जोधपुर लोकसभा में बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत को मिला जनता का साथ
राजस्थान की जोधपुर लोकसभा सीट को वीआईपी सीट भी कहा जाता है क्योंकि यह सीएम अशोक गहलोत का गृहजनपद है.
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जोधपुर: भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान की जोधपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर ली है. जोधपुर लोकसभा सीट की जनता ने बीजेपी को वोट देकर गजेंद्र सिंह शेखावत को अपना नेता चुन लिया है. वहीं लोकसभा चुनाव 2019 के आ रहे नतीजों को देखकर यह कहना होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव ने राजस्थान के राजनीतिक इतिहास को पलट कर रख दिया है.
जोधपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां 2014 में हुए आम चुनाव में उन्होंने इस सीट पर जोधपुर के राजघराने की बेटी और कांग्रेस की उम्मीदवार चंद्रेश कुमारी कटोच को बीजेपी के गजेंद्र सिंह ने 4,10,051 वोटों से हराया था. साल 2014 में इस क्षेत्र में कांग्रेस दूसरे और बीएसपी तीसरे स्थान पर थी. बता दें, राजस्थान की जोधपुर लोकसभा सीट को वीआईपी सीट भी कहा जाता है क्योंकि यह सीएम अशोक गहलोत का गृहजनपद है.
जोधपुर लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा सीटे हैं और इस क्षेत्र में पहला लोकसभा चुनाव साल 1952 में हुआ था. इस चुनाव में जसवंत राज मेहता ने निर्दलीय ही जीत हासिल की थी. हालांकि, बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे और कांग्रेस की टिकट पर जीते थे. जिसके बाद 1962 का चुनाव फिर से निर्दलीय उम्मीदवार एल.एम सिंघवी ने जीता था.
वहीं 1967 के चुनाव में यह सीट फिर से कांग्रेस के खाते में चली गई और एनके सांघवी ने जीत हासिल की. जिसके बाद 1971 का चुनाव कृष्णा कुमारी ने यहां निर्दलीय जीता था. 1977 में यहां जनता पार्टी जीती जबकि 1980 में पहली बार कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे. जिसके बाद वह लगातार दो बार इस सीट पर सांसद रहे लेकिन 1989 में इस सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने जीत दर्ज की. हालांकि, 1991 का चुनाव फिर से यहां कांग्रेस ने जीता और लगातार तीन बार फिर से अशोक गहलोत यहां से सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे.
वहीं 1999 के चुनाव में यहां बीजेपी की वापसी हुई और जसवंत सिंह विश्नोई यहां से एमपी बने. वो भी लगातार दो बार यहां से सांसद चुने गए लेकिन साल 2009 का चुनाव यहां पर कांग्रेस ने जीता और चन्द्रेश कुमारी कटोच ने यहां से जीत दर्ज की लेकिन साल 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और ये सीट बीजेपी के खाते में चली गई और गजेंद्रसिंह शेखावत यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.