सारण सीट पर जातीय समीकरण की गोलबंदी और मोदी फैक्टर प्रभावित करेगा चुनाव परिणाम
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सारण सीट पर जातीय समीकरण की गोलबंदी और मोदी फैक्टर प्रभावित करेगा चुनाव परिणाम

सारण में राजग प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी और राजद के चंद्रिका राय के बीच कड़ी टक्कर में जातीय गोलबंदी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.

सारण में राजीव प्रताप रूडी और चंद्रिका राय के बीच टक्कर है. (फाइल फोटो)

सारणः आपातकाल में सम्पूर्ण क्रांति के सूत्रधार रहे जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली सारण में राजग प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी और राजद के चंद्रिका राय के बीच कड़ी टक्कर में जातीय गोलबंदी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. 'राजपूत' और 'यादव' बहुल बिहार राज्य के सारण संसदीय क्षेत्र में जातीय समीकरण की गोलबंदी और मोदी फैक्टर चुनाव परिणाम को काफी हद तक प्रभावित करेगा. 

चुनाव प्रचार के दौरान राजग के कार्यकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों के अलावा स्थानीय मुद्दों जैसे बेहतर सड़क, दियारा क्षेत्रों में आजादी के बाद पहली बार पहुंची बिजली, लगभग हरेक प्रखंडों में पावर सब स्टेशन की स्थापना जैसे विकास कार्यो की की चर्चा कर रहे हैं. वहीं मढ़ौरा में डीजल इंजन कारखाना, बेला में रेल चक्का फैक्टरी के कार्य पर दोनों गठबंधन अपना अपना दावा कर रहे हैं.

छपरा निवासी नीरज कुमार कहते हैं, 'छपरा- मुजफ्फरपुर रेल लाइन की स्वीकृति और गंगा पर पुल स्वीकृति, गांव तक में बिजली पहुंचाना और ग्राम पंचायतों तक एंबुलेंस की सुविधा देना क्षेत्र के विकास के बडे़ कामों में हैं.' हालांकि लोग अभी भी पेयजल, यातायात व्यवस्था और बेरोजगारी की समस्या से नाराज हैं.

सारण में अलग अलग क्षेत्रों में ‘स्किल इंडिया’ के ट्रेनिंग सेंटर खोले गए हैं. ‘स्किल इंडिया’ की वेबसाइट की बात करें तो सारण में करीब बीस सेंटर चल रहे हैं. लेकिन कितनी नौकरियां मिली हैं? किन्हें मिली हैं, किस कंपनी में नौकरियां मिलीं? उनकी तनख्वाह कितनी है? इसके बारे में जानकारी नहीं है. इस लिहाज से रोजगार यहां एक प्रमुख मुद्दा है.

सोनपुर के जगदीश राय कहते हैं कि रोजगार और शिक्षा बड़ा मुद्दा है. शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है जिसके कारण बच्चों को पढ़ाने के लिये बाहर भेजना पड़ता है, खर्च बढ़ जाता है और इसके कारण परेशानी भी. पढ़ने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है. इस विषय पर ध्यान देने की जरूरत है.

लोकसभा चुनाव में सारण सीट पर 12 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला राजग प्रत्याशी भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूडी और महागठबंधन के प्रत्याशी एवं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय के बीच ही है. चंद्रिका राय इसी संसदीय क्षेत्र के परसा से विधायक हैं. वे पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय के पुत्र हैं.

राजीव प्रताप रूडी कहते हैं कि विकसित भारत, सुरक्षित भारत एवं नए भारत के निर्माण के लिए देश में पुन: मोदीजी के नेतृत्व में सरकार बननी चाहिए. ‘‘मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनेगी. इसमें बिहार से 40 सीटों का योगदान होगा और सारण संसदीय क्षेत्र इसका मानक होगा.’’ वहीं, चंद्रिका राय ने कहा कि भाजपा वाले न रोजगार की बात करते हैं और न विकास की. वे केवल जातपात, मजहब के आधार पर वोट मांग रहे हैं. जमीनी हकीकत यह है कि इस सीट पर मल्लाह, बिंद, नोनिया और अनुसूचित जाति सहित समाज का बड़ा वर्ग भाजपा के खिलाफ है.

राय इस सीट पर अपने दामाद एवं लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव के विरोध को कोई तवज्जो नहीं देते हैं. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि सब कुछ जनता के हाथ में होता है, जनता चाहती है तो बना देती है, नहीं चाहती तो बिगाड़ देती है.

राजपूत और यादव बहुल सारण संसदीय क्षेत्र में निर्णायक वोट वैश्यों और मुस्लिमों का माना जाता है. एम-वाई यानी मुस्लिम और यादव समीकरण बनाकर लालू प्रसाद इस सीट से चार बार सांसद रहे हैं, जबकि राजपूत और वैश्यों की गोलबंद से भाजपा के रूडी इस सीट से तीन बार चुने गए. 

चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि इस चुनाव में भी जातीय समीकरण की गोलबंदी से ही परिणाम तय होगा जिसमें अति पिछड़ों एवं भूमिहार मतदाताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है. इस सीट पर लालू प्रसाद चार बार और राजीव प्रताप रूडी तीन बार जीते. इस बार भी यहां मुख्य मुकाबला राजद और राजग के बीच ही है.

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