11 अप्रैल से 23 मई तक का लोकसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित हो चुका है. इस बीच 6 मई से रमजान का महीना शुरू हो रहा है.
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सहारनपुर (नीना जैन) : रमजान के दौरान पड़ रहे लोकसभा चुनावों के कार्यक्रम पर राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं. अब सहारनपुर के एक देवबंदी उलेमा ने भी चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर मांग की है. मदरसा जामिया शैखुल हिन्द के उलेमा मुफ्ती कासमी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि देश में लोकसभा चुनाव ईद के बाद कराए जाएं. बता दें कि 11 अप्रैल से 23 मई तक का लोकसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित हो चुका है. इस बीच 6 मई से रमजान का महीना शुरू हो रहा है.
देवबंदी उलेमा ने चुनाव आयोग से ईद के बाद चुनाव कराने की मांग की है. उनका कहना है कि इस पवित्र महीने में मुसलमान रोजा रखकर इबादत में व्यस्त रहते हैं. उलेमा ने कहा कि चुनाव आयोग की तरफ से जो ऐलान किया गया है, रमजान उल मुबारक में चुनाव की घोषणा की गई है, तो मैं चुनाव आयोग से यही मांग करता हूं कि मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान है. इसके लिए मुसलमान पूरे साल इंतजार करते हैं और रमजान में पूरे दिन रोजा रहते हैं.
उन्होंने कहा कि ऐसे में चुनाव आयोग को चाहिए की रमजान के अलावा आगे वक्त बढ़ा दिया जाए. ताकि मुसलमान अपनी इबादत में लगे रहें. जब वे अपनी इबादत से फ्री हो जाएं तो उसके बाद में वोट आसानी के साथ में डाल सकें. आयोग को चुनाव की तारीख बढ़ा देनी चाहिए. उनका कहना है हम तो कहते हैं कि रमजान के अलावा और ईद के बाद चुनाव होना चाहिए.
बता दें कि 11 अप्रैल से प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम के बीच पड़ रहे रमजान महीने में वोटिंग की तारीखों को लेकर उठ रहे विवाद पर चुनाव आयोग ने सोमवार को अपना पक्ष साफ किया. चुनाव आयोग ने कहा है कि रमजान के पूरे महीने हम चुनाव को नहीं रोक सकते. हालांकि त्योहार के मुख्य दिन और शुक्रवार यानी जुमे वाले दिन मतदान नहीं आयोजित किया गया है. बता दें कि रमजान के महीने में चुनाव को लेकर तृणमूल कांग्रेस समेत कुछ दलों ने विरोध किया है.
11 अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम के दौरान रमजान का महीना भी पड़ेगा. चुनाव आयोग की ओर से रविवार को घोषित किए गए लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम पर तृणमूल कांग्रेस के नेता और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने चुनावों को लेकर बीजेपी पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी नहीं चाहती कि अल्पसंख्यक मतदान करें. इसलिए रमजान के दौरान रोजे का ख्यान नहीं रखा गया है. लेकिन हम चिंतित नहीं हैं. हम वोट डालेंगे.
फिरहाद हकीम ने कहा है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, हम इसका सम्मान करते हैं. हम उसके खिलाफ कुछ भी नहीं बोलना चाहते. 7 चरणों का चुनाव तीन राज्यों बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए कठिन होगा. यह उनके लिए और अधिक कठिन होगा जो रमजान में रोजा रखते हैं. क्योंकि इसी समय रमजान महीना भी होगा. उनका कहना है कि इन तीनों राज्यों में अल्पसंख्यकों की आबादी कहीं अधिक है. वे सभी रोजा रखते हुए अपना वोट डालेंगे. चुनाव आयोग को इसका ख्याल रखना चाहिए था.
वहीं एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राजनीतिक दलों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि इस पूरे विवाद की कोई जरूरत ही नहीं है. मैं राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे किसी भी कारण से खुद के फायदे के लिए मुस्लिम समुदाय और रमजान का इस्तेमाल ना करें. उन्होंने कहा कि रमजान के दौरान मुस्लिमों के मतदान में कोई फर्क नहीं पड़ेगा.