पाटीदार नेता हार्दिक पटेल सुरेंद्रनगर में जब एक रैली को संबोधित कर रहे थे तभी अचानक मंच पर एक शख्स आया और उसने उनको थप्पड़ जड़ दिया.
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सुरेंद्रनगर: पाटीदार नेता हार्दिक पटेल सुरेंद्रनगर के एक गांव में जब लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) रैली को संबोधित कर रहे थे तभी अचानक मंच पर एक शख्स आया और उसने उनको थप्पड़ जड़ दिया. उसके बाद वहां जोरदार हंगामा हो गया. हार्दिक पटेल ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ज्वाइन की थी. वह जामनगर से चुनाव भी लड़ना चाहते थे लेकिन कोर्ट में लंबित एक मामले की वजह से वह नहीं लड़ सके.
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दंगा भड़काने के दोषी
हालांकि गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल दो अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. हार्दिक की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा जब हार्दिक की सजा अगस्त 2018 में हुई थी तो आज क्या आफत आ रही है. बता दें कि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को दंगा भड़काने के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया है.
#WATCH Congress leader Hardik Patel slapped during a rally in Surendranagar,Gujarat pic.twitter.com/VqhJVJ7Xc4
— ANI (@ANI) April 19, 2019
दरअसल, हार्दिक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी. मेहसाणा में 2015 के एक दंगा मामले में दोषी होने पर रोक लगाने से गुजरात हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया था. 2 साल से ज़्यादा सज़ा के मामले में दोषी हार्दिक चुनाव लड़ने के अयोग्य है. गुजरात हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें मेहसाणा में 2015 के एक दंगा मामले में उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी.
'चुनाव लड़कर समाज का काम करना चाहते हैं'
पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर विसनगर सेशन कोर्ट की ओर से उन्हें सुनाई गई सजा को स्थगित करने की मांग की थी. भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी के मामले में हार्दिक व उनके साथियों को दो साल से अधिक की सजा सुनाई गई थी. हार्दिक के वकील आईएच सैयद व रफीक लोखंडवाला ने न्यायाधीश उरेजी की अदालत में कहा था कि हार्दिक लोकसभा चुनाव लड़कर समाज का काम करना चाहते हैं, लेकिन अदालत की सजा के चलते कानूनन इसके लिए अयोग्य हैं, इसलिए निचली अदालत की सजा को स्थगित किया जाए.