शादी के बाद मर्द भी झेलते हैं डिप्रेशन, लेकिन किसी को बताते क्यों नहीं? जानिए हिचकिचाहट की वजह
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शादी के बाद मर्द भी झेलते हैं डिप्रेशन, लेकिन किसी को बताते क्यों नहीं? जानिए हिचकिचाहट की वजह

शादी के बाद मर्द को कई वजहों से टेंशन हो सकती है, लेकिन वो इसे बताने से परहेज करते हैं, जिससे स्ट्रेस बढ़ सकता है, ऐसे में परेशान पुरुषों को क्या करना चाहिए.

शादी के बाद मर्द भी झेलते हैं डिप्रेशन, लेकिन किसी को बताते क्यों नहीं? जानिए हिचकिचाहट की वजह

Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी की खबर सुनकर हर कोई सकते में है. मरहूम ने आत्महत्या से पहले एक 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने अपनी वाइफ और उसके परिवार पर हैरेसमेंट का आरोप लगाया. अतुल की कहानी से ये बात साबित होती है कि शादीशुदा मर्द की जिंदगी भी मुश्किल हो सकती है.
 

डिप्रेशन में शादीशुदा पुरुष

डिप्रेशन एक गंभीर मेंटल कंडीशन है, जिससे कोई भी इंसान परेशान हो सकता है, चाहे वो महिला हो या पुरुष. अक्सर ये माना जाता है कि महिलाएं शादी के बाद मानसिक तनाव या स्ट्रेस से ज्यादा गुजरती हैं, लेकिन मर्द भी इससे अछूते नहीं हैं. दरअसल शादीशुदा पुरुष भी कई बार डिप्रेशन का शिकार होते हैं, लेकिन वो इसे बयां करने से हिचकिचाते हैं.
 

डिप्रेशन का कारण
भारत के मशहूर क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट (Clinical Psychologist) टीपी जवाद (TP Jawad) का मानना है कि शादी के बाद पुरुषों पर कई जिम्मेदारियां आ जाती हैं. परिवार को आर्थिक रूप से संभालना, पत्नी और बच्चों की जरूरतें पूरी करना, और सामाजिक अपेक्षाओं पर खरा उतरना जैसे कई दबाव उनके मेंटल कंडीशन पर बुरा असर डाल सकते हैं. इसके अलावा अगर वाइफ से किसी तरह की अनबन या कानूनी लड़ाई लड़नी पड़े तो पुरुषों पर टेंशन का पहाड़ टूट पड़ता है.

क्यों नहीं बताते मर्द?
पुरुषों के डिप्रेशन छुपाने की सबसे बड़ी वजह समाज में गहराई से जमी पितृसत्तात्मक सोच है. बचपन से ही मर्दों को सिखाया जाता है कि उन्हें हमेशा 'मजबूत' बने रहना चाहिए. उन्हें रोने या अपनी इमोशन प्रेजेंट करने की इजाजत नहीं दी जाती. ऐसे में जब कोई मानसिक समस्या होती है, तो वो इसे कमजोरी समझकर मन में ही रख लेते हैं.

दूसरी वजह ये है कि पुरुषों को अक्सर लगता है कि अगर उन्होंने अपने डिप्रेशन के बारे में बात की, तो सोसाइटी उन्हें सीरियसली नहीं लेगी. कई बार वो ये भी सोचते हैं कि उनकी बातों से परिवार के अन्य सदस्य परेशान हो सकते हैं. इसलिए वो अपनी टेंशन ट्रांसफर नहीं करना चाहते.
 

कैसे निकलेगा हल? 
डिप्रेशन से बाहर निकलने का पहला कदम है इसे एक्सेप्ट करना. पुरुषों को यह समझना चाहिए कि इमोशन जाहिर करना कमजोरी नहीं है. दोस्तों, परिवार और साथी से खुलकर बात करें. मेंटल हेल्थ एक्सर्ट की मदद लेने में कोई शर्म की बात नहीं है. समाज को भी अपनी सोच बदलनी होगी. पुरुषों को भावनात्मक रूप से कमजोर दिखने की इजाजत देनी होगी. मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानिया को जेंडर के बेस पर नहीं देखा जाना चाहिए. अगर आपके आसपास कोई शादीशुदा मर्द डिप्रेशन में दिख रहा है, तो उससे बात करें और मदद करने की कोशिश करें जिससे वो खुशकुशी जैसा खौफनाक फैसला न ले.

 

Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्‍मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्‍यथित हों तो जीवन से हार मानने की कोई जरूरत नहीं. अच्‍छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्‍त हेल्‍पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.

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