लोकसभा चुनाव 2019: कांकेर बीजेपी का रहा है गढ़, इस बार कौन होगा विजेता!
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लोकसभा चुनाव 2019: कांकेर बीजेपी का रहा है गढ़, इस बार कौन होगा विजेता!

कांकेर जिला रायपुर से महज 140 किलोमीटर दूर है, लेकिल हाल के वर्षों में यह जिला नक्सली हिंसा से प्रभावित रहा है. यह पहले बस्तर जिले का ही हिस्सा था, लेकिन 1998 में कांकेर को एक जिले के तौर पर पहचान मिली थी

लोकसभा चुनाव 2019: कांकेर बीजेपी का रहा है गढ़, इस बार कौन होगा विजेता!

नई दिल्ली: बीते चुनाव में छत्तीसगढ़ की कांकेर सीट पर बीजेपी ने बेहतरीन जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार यहां कांग्रेस प्रत्याशी का पक्ष भी दमदार लग रहा है. कांकेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने बिरेश ठाकुर और भारतीय जनता पार्टी से मोहन मंडावी को मैदान में उतारा है. 

इनके साथ ही बहुजन समाज पार्टी ने सूबे सिंह ध्रुव, शिवसेना ने उमाशंकर भंडारी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने घनश्याम जूरी, अंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया ने दुर्गा प्रसाद ठाकुर और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी ने मथन सिंह मरकम के साथ नरेंद्र नाग और हरि सिंह सिदार बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.

पिछले चुनाव की बात करें तो साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के विक्रम उसेंडी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के फूलो देवी नेतम को हराया था. पिछले चुनाव में बीजेपी के विक्रम उसेंडी को चार लाख 65 हजार 215 वोट यानी 45.75 फीसदी वोट मिले थे, जबकि फूलो देवी नेतम को 4 लाख 30 हजार 57 वोटों से संतोष करना पड़ा था. 

अगर साल 2009 के लोकसभा चुनाव को देखें, तो कांकेर सीट से बीजेपी के सोहन पोटाई ने जीत दर्ज की थी. उनको  3 लाख 41 हजार 131 वोट यानी 45.99 फीसदी वोट मिले थे और कांग्रेस की फूलो देवी नेतम को हार का सामना करना पड़ा था. साल 2014 में 68.07 फीसदी और साल 2009 में 57.20 प्रतिशत मतदान हुए थे.

कांकेर शहर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर और जगदलपुर के बीच में पड़ती है. कांकेर जिला रायपुर से महज 140 किलोमीटर दूर है, लेकिल हाल के वर्षों में यह जिला नक्सली हिंसा से प्रभावित रहा है. यह पहले बस्तर जिले का ही हिस्सा था, लेकिन 1998 में कांकेर को एक जिले के तौर पर पहचान मिली थी. साल 1996 तक ज्यादातर कांग्रेस ने यहां से निर्विरोध जीत हासिल की थी, लेकिन 1998 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.

बीजेपी के आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने इस सीट से लगातार चार बार (1998-2009) जीत हासिल की थी. हालांकि सोहन पोटाई को साल 2016 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बीजेपी ने निष्कासित कर दिया था.

कांकेर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की आठ सीटें आती हैं. इनमें से 6 विधानसभा सीटें अनूसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं. कांकेर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों में गुंडेरदेही, संजारी बालोद, सिहावा (एसटी), डोंडी लोहार (एसटी), अंतागढ़ (एसटी), भानु्प्रतापपुर (एसटी), कांकेर (एसटी), केशकाल (एसटी) शामिल हैं.

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