Coronavirus इंफेक्शन के इतने महीने बाद तक शरीर में बनी रहती है Antibodies, स्टडी में हुआ खुलासा
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Coronavirus इंफेक्शन के इतने महीने बाद तक शरीर में बनी रहती है Antibodies, स्टडी में हुआ खुलासा

एक बार कोरोना संक्रमण हो जाए उसके बाद खून में एंटीबॉडीज के रूप में वायरस के खिलाफ नेचुरल इम्यूनिटी बन जाती है. लेकिन यह एंटीबॉडीज कितने समय तक शरीर में रहती हैं, इस बारे में वैज्ञानिकों का क्या कहना है, यहां पढ़ें.

कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी

नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण (Coronavirus infection rate) की रफ्तार बीते कुछ दिनों में भले ही कुछ धीमी हो गई हो, लेकिन मरने वालों का आंकड़ा अब भी रोजाना 4 हजार से अधिक बना हुआ है. ऐसे में इस वायरस के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन (Covid vaccine) को ही माना जा रहा है. इसके अलावा कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी (Plasma therapy) को भी बेहद अहम माना जा रहा है और यह प्लाज्मा ही दरअसल एंटीबॉडीज (Antibodies) हैं जो कोरोना वायरस संक्रमण से पूरी तरह से रिकवर हो चुके मरीजों के खून में मौजूद होती हैं. 

  1. शरीर में 6 से 8 महीने तक रहती है एंटीबॉडीज
  2. कोरोना वायरस के खिलाफ नेचुरल इम्यूनिटी है एंटीबॉडीज
  3. संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है एंटीबॉडीज का बने रहना

आखिर क्या है एंटीबॉडीज?

एंटीबॉडी शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम (Immune system) शरीर में वायरस को बेअसर करने के लिए करता है. संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज बनने में कई बार एक हफ्ते से अधिक का समय भी लग सकता है. डॉक्टरों की मानें तो कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके सभी मरीजों के शरीर में एंटीबॉडीज बने ऐसा जरूरी नहीं है, लेकिन 98 प्रतिशत से अधिक मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित (Antibodies in patients blood) हो जाती है. 

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शरीर में कितने दिनों तक रहती हैं ये एंटीबॉडीज?

कोरोना वायरस जब से सामने आया है वैज्ञानिक और शोधकर्ता रोजाना इसे लेकर कोई न कोई शोध कर रहे हैं इन्हीं में से एक शरीर में एंटीबॉडीज की पहचान को लेकर किया जाने वाला शोध. साउथ कोरिया और इटली के वैज्ञानिकों ने अलग-अलग शोध किए जिसमें यह बात सामने आयी कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ज्यादातर मरीजों के खून में करीब 8 महीने तक वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज मौजूद रहती हैं (Antibodies last for 8 months).

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एंटीबॉडीज कितने दिन तक रहेगी यह संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर है

इसका मतलब ये हुआ कि जब तक शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज हैं तब तक वायरस से दोबारा संक्रमित होने का खतरा (Reinfection risk) कम हो जाता है. हालांकि मार्च में द लैन्सेट माइक्रोब जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में बताया गया कि किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज कुछ दिनों से लेकर कई सालों तक बनी रह सकती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज को कोविड-19 का कितना गंभीर संक्रमण हुआ था (Severity of covid infection).

वैज्ञानिकों की मानें तो जिस तरह से कोरोना संक्रमण के खिलाफ शरीर में बनी नेचुरल इम्यूनिटी 6 से 8 महीनों के अंदर समाप्त हो जाती है उसी तरह से अगर वैक्सीन से मिलने वाली इम्यूनिटी भी कुछ महीनों के बाद खत्म हो जाएगी तो भविष्य में कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए हर साल वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ेगी. 

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