मदर्स डे (Mother's day) उन सभी माताओं को समर्पित है जो आपकी पहली शिक्षक हैं और एक बच्चे को उसके लक्ष्य की तरफ बढ़ने में मदद करती हैं.
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कहते हैं अगर धरती पर प्रेम का कोई पवित्र रूप है तो वो सिर्फ मां का प्रेम है. वही बच्चे की पहली शिक्षक होती है. एक मां और उसके बच्चे के बीच ये बंधन निस्वार्थ और बिना शर्त प्यार पर आधारित होता है. देखभाल, प्यार, समर्थन, समय पर सलाह, मार्गदर्शन और जीवन की सबसे अच्छी दोस्त- यही तो मां है. वह बदले में कुछ चाहे अपने परिवार के लिए सब कुछ करती है और शायद यह एक मां की सबसे बड़ी विशेषता है.
मदर्स डे (Mother's day) उन सभी माताओं को समर्पित है जो आपकी पहली शिक्षक हैं और एक बच्चे को उसके लक्ष्य की तरफ बढ़ने में मदद करती हैं. आप अपनी मां का हाथ पकड़कर ही इस दुनिया में अपना पहला कदम रखते हैं. यूं तो मां के प्रति प्यार और सम्मान किसी एक दिन का मोहताज नहीं होता, लेकिन ये दिन सिर्फ मां को समर्पित है और इस दिन उन्हें खास महसूस करवाया जाता है. ज्यादातर देशों में मदर्स डे मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, हालांकि ऐसी जगहें भी हैं जहां इसे किसी और महीने और तारीख को मनाया जाता है.
माताओं के प्रति प्यार और सम्मान तो हमारी संस्कृति है और मां के प्रति ये भावनाएं तो हमारे शास्त्रों में भी देखने को मिलती हैं. आइए थोड़ा पीछे जाएं और यह समझने की कोशिश करें कि कैसे हमारे देवताओं ने अपनी माताओं को सर्वोच्च सम्मान और प्रेम दिया.
यशोदा-कृष्ण-देवकी
मां यशोदा और श्री कृष्ण के बीच का अटूट बंधन इस बात का जीवंत उदाहरण है कि कैसे पालने वाली मां भी जन्म देने वाली मां से ज्यादा पूजनीय है. कृष्ण देवकी के पुत्र थे जिन्हें उनके जन्म की रात उनके पिता वासुदेव ने गोकुल में रहने वाले यशोदा और नंद को दे दिया था और बदले में उनकी बेटी योगमाया को ले लिया था. कृष्ण को मथुरा के राजा और देवकी भाई कंस से बचाने के लिए ऐसा किया गया था.
हालांकि यशोदा ने कृष्ण को जन्म नहीं दिया था लेकिन उनका लालन-पालन उन्होंने ही किया, उनपर खूब मातृत्व लुटाया. उन दोनों के बीच का रिश्ता इतना पवित्र था कि आज यशोदा को ही कृष्ण की मां कहा जाता है.
पार्वती-गणेश-कार्तिकेय
भगवान शिव की पत्नी पार्वती के साथ गणेश, कार्तिकेय और बेटी अशोक सुंदरी आदर्श परिवार का एक सबसे अच्छा उदाहरण हैं. माता पार्वती का अपने बच्चों के साथ रिश्ता कुछ ऐसा है जिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान गणेश को स्वयं बनाया था, इसलिए वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करती थीं. इतना कि जब भगवान शिव ने क्रोधित होकर गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था, तो माता पार्वती इतनी क्रोधित हो गईं कि उन्होंने भगवान शिव से कुछ भी करके अपने पुत्र का जीवन वापस लाने के लिए कहा. इसलिए, भगवान गणेश के शरीर पर एक हाथी का सिर रखा गया था. देवी पार्वती का अपने बच्चे कार्तिकेय और अशोक सुंदरी के साथ भी बहुत प्यार भरा रिश्ता था.
तो, इस मातृ दिवस पर हमारे देवताओं के जीवन से कुछ सीखें और अपनी मां को ढ़ेर सारा प्यार दें और उन्हें खास महसूस करवाएं.