कोरोना काल में मोबाइल फोन (Mobile Phones) हर स्कूली बच्चे की जरूरत बन चुका है, लेकिन स्कूल खुलने के बाद इसके इस्तेमाल में कमी करने की जरूरत है
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नई दिल्ली: आज के समय में मोबाइल फोन (Mobile Phones) यूज करना हर किसी की जरूरत बन गया है. कोरोना काल (Coronavirus) में ऑनलाइन क्लासेज (Online Classes) की वजह से हर बच्चे के हाथ में स्मार्टफोन (Smartphone) पहुंच चुका है. आज-कल बच्चे पढ़ाई के बाद भी ज्यादातर समय मोबाइल में बिजी (Smartphone Addiction) रहते हैं. स्मार्टफोन में चलने वाले गेम्स बच्चों को बहुत लुभाते हैं. ऐसे में बच्चों की लाइफस्टाइल (Kids Lifestyle) पर नजर रखना बहुत जरूरी है.
अब देशभर में स्कूल खुल रहे हैं और ऑनलाइन क्लासेज (Online Classes) की जरूरत खत्म हो रही है. ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों को स्मार्टफोन (Smartphone) से दूर कर देना चाहिए, नहीं तो आपके बच्चे का दिमाग जीवन भर के लिए भी प्रभावित हो सकता है.
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एक स्टडी (Study) में खुलासा हुआ है कि 10 साल तक के बच्चे अगर 7 घंटे से ज्यादा समय तक मोबाइल फोन (Mobile Phone) यूज करते हैं तो उनके दिमाग पर गहरा असर हो सकता है. इस स्टडी में यह बात निकल कर सामने आई है कि ज्यादा समय मोबाइल फोन पर चिपके रहने से बच्चों के दिमाग की बाहरी परत पतली पड़ जाती है. इससे दिमाग की ग्रोथ (Brain Growth) पर भी बुरा असर पड़ता है.
स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों का दिमाग (Brain) तो खराब होता ही है, उनकी आंखें भी बहुत प्रभावित होती हैं. बच्चों का स्मार्टफोन की स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना आंखों में सूखेपन (Eye Dryness) का कारण बन सकता है. आज-कल बच्चों की आंखों में सूखेपन की समस्या सबसे ज्यादा आ रही है.
डॉक्टर्स का कहना है कि शुरुआती 6 सालों में बच्चे का दिमाग सबसे तेजी से ग्रो करता है. ऐसे में बिना किसी वर्कआउट (Workout) के हमेशा बैठे रहने के बजाय बच्चों को रचनात्मक स्टिमुलेशन (Creative Stimulation) की जरूरत होती है. इस उम्र में बच्चों को खेलकूद और क्रिएटिविटी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है.
10 मिनट से ज्यादा भी स्क्रीन पर फोकस करना बच्चों के दिमाग पर असर डालता है. बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अलग-अलग चीजों के लिए करते हैं, जिनमें से हर चीज का उन पर कुछ न कुछ असर जरूर पड़ता है. मोबाइल का फोकस उनकी आंखों और दिमाग पर असर डालता है, वहीं मोबाइल का वाइब्रेशन (Mobile Vibration) उनकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ को प्रभावित करता है.