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नई दिल्ली: कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के कहर से दुनिया तंग है. यह इससे पहले सामने आए खतरनाक वैरिएंट डेल्टा से कहीं ज्यादा संक्रामक है और चिंता की बात यह है कि मरीज को पता ही नहीं चल पा रहा है कि वह किस वैरिएंट से संक्रमित है. आज हम कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में जानते हैं जिनकी मदद से जान सकते हैं कि संक्रमण डेल्टा वैरिएंट का है या ओमिक्रॉन का.
भले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट, डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कम खतरनाक बताया जा रहा है लेकिन इसकी संक्रामकता जमकर कहर ढा रही है. पूरी दुनिया इससे परेशान है. इसलिए दुनिया भर के वैज्ञानिक ओमिक्रॉन वैरिएंट की शुरुआत के बाद से इस पर लगातार नजर रखे हुए हैं. सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में सामने आए इस वैरिएंट के मरीजों में गले में खराश और हल्के बुखार की शिकायत की थी, जो आसानी से ठीक हो गए. वहीं इससे संक्रमित लोगों में सूंघने की क्षमता पर भी खास बुरा असर नहीं डाला, जैसा कि डेल्टा वैरिएंट के मामले में रहा.
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डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान करने के लिए जेनेटिक सिक्वेंसिंग की जरूरत होती है, जिसमें आमतौर पर 4 से 5 दिन का समय लगता है. वहीं एंटीजन और मॉलिक्यूलर टेस्ट शरीर में SARs-COV-2 वायरस की उपस्थिति की पहचान करने में मदद करते हैं, भले ही मरीज किसी भी वैरिएंट से संक्रमित हुआ हो. वहीं ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स द्वारा बनाई गई ओमिश्योर नाम की एक आरटी-पीसीआर टेस्ट किट को मंजूरी दी है. इस किट से नए वैरिएंट का पता लगाया जा सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)