लोकसभा चुनाव 2019 के लिए आंधप्रदेश में पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान हुआ. कडपा को वाईएसआर कांग्रेस का गढ़ माना जा सकता है. पार्टी का यहां पर पिछले 10 वर्ष से कब्जा है. टीडीपी के इस किले को फतह करना मुश्किल है.
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए आंधप्रदेश में पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान हुआ. कडपा को वाईएसआर कांग्रेस का गढ़ माना जा सकता है. पार्टी का यहां पर पिछले 10 वर्ष से कब्जा है. टीडीपी के इस किले को फतह करना मुश्किल है. वाईएसआर कांग्रेस ने अपने मौजूदा सांसद अविनाश रेड्डी पर फिर से भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है. उधर, टीडीपी ने आदिनारायण रेड्डी पर फिर से दांव लगाया है. कांग्रेस ने गुंडाला कुंटा श्रीरामुलू जबकि बीजेपी ने सिंगा रेड्डी रामचंद्र रेड्डी को कमल खिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है.
कडपा जगमोहन रेड्डी के पिता वायएस राजशेखर रेड्डी की परंपरागत सीट रही है. टीडीपी ने 1984 की लहर में कांग्रेस से यह सीट छीन ली लेकिन इसके बाद राजशेखर रेड्डी लगातार चार बार यहां से सांसद चुने गए. इसके बाद तो इस सीट से टीडीपी कभी वापसी नहीं कर पाई. राजशेखर जब मुख्यमंत्री बन गए तो इस सीट से उनके छोटे भाई वायएस विवेकानंद रेड्डी चुनाव लड़ने लगे.
2004 के बाद समीकरण बदल गए. 2009 के चुनाव में जगमोहन रेड्डी ने अपनी पार्टी वायएसआर कांग्रेस से यहां से चुनाव लड़ा. उन्होंने 178846 वोट से जीत हासिल की. उन्होंने टीडीपी के पलेम श्रीकांत रेड्डी को हराया. 2014 के चुनाव में जगमोहन ने इस सीट से अविनाश रेड्डी को मैदान में उतारा. टीडीपी ने भी चेहरा बदला और श्रीनिवास रेड्डी पर दांव लगाया लेकिन निराशा हाथ लगी. अविनाश रेड्डी ने श्रीनिवास रेड्डी को 190323 वोटों से हराया.
कभी सीपीआई का गढ़ थी यह सीट
1952 से 1977 तक यह सीट सीपीआई का गढ़ थी. लगातार चार बार इस सीट से जीत हासिल की थी. 1977 के आपातकाल के बाद जब चुनाव हुए तब सीपीआई चुनाव हार गई. फिर कभी सीपीआई की वापसी नहीं हो सकी. 1977 से 1984 तक कांग्रेस इस सीट पर काबिज रही लेकिन 1984 में टीडीपी की लहर में कांग्रेस यह सीट गंवा बैठी. हालांकि 1989 में वायएस राजशेखर रेड्डी को कांग्रेस ने जिम्मा सौंपा, फिर 2004 तक कांग्रेस से कोई अन्य पार्टी नहीं जीत सकी.