अमरेली लोकसभा सीट पर 1991 के बाद से अब तक केवल एक बार ही कांग्रेस को जीत हासिल हुई है.
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अमरेलीः गुजरात राज्य का अमरेली जिला खेती के लिए जाना जाता है. यह कपास, मूंगफली और गेहूं की बड़ी पैदावार के लिए जाना जाता है. यहां राजुला में देश का सबसे बड़ा सीमेंट प्लांट स्थित है. अमरेली लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा काफी समय से रहा है. 2014 में नारनभाई कछाड़िया ने बीजेपी के टिकट से जीत हासिल की थी.
1957 में पहली बार यहां लोकसभा चुनाव हुआ था. हालांकि उस वक्त यह गिरनार सीट के अंतर्गत आती थी. वहीं, 1962 में अमरेली लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस ने जीत होसिल की थी. 1962 से लेकर 1984 तक यहां कांग्रेस का राज रहा. वहीं, 1991 में बीजेपी ने यहां पहली बार जीत दर्ज की थी. जिसके बाद यह बीजेपी का गढ़ बन गया.
1991 के लोकसभा चुनाव में दिलीप संघानी को बीजेपी की ओर से टिकट दिया गया. जिसमें दिलीप संघानी ने बीजेपी को जीत दिलाई. दिलीप संघानी ने 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार चार बार अमरेली सीट पर जीत दर्ज की थी. हालांकि 2004 के लोकसभा चुनाव में दिलीप संघानी को कांग्रेस की टिकट से वृजभाई से शिकस्त मिली.
1984 के बाद कांग्रेस को केवल 2004 में अमरेली सीट को जीतने का मौका मिला. वहीं, 2009 में बीजेपी ने इस सीट पर फिर से वापसी कर ली. 2009 में नारनभाई कछाड़िया को बीजेपी की ओर टिकट मिला और उन्होंने जीत हासिल की. वहीं, 2014 में भी नारनभाई कछाड़िया ने फिर से जीत दर्ज की. अगर इस बार उन्हें मौका मिलता है तो वह अमरेली सीट पर हैट्रिक जीत लगा सकते हैं.
हालांकि अमरेली सीट पर इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार के साथ-साथ पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का भी बीजेपी को सामना करना पर सकता है. क्योंकि माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल इस सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए अमरेली सीट पर चुनौती मिल सकती है. वहीं, कांग्रेस का भी बीजेपी के गढ़ वापसी करना आसान नहीं होगा.