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न्यूयॉर्क: एक स्टडी में पाया गया है कि शुगर (Diabetes) से पीड़ित लोग जिन्हें बार-बार स्ट्रोक आता है, उनके लिए स्ट्रोक या दिल के दौरे जैसे कई तरह की वैस्कुलर डिजीज के जोखिम को कम करने के लिए एक सही बीपी लिमिट हो सकती है. स्टडी के अनुसार, A1 C के स्तर के साथ अस्पताल में भर्ती लोगों का औसत बीपी के स्तर को निर्धारित करने के लिए एक परीक्षण किया, जिसमें 6.8 प्रतिशत से 7 प्रतिशत की सीमा से अधिक होने पर दिल का दौरा पड़ने जैसी घटना होने के साथ-साथ स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है.
कोरिया में सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन (SNUCM) के शोधकर्ता मून-कू हान (Moon-Ku Han) ने कहा, 'हम जानते हैं कि शुगर होने से स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ सकता है. लेकिन हमारे रिजल्ट्स बताते हैं कि बीपी का स्तर 6.8 प्रतिशत से 7 प्रतिशत की लिमिट में सही है, जो स्ट्रोक और दिल का दौरा या अन्य वैस्कुलर डिजीज के जोखिम को कम कर सकता है.' इस स्टडी के लिए, जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित, टीम में 70 वर्ष की औसत आयु के साथ 18,567 शुगर पेशेंट शामिल किए थे. इन सभी को इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic Stroke) के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो रक्त के थक्के (Blood Clots) के कारण होता है.
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शोधकर्ताओं ने पिछले दो से तीन महीनों में लोगों के औसत बीपी के स्तर को निर्धारित करने के लिए हीमोग्लोबिन ए 1सी (Hemoglobin A 1C) नामक एक परीक्षण किया. यह परीक्षण चीनी के साथ कोटिड ब्ल्ड में हीमोग्लोबिन प्रोटीन के प्रतिशत को मापता है. 5.7 प्रतिशत से नीचे के स्तर को सामान्य माना जाता है; 6.5 प्रतिशत या इससे अधिक सामान्यत: शुगर का संकेत देते हैं. प्रतिभागियों का औसत ए1सी 7.5 प्रतिशत रहा है.
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