कहीं आप भी तो नहीं Insomnia के शिकार, हो सकती है जल्दी मौत; स्टडी में हुआ खुलासा
जिस तरह हमारे लिए भोजन-पानी जरूरी है. उसी तरह अच्छी नींद लेना भी जीवन के लिए बहुत आवश्यक है.
अनिद्रा से जूझ रहे लोगों पर स्टडी
एटीजेड न्यूज के मुताबिक नींद पर एक हैरतअंगेज स्टडी सामने आई है. जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च में प्रकाशित इस स्टडी का विश्लेषण नेशनल हेल्थ एंड एजिंग ट्रेंड स्टडी (NHATS) ने किया है. इस स्टडी के लिए 2011 से 2018 के बीच जुटाए डेटा की जांच की गई. स्टडी से पता लगा कि अनिद्रा से जूझ रहे लोगों को ज्यादातर रात में यहां तक कि हर रात ऐसी परेशानियां होती हैं.
नींद न आने से हो सकती है मौत
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन इंस्ट्रक्टर रेबेका रॉबिन्सन के अनुसार, 'इस स्टडी से पता चलता है कि हर एक रात की नींद हमारे जीवन के लिए कितनी जरूरी है. अच्छी नींद लेने से न केवल हमारे न्यूरोलॉजिकल सिस्टम को फायदा पहुंचता है बल्कि इससे मौत के जोखिम को भी कम करने में मदद मिलती है. रात में अनिद्रा से परेशान लोगों में डेमेंशिया नाम की बीमारी बढ़ने का खतरा होता है. ऐसे लोगों की जल्दी मौत भी हो सकती है.
अमेरिका में 7 करोड़ लोग प्रभावित
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में तकरीबन 5 से 7 करोड़ लोग स्लीप डिसॉर्डर, स्लीप एपनिया, इंसोमेनिया और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं. एक्सपर्ट इसे 'पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम' कहते हैं. उनका कहना है कि नींद से जुड़ी इस परेशानी का संबंध डायबिटीज, स्ट्रोक, कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज और डेमेंशिया से भी है.
रोजाना 7-10 घंटे की नींद जरूरी
'वर्ल्ड स्लीप सोसायटी' के अनुसार, कम नींद आना दुनिया की 45 फीसद आबादी के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. आमतौर पर लोगों को रोजाना रात में कम से कम 7 से 10 घंटे की पर्याप्त नींद लेनी चाहिए. लेकिन अमेरिका समेत अधिकतर देशों के लोग नींद के इस पैटर्न को फॉलो नहीं कर पाते.
डेमेंशिया से जूझ रहे हैं लोग
स्टडी में पाया गया कि नींद से जुड़ी समस्या का सामना कर रहे 44 प्रतिशत लोगों में कई कारणों से मौत का जोखिम बढ़ जाता है. वहीं रात में अक्सर इस समस्या से जूझने वाले 56 प्रतिशत लोगों के जल्दी मरने का खतरा होता है. रात में लगातार नींद से जूझने वाले 49 प्रतिशत लोगों को डेमेंशिया का भी खतरा होता है.