(चंद्रशेखर सोलंकी)/रतलामः मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में नित्य चिंताहरण गणेश भगवान का भव्य मंदिर है, जहां भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है. गणेशोत्सव के दौरान यहां हर साल साम्प्रदायिक सौहार्द का भाव देखने को मिलता है, जहां हर साल गणेशोत्सव के दौरान 1 दिन मुस्लिम समाज की और से भगवान गणेश की आरती की जाती है और उन्हें भोग भी लगाया जाता है. साथ ही मुस्लिम समाज के लोग ही मंदिर में स्थित श्रद्धालुओं में प्रसाद बांटते हैं. बता दें नित्य चिंताहरण गणेश मंदिर में चिठ्ठी लिखकर गणेशजी से मन्नत मांगी जाती है. मान्यता है कि चिट्ठी लिखकर गणपति से मन्नत मांगने पर वह इन्हें पूरा करते हैं और अपने भक्तों के सभी विघ्न हर लेते हैं.


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बता दें रतलाम शहर का प्राचीन नित्य चिंताहरण गणेश मंदिर जितना पुराना है उतनी इनकी महिमा भी निराली है. आज भव्य भवन के रूप में दिखने वाले गणेश मंदिर की जगह पहले दीवार से लगे पत्थर के गणेश प्रतिमा ही दिखाई देती थी, वही इस मंदिर में मन्नत के लिए चिट्ठी लिखने की भी परंपरा है. रतलाम शहर का नित्य चिंताहरण गणेश मंदिर भले ही आज नए आकर्षक रंगों में दिखाई देता है, लेकिन यहां की प्राचीन गणेश प्रतिमा का इतिहास सदियों पुराना है.


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दरअसल, आज भव्य स्वरूप में दिखने वाला मंदिर भवन पहले था ही नहीं, इस मंदिर की नित्य चिंताहरण गणेश की प्राचीन प्रतिमा रतलाम राज महल की दीवार मे लगी हुई थी. जैसे-जैसे लोगो की आस्था बढ़ती गई महल की दीवार से लगे गणेश जी का मंदिर बनने लगा और अब आज यहां नित्य चिंताहरण गणेश का भव्य प्राचीन मंदिर है, लेकिन यहां की प्राचीन गणेश प्रतिमा आज भी महल की दीवार में ही लगी है.


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नित्य चिंताहरण गणेश मंदिर पर हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां चिठ्ठी लिखकर भगवान से मनोकामना मांगने की परंपरा है. लोग अपनी मुराद एक चिट्ठी पर लिखकर यह के बक्से में डाल देते हैं और भगवान नित्य चिंताहरण गणेश भक्तों की चिंता भी हर लेते हैं. यह मंदिर साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए भी संदेश देता है. यहां गणेशोत्सव के दौरान हर साल 1 दिन मुस्लिम समाज के लोगो की और से महाआरती की जाती है. प्रसादी वितरण भी किया जाता है, नित्य चिंताहरण गणेश मंदिर से हर साल हिन्दू मुस्लिम समाज मिलकर साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश देते हैं.