कौन हैं केपी यादव, जिन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता 'महाराज' का किला ढहाया
दिलचस्प बात यह है कि केपी यादव एक समय ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही खास सिपहसालार माने जाते थे.
Trending Photos
)
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार कृष्णपाल (केपी) यादव ने कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को सवा लाख वोटों से पराजित कर अपना इतिहास में नाम दर्ज करा दिया है क्योंकि इस सीट पर सिंधिया राजघराने की तीन पीढ़ियों का कब्जा रहा और यह परिवार कोई चुनाव नहीं हारा था. दिलचस्प बात यह है कि केपी एक समय सिंधिया के ही खास सिपहसालार माने जाते थे.
विधानसभा टिकट पर मनमुटाव
स्थानीय सूत्रों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी रहे केपी यादव अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट से 2018 के विधानसभा चुनावों में अपने लिए कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे. सिंधिया ने भी केपी के लिए हामी भर दी थी और उनसे क्षेत्र में प्रचार करने को कह दिया गया था, लेकिन ऐन मौके पर उनका टिकट काट दिया गया.
यह भी पढ़ें- कभी श्रीमंत के साथ सेल्फी के लिए दौड़ते थे आगे-पीछे, उसी केपी ने दिया जिंदगीभर सालने वाला दर्द
बीजेपी का दामन थामा
इससे नाराज केपी यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया. हालांकि, विधानसभा चुनावों में उनको कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह यादव से करीबी हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद बीजेपी ने उनको लोकसभा चुनाव में सिंधिया के खिलाफ उतार दिया.
8 विधानसभा सीट
आपको बता दें कि गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट तीन जिलों की 8 विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है. गुना जिले की बमोरी और गुना, अशोकनगर जिले की चंदेरी, मुंगावली और अशोकनगर समेत शिवपुरी जिले की पोहरी, कोलारस और शिवपुरी विधानसभा इस संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं.
कोई नहीं हरा पाया था
सिंधिया राजघराने के परिवार की तीन पीढ़ियों को गुना लोकसभा सीट से 14 बार सांसद के तौर जनता ने चुनकर भेजा है. सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया 6 बार गुना से सांसद रहीं, तो उनके पिता माधवराव 4 बार चुने गए थे। ज्योतिरादित्य ने भी चार बार इस क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया. बीजेपी ने इससे पहले जयभान सिंह पवैया, नरोत्तम मिश्रा को भी ज्योतिरादित्य के खिलाफ मैदान में उतारा था, लेकिन वे भी खेत रहे थे.