हर पल मोबाइल चेक करने की लग रही है लत? मुंह बाए खड़ी है 'पॉपकॉर्न ब्रेन' प्रॉब्लम
Advertisement
trendingNow12538659

हर पल मोबाइल चेक करने की लग रही है लत? मुंह बाए खड़ी है 'पॉपकॉर्न ब्रेन' प्रॉब्लम

हमेशा मोबाइल-लैपटॉप के साये में रहने वाले लोगों में 'पॉपकॉर्न ब्रेन' की परेशानी अक्सर देखने को मिलती है. अगर आपको भी ऐसी आदत है तो तुरंत इसे सुधार लें, वरना देर हो जाएगी. 

हर पल मोबाइल चेक करने की लग रही है लत? मुंह बाए खड़ी है 'पॉपकॉर्न ब्रेन' प्रॉब्लम

What is Popcorn Brain: आजकल मोबाइल और लैपटॉप के बिना डेली लाइफ की कल्पना करना मुश्किल है लेकिन हमेशा इन गैजेट्स में घिरे रहने से एक बीमारी का खतरा बढ़ सकता है, जिसका नाम है 'पॉपकॉर्न ब्रेन' है. जिन लोगों को ये परेशानी पेश आती है वो कई स्लो एक्टिविटीज पर फोकस नहीं कर पाते. इस बीमारी का नाम यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन (University of Washington) के साइंटिस्ट डेविड एम लेवी (David M. Levy) ने दिया था.
 

 'पॉपकॉर्न ब्रेन' का असर
इसका नाम लगातार नोटिफिकेशन के पॉपिंग इफेक्ट्स, लाइक्स से क्विक डोपामाइन हिट और कंटेंट की इंडलेस से प्रभावित होता है. जबकि तकनीक ने हमारे जिंदगी जीने और कम्यूनिकेशन के तरीके को बदल दिया है, इसने मेंटल हेल्थ, प्रोडक्टिविटी और सोशल वेलबीइंग के लिए भी अहम चुनौतियां पेश की हैं और 'पॉपकॉर्न ब्रेन' उनमें से एक है.
 

'पॉपकॉर्न ब्रेन' होने की वजह

हर पिंग या नोटिफिकेशन इस अर्जेंसी को ट्रिगर करता है, दिमाग का अटेंशन जरूरी काम से हटा देता है. इसकी वजह से न सिर्फ डिस्ट्रप्टेड प्रोडक्टिविटी में होता है बल्कि एक हाइपर अलर्ट ब्रेन को बनाए रखने में भी होता है, जिससे स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है.

इंसान के दिमाग को अक्सर नयेपन की लत लग जाती है, इसी बात का फायदा डिजिटल कंपनीज उठाती हैं और आप लगातार ऐसे कंटेंट की सप्लाई देती है जो आपके दिमाग को घेर लेता है. इसमें सोशल नेटवर्किंग साइट, मैसेजिंग ऐप, लाइव स्ट्रीमिंग के जाल में फंसना शामिल है. इसकी वजह से शरीर में डोपामिन (Dopamine) रिलीज होता है, जिसे 'फील गुड हॉर्मोन' भी कहते हैं. 

'पॉपकॉर्न ब्रेन' के नुकसान

जब आप 'पॉपकॉर्न ब्रेन' के शिकार हो जाएं तो आप मीनिंगफुल काम से दूर चले जाते हैं, जैसे पॉजिटिव टॉक करना, किताबें पढ़ना, नए स्किल सीखना, ट्रैवल करना वगैरह. इसके कारण अक्सर डिप्रेशन, एंग्जाइटी और अजीब सी फीलिंग हो सकती है. वो कनेक्टेड रहने का प्रेशर महसूस करते हैं. इसके अलावा लगातार स्कीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है, साथ ही ये नींद को भी डिस्टर्ब करने के लिए काफी है.

 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

TAGS

Trending news