फिल्मों में देखा होगा इन कीमती पेड़ों का दिलकश नजारा, अब बनेगा इनका डिजिटल आधार कार्ड
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फिल्मों में देखा होगा इन कीमती पेड़ों का दिलकश नजारा, अब बनेगा इनका डिजिटल आधार कार्ड

जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में मौजूद चिनार के विशाल और दिलकश पेड़ अब एक खास तकनीक के जरिए बचाए जाएंगे. जम्मू-कश्मीर सरकार ने 'डिजिटल ट्री आधार' नामक एक अभिनव पहल शुरू की है.

फिल्मों में देखा होगा इन कीमती पेड़ों का दिलकश नजारा, अब बनेगा इनका डिजिटल आधार कार्ड

जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में मौजूद चिनार के विशाल और दिलकश पेड़ अब एक खास तकनीक के जरिए बचाए जाएंगे. जम्मू-कश्मीर सरकार ने 'डिजिटल ट्री आधार' नामक एक अभिनव पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य इन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण चिनार के पेड़ों की सुरक्षा करना है. यह परियोजना आधुनिक तकनीक और पारिस्थितिकीय प्रयासों को मिलाकर चिनार के पेड़ों को जलवायु परिवर्तन और अन्य खतरों से बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

चिनार के पेड़ कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं. अपने विशाल आकार और घने छायादार फैलाव के लिए प्रसिद्ध ये पेड़ लगभग 30 मीटर तक ऊंचे हो सकते हैं और इन्हें पूरी तरह से विकसित होने में 30 से 50 साल का समय लगता है. एक समय था जब 1970 के दशक में कश्मीर में करीब 42 हजार चिनार के पेड़ थे, लेकिन समय के साथ उनकी संख्या घटती गई. मौजूदा समय में इनकी संख्या 17 हजार से 34 हजार के बीच रह गई है, जिसे बचाने के लिए सरकार ने यह अनूठी पहल शुरू की है.

कैसे काम करेगा 'डिजिटल ट्री आधार' प्रोजेक्ट?
चिनार के पेड़ों की सुरक्षा और निगरानी के लिए जम्मू-कश्मीर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI) ने इस परियोजना की कमान संभाली है. इस योजना के तहत हर चिनार के पेड़ का जियो-टैगिंग के माध्यम से एक अनोखा QR कोड बनाया जाएगा. इस कोड को पेड़ पर लगाया जाएगा, जिसमें पेड़ की स्थिति, स्वास्थ्य, ऊंचाई और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां होंगी.

इस पहल के बारे में बोलते हुए एक अधिकारी ने कहा कि चिनार हमारे सांस्कृतिक इतिहास का हिस्सा हैं. हम इनकी ऊंचाई, उम्र और सेहत का सर्वे कर रहे हैं, ताकि इन्हें बजाया जा सके. अब तक लगभग 28,500 चिनार के पेड़ों की पहचान की जा चुकी है और इस संख्या को बढ़ाने के लिए प्रयास जारी हैं. प्रत्येक चिनार पर एक विशेष प्लेट लगेगी, जिसमें सर्वे वर्ष, स्थान और एक अद्वितीय सीरियल नंबर होगा, जो पेड़ की पहचान का आधार बनेगा.

चिनार एटलस: एक नई पहल
'डिजिटल ट्री आधार' के साथ-साथ 'चिनार एटलस' तैयार करने की योजना भी बनाई गई है. इस एटलस में जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों में मौजूद चिनार के पेड़ों का डिटेल रिकॉर्ड होगा. गंदरबल जिले में स्थित दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चिनार भी इस योजना का हिस्सा है, जिसकी परिधि 74 फीट है.

दुनिया भर में होगी पहचान
कश्मीर में दुनिया के सबसे पुराने और बड़े चिनार के पेड़ मौजूद हैं. श्रीनगर, गंदरबल, अनंतनाग और बारामूला जिलों में इनकी अधिक संख्या पाई जाती है. वर्ल्ड मोन्यूमेंटल ट्रीज श्रृंखला के शीर्ष 20 पेड़ों में से 11 कश्मीर में हैं, जिससे इनकी वैश्विक महत्ता स्पष्ट होती है.

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