवायी के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा. यह आदेश बेंगलुरु में शपथग्रहण से कुछ घंटे ही पहले आया जहां 75 वर्षीय येदियुरप्पा दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले थे.

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कोर्ट ने शपथग्रहण पर रोक लगाने से किया था इनकार
पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक शपथग्रहण का सवाल है तो हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं, लेकिन उसे मामले के निर्णय के अधीन कर रहे हैं.’’ पीठ द्वारा आदेश सुनाने से पहले कांग्रेस नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से अनुरोध किया कि वह अंतिम आदेश नहीं सुनाये और उन्होंने इसमें आगे बहस करने की इजाजत मांगी. उन्होंने कहा कि भाजपा के पास 104 विधायक हैं और राज्यपाल ने येदियुरप्पा को ‘‘असंवैधानिक तरीके से’’ सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.

सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि शपथ ग्रहण गुरुवार (17 मई) सुबह साढ़े नौ बजे से टालकर शाम साढ़े चार बजे किया जा सकता है और भाजपा को बहुमत के विधायकों का समर्थन पत्र पेश करने कहा जाना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र ने मध्य रात्रि के बाद कांग्रेस-जदएस की तत्काल सुनवायी की मांग वाली याचिका के लिये इस पीठ का गठन किया. पीठ ने जानना चाहा कि क्या वह राज्यपाल को किसी पार्टी को सरकार बनाने से आमंत्रित करने से रोक सकती है, इस पर सिंघवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ऐसा पूर्व में किया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
अदालत ने सुनवायी के दौरान यह भी पूछा कि क्या यह परंपरा नहीं है कि अकेली सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने और बहुमत साबित करने के लिए आमंत्रित किया जाता है. पीठ ने सवाल किया कि उच्चतम न्यायालय के रोक वाले आदेश से क्या राज्य में एक संवैधानिक संकट उत्पन्न नहीं होगा. पीठ ने यह भी कहा कि पूर्व के उसके फैसलों का आम रूख राज्यपाल को रोकने के लिए नहीं था. पीठ ने यह भी जानना चाहा कि राज्यपाल ने भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय क्यों दिया और वह कैसे बहुमत होने का दावा कर रही है जबकि कांग्रेस-जदएस गठबंधन के पास अधिक संख्या है. केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि शपथग्रहण बहुमत साबित करने पर निर्भर होगा और अदालत उसके बाद मामले पर सुनवायी कर सकती है.

सिंघवी ने राज्यपाल पर लगाया लोकतंत्र को नकारने का आरोप
सिंघवी ने दलील दी कि संविधान राज्यपाल को केवल कर्तव्य निर्वहन के लिए छूट प्रदान करता है, पीठ ने पूछा कि क्या वह चाहते हैं कि अदालत राज्यपाल के विवेक की जांच पड़ताल करे जब उसके पास भाजपा द्वारा दिया समर्थन का पत्र नहीं है. सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल ने बहुमत वाले गठबंधन को नहीं बुलाकर लोकतंत्र को नकारा है. सिंघवी ने कहा, ‘‘यह खरीद फरोख्त करने के लिए सबसे बड़ा लाइसेंस है यदि राज्यपाल भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय देते हैं क्योंकि पूर्व में ऐसे मामलों में उच्चतम न्यायालय ने 48 घंटे का समय दिया.’’ भाजपा और येदियुरप्पा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल को किसी तरह का निषेध आदेश नहीं दिया जा सकता. रोहतगी ने मामले की सुनवायी आधी रात में करने पर आपत्ति जतायी.

याचिका में शपथग्रहण पर रोक लगाने की मांग की गई थी
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई प्रमुख जी परमेश्वर और एच डी कुमारस्वामी की संयुक्त याचिका में शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की मांग की गई थी.’’ कांग्रेस ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के कदम को ‘‘संविधान के साथ टकराव’’ करार दिया. वहीं दूसरी ओर हाल में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह जदएस के साथ मिलकर चुनाव बाद गठबंधन करके ‘‘जनादेश लूटने’’ का प्रयास कर रही है.

16 मई को गवर्नर ने येदियुरप्पा को दिया सरकार बनाने का न्योता
उल्लेखनीय है कि सत्ता के लिए रस्साकशी और खरीद फरोख्त के आरोपों के बीच वाला ने 16 मई की शाम येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करने के लिए आमंत्रित कर दिया. इस पर कांग्रेस ने राज्यपाल पर भाजपा के लिए ‘‘कठपुतली’’ के तौर पर काम करने का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. वाला के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की विधिक चुनौती का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी संभाल रहे सिंघवी ने ‘‘तत्काल याचिका’’ पर सुनवायी के लिए 16 मई की रात उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार से मुलाकात की.

कर्नाटक में 222 सीटों पर चुनाव हुए थे, जिसमें से भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 और जेडी-एस को 38 सीटें मिली थीं. दो निर्दयलीय विधायकों में से एक ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन उसे गुरुवार (17 मई) को विधानसभा के सामने गांधी की प्रतिमा के सामने कांग्रेस व जेडी-एस के धरने में शामिल देखा गया. धरने में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा भी शामिल हुए.

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