लड़कियां पैरों में क्यों पहनती हैं चांदी की पायल? इस वजह से गोल्ड का नहीं होता इस्तेमाल
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लड़कियां पैरों में क्यों पहनती हैं चांदी की पायल? इस वजह से गोल्ड का नहीं होता इस्तेमाल

भारतीय महिलाएं चांदी की पायल पहनना पसंद करती है, क्योंकि ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन काफी कम लोग जानते हैं कि इसके इस्तेमाल से सेहत को भी कई तरह से फायदे होते हैं.

लड़कियां पैरों में क्यों पहनती हैं चांदी की पायल? इस वजह से गोल्ड का नहीं होता इस्तेमाल

नई दिल्ली: चांदी की पायल और बिछ‍िया को भारतीय महिलाओं के सुहाग से जोडकर देखा जाता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पायल न सिर्फ पैरों की खूबसूरती को बढ़ाती है, बल्‍क‍ि इसका सेहत पर भी सकारात्‍मक असर होता है. भारतीय प्राचीन ज्योतिषियों के अनुसार चांदी का संबंध चंद्रमा से है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की आंखों से चांदी की उत्पत्ति हुई थी, जिसके कारण चांदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसलिए भारतीय संस्‍कृत‍ि में चांदी की पायल की खास अहमियत है. लेकिन मिस्र और मिडिल ईस्ट देशों में इसे सेहत से जोड़कर भी देखा जाता है, इन मुल्कों में ऐसी मान्‍यता है कि पायल पहनने से शारीरिक और मानसिक सेहत पर सकारात्‍मक असर होता है और इसके लिए वो वजह भी बताते हैं. आप भी जानिये कि चांदी की पायल पहनने से आपकी सेहत को कैसे फायदा मिलता है.

  1. चांदी की पायल क्यों है खास
  2. सोने की पायल क्यों होता यूज?
  3. जानिए इसके पीछे का राज

शरीर से नहीं न‍िकलती एनर्जी

चांदी एक प्रतिक्रियाशील धातु है और यह किसी के शरीर से निकलने वाली ऊर्जा को वापस शरीर में लौटाती है. हमारी ज्यादातर एनर्जी हाथों और पैरों से हमारे शरीर को छोड़ती है और चांदी, कांसे जैसी धातुएं एक बाधा के रूप में कार्य करती हैं, जिससे ऊर्जा को हमारे शरीर में वापस लाने में मदद मिलती है. यानी चांदी का छल्‍ला, बिछिया और पायल हमारी ऊर्जा को बाहर नहीं निकलने देती. इसलिए पायल पहनने से ज्‍यादा ऊर्जावान और अधिक सकारात्मकता महसूस होती है. 

आखिर सोने की पायल क्‍यों नहीं पहनते?

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के अनुसार, चांदी पृथ्वी की ऊर्जा के साथ अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करती है, जबकि सोना शरीर की ऊर्जा और आभा के साथ अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करता है. इसलिए, चांदी को पायल या पैर की अंगुली के छल्ले/बिछिया के रूप में पहना जाता है, जबकि सोने का उपयोग शरीर के ऊपरी हिस्सों को सजाने के लिए किया जाता है. 

चांदी की कीटाणुनाशक खूबियां

इतिहास पर नजर डालें, तो चांदी की पहचान इसके जीवाणुरोधी गुणों के लिए की गई थी. हजारों साल पहले, जब नाविक लंबी यात्राओं पर यात्रा करते थे, तो वे अपने साथ चांदी के सिक्के ले जाते थे, उन सिक्कों को पानी की बोतलों में रख देते थे. वे चांदी वाला पानी पीते थे, क्योंकि यह एक अच्छा कीटाणुनाशक था. चांदी के आयन, बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं और यही बड़ी वजह है कि महिलाएं चांदी की पायल में निवेश करती हैं.

पैर नहीं होते हैं कमजोर

इसके अलावा महिलाएं रसोई में खड़े होकर घंटों काम करती हैं. शाम तक अक्‍सर उनके पैरों और पीठ में दर्द हो जाता है. चांदी रक्त संचार में सहायता करती है. वह पैरों को कमजोर नहीं पड़ने देती.

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है

इन फायदों के अलावा चांदी की पायल हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढाने और हार्मोनल बैलेंस में भी मददगार होती है. यह एक कारण है कि हमारे देश में शादीशुदा महिलाएं चांदी की बिछ‍िया पहनती हैं, क्योंकि यह गर्भाशय को स्‍वस्‍थ रखने में भी मदद करती है और मासिक धर्म के दर्द को भी कम करती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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