ये 3 घंटे सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं डेंगू के मच्छर, जानें कैसे करें बचाव
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ये 3 घंटे सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं डेंगू के मच्छर, जानें कैसे करें बचाव

डेंगू के मामले इस वक्त बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. अगर आप भी इससे बचाव चाहते हैं तो पहले आपको ये जानना होगा कि डेंगू का मच्छर किस समय सबसे ज्यादा एक्टिव रहता है.  

ये 3 घंटे सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं डेंगू के मच्छर, जानें कैसे करें बचाव

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली समेत भारत के कई राज्यों में डेंगू के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. आलम ये है कि कुछ शहरों में अस्पतालों के बेड फुल हो गए हैं और मरीजों को इलाज के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ऐसे स्थिति में आपका सतर्क होना जरूरी है. आज हम आपको बताएंगे कि डेंगू का मच्छर किस समय सबसे ज्यादा एक्टिव रहता है, और उससे किस तरह बयाव किया जा रहा है. साथ ही आपको डेंगू के लक्षण और सही इलाज के बारे में जानकारी देंगे.

  1. भारत में कई हिस्सों में तेजी से बढ़ रहे डेंगू के मामले
  2. किस समय ज्यादा एक्टिव रहता है डेंगू का मच्छर?
  3. कब आती है अस्पताल में भर्ती होने की नौबत?

3 घंटे हैं ज्यादा खतरनाक

डेंगू फैलाने वाला एडीजी मच्छर ज्यादातर दिन के समय काटता है. खासतौर पर सूर्योदय के दो घंटे बाद और सूर्यास्त के 1 घंटा पहले लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है. ऐसा कहा जाता है कि अगर ये तीन घंटे आपने खुद को मच्छर के काटने से बचा लिया तो आपको डेंगू होने का खतरा बहुत कम हो जाएगा. हालांकि रात के समय भी डेंगू का मच्छर एक्टिव रहता है, लेकिन सिर्फ उन्हीं जगहों पर जहां आर्टिफिशियल लाइट की रोशनी ज्यादा होती है.

4 बार डेंगू होने का खतरा

डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है. यह तब होता है, जब वायरस वाला ADG मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है. डेंगू संक्रमण DEN-1, DEN-2, DEN-3, और  DEN-4 वायरस से फैलता है. इन चारों वायरस को सीरोटाइप कहा जाता है क्योंकि ये चारों अलग-अलग तरीके से एंटीबॉडी को प्रभावित करते हैं. यानी आप अलग-अलग स्ट्रेन से चार बार भी डेंगू से संक्रमित हो सकते हैं.

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डॉक्टर के पास कब जाएं?

डेंगू के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद दिखाई देने शुरू होते हैं जो तकरीबन 2 हफ्ते तक रहते हैं. इन लक्षणों में अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान, उल्टी, त्वचा पर लाल चकत्ते दिखना है. कभी-कभी इसके लक्षण हल्के होते हैं और लोग इसे गलती से फ्लू या अन्य वायरल इंफेक्शन समझ लेते हैं. अगर आपका बुखार दवाई लेने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा है तो बिना देरी डेंगू का टेस्ट कराने में ही समझदारी है.

डेंगू का इलाज क्या है?

मेडिकल साइंस अभी तक डेंगू का कोई आधिकारिक इलाज नहीं ढूंढ पाया है. इसलिए आज भी डॉक्टर्स डेंगू के मरीज को ठीक करने के लिए एंटी-वायरल और पेनकिलर दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं, जिससे बुखार व दर्द से राहत पाई जा सके. हालांकि इसमें एस्परिन और आइबूप्रोफेन दवा लेने से मनाही की जाती है. क्योंकि इससे खून बहने की समस्या बढ़ सकती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, डेंगू के बुखार में मरीज को खूब आराम करना चाहिए, और खून में प्लेटलेट्स की नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए. शरीर में पानी की बिल्कुल कमी न होने दें और खूब सारा लिक्विड डाइट लें. इस समय नारियल पानी पीना सबसे अच्छा होता है. ये प्लेटलेट्स बढ़ाने का भी काम करता है. इसके अलावा गिलोय, पपीता, कीवी, अनार, चुकंदर और हरी सब्जियों को डाइट में शामिल करें.

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डेंगू से बचाव कैसे करें?

डेंगू का मच्छर अक्सर दिन के समय काटता है. इसलिए दिन में मच्छरों के काटने से खुद को बचाएं. इन दिनों फुल बाजू के कपड़े और पावों में जूते पहन कर रहें. शरीर को कहीं से भी खुला न छोड़ें. घर के आसपास या घर के अंदर साफ पानी नहीं जमने दें. अगर किसी बर्तन या बाल्टी में पानी भरकर रखा हुआ है तो उसे ढक दें. वहीं कूलर, गमले, टायर में जमे पानी को भी बहा दें. रात में सोते समय मच्छरदानी लगाना बचाव का सबसे सही तरीका है.

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