करियर के मोर्चे पर महिलाओं का तेजी से उभार जहां एक तरफ अपने पुरुष प्रतिस्पिर्धियों से उन्हें आगे करता है, तो दूसरी तरफ इसका असर महिलाओं की शादी व दूसरी सामाजिक जिम्मेदारियों पर पड़ता है.
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मौजूदा समय में बहुत सारी महिलाएं करियर ओरिएंटेड हो गई हैं. ऐसे में कई स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारियां पीछे छूटती दिखाई दे रही हैं. करियर के मोर्चे पर महिलाओं का तेजी से उभार जहां एक तरफ अपने पुरुष प्रतिस्पिर्धियों से उन्हें आगे करता है, तो दूसरी तरफ इसका असर महिलाओं की शादी व दूसरी सामाजिक जिम्मेदारियों पर पड़ता है.
ऐसे में महिलाओं के स्वास्थ्य व इससे जुड़े दूसरे पहलुओं व करियर मुद्दों पर हमने मुस्कान फर्टिलिटी एंड मैटरनिटी की कार्यकारी डॉ. ऋचा सिंहल से बातचीत की. उनसे हमने पूछा, करियर को ज्यादा तरजीह देकर महिलाएं आज पुरुषों को प्रतिस्पर्धा में पीछे छोड़ रही हैं. ऐसे में महिलाओं के देर से गर्भधारण को आप किस नजरिये से देखती हैं?
जवाब : आज की महिला सबल व सशक्त है. अपने करियर को भी प्राथमिकता देना उसका ध्येय है. लेकिन यह भी सच है कि स्त्री को रिप्रोडक्टिव एज व बॉयोलॉजिकल टाइम क्लॉक भी निश्चित है. इसलिए दोनों चीजों में तालमेल बैठाकर रखना बेहतर है. एक तरफ अपना स्वतंत्र जीवन व दूसरी तरफ अपनी फैमिली लाइफ को पूरा करना ही उसे कंप्लीट वूमेन होने का एहसास देगा. इसलिए दोनों में तालमेल बैठाकर चलना ही होगा.
महिलाओं को फिट रहने व करियर से जुड़ी शारीरिक चुनौतियों से निपटने के लिए आप क्या सलाह देंगी?
जवाब : आज की महिलाएं जिस तरह अपने करियर और एपियरेंस वगैरह को लेकर जागरूक हैं, उसी प्रकार उन्हें अपने शारीरिक व्यायाम और रोज के खाने-पीने का भी ध्यान रखना चाहिए. बाहर का फास्ट फूड या कम खाना खाने से न सिर्फ मल्टिपटल इफिसिएंयसीज होती हैं, बल्कि उनके हानिकारक तत्व ओवरी के लिए भी व फर्टिलिटी के लिए भी नुकसानदायक है. इसलिए महिलाओं को नियमित व्यायाम, फल, हरी सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स वगैरह का सेवन प्रचुर मात्रा में करना चाहिए.
क्या देर से गर्भधारण से चुनौतियां बढ़ जाती हैं?
जवाब : हां, देर से गर्भधारण से चुनौतियां बढ़ जाती हैं, क्योंकि उम्र के साथ हमारे शरीर में कुछ बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है, जिसमें डायबिटिज, हाई बीपी, थायरॉइड वगैरह और कुछ प्री इग्जिस्टिंग (पहले से मौजूद) कंडीशंस क्रॉनिक हो जाती हैं. एजिंग उसाइट्स भी एक कारण है. बढ़ती उम्र में गर्भधारण से अबॉर्शन रेट भी बढ़ जाता है.
महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के लिए किन बातों पर जोर देना चाहिए?
जवाब : महिलाओं को नियमित व्यायाम और फ्रेश कूक्ड खाना और मौसमी फल आदि लेने चाहिए व प्रोसेस्ड फूड व डाइटिंग से बचना चाहिए.
आजकल सी-सेक्शन सर्जरी का चलन बढ़ रहा है, ऐसे में महिलाओं को क्या सलाह देंगी?
जवाब : ऐसा जटिलताओं की वजह से हो सकता है व सबसे जरूरी बात उसे अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञ पर विश्वास हो. अगर महिला इन बातों का पालन करती है तो उसे सी-सेक्शन होने के चांसेज उतने ही कम हो जाते हैं. हां, आजकल महिलाओं में दर्द सहन करने की क्षमता भी कम हो रही है, जिससे इस तरह की सर्जरी को बल मिल रहा है.
सरकार की मातृत्व सुरक्षा योजनाओं के प्रति आपका क्या नजरिया है?
जवाब : सरकार की मातृत्व सुरक्षा योजनाएं महिलाओं के लिए लाभकारी हैं, खासतौर से आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए और आशा कार्यकर्ताओं का बहुत ही पॉजिटिव रोल है. महिलाओं को उनके स्वास्थ्य व गर्भावस्था को लेकर जागरूक करने में इन योजनाओं का खासा लाभ मिला है. इन योजनाओं से न सिर्फ प्रेग्नेंसी, बल्कि डिलिवरी भी सुरक्षित हो रही है और मातृ मृत्युदर व प्रसवकालीन मृत्युदर (मैटरनल मोर्टिलिटी एंड पेरिनेटल मोर्टिलिटी) भी काफी कम हो जाती है.
चिकित्सकीय सुविधाएं बढ़ने के बाद भी महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में कमी है. इस पर आप क्या कहेंगी?
जवाब : महिलाओं से जुड़ी योजनाओं का घर-घर तक और दूर-दराज के गांवों में पहुंचाने के लिए हमें प्राइमरी हेल्थ केयर को शीर्ष प्राथमिकता देनी चाहिए. इसके लिए हमें प्राइमरी हेल्थ सेंटर को अच्छे तरह से उपकरणों से लैस करना चाहिए और आशा वर्करों व एएनएम को उचित तरीके से प्रशिक्षिण देना चाहिए, जिससे महिलाओं में और जागरूकता बढ़ेगी. साथ ही वे अपने स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रख सकेंगी.
(इनपुट एजेंसी से भी...)