1996 से लेकर अब तक इस सीट पर समाजवाटी पार्टी का कब्जा रहा है. यहां मुलायम सिंह यादव के परिवार ने राज किया है. इस बार इस सीट से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव फिर चुनाव लड़ रहे हैं.
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नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) में उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट पर इस बार भी सबकी नजरें हैं. यह हॉट सीट समाजवादी पार्टी का अभेद किला रही है. 1996 से लेकर अब तक इस सीट पर समाजवाटी पार्टी का कब्जा रहा है. यहां मुलायम सिंह यादव के परिवार ने राज किया है. इस बार इस सीट से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव फिर चुनाव लड़ रहे हैं. 23 मई को आ रहे चुनाव परिणामों में यह सीट सपा के लिए अहम साबित होगी.
क्या है राजनीतिक इतिहास
साल 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बादशाह गुप्ता मैनपुरी के पहले सांसद बने थे. 1957 में यहां प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की. 1962 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा. 1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल के रघुनाथ सिंह वर्मा यहां से विजयी हुए, जो अगले चुनाव में जनता दल (सेक्युलर) के टिकट पर यहां लड़े और फिर से जीते.
1989 से नहीं लौटी कांग्रेस
साल 1989 में इस सीट पर जनता दल ने जीत हासिल की. 1991 में जनता पार्टी की टिकट से यहां उदय प्रताप सिंह जीते. 1996 में पहली बार समाजवादी पार्टी के संरक्षक और नेता मुलायम सिंह यादव मैनपुरी सीट से विजयी हुए, उनके बाद उनकी ही पार्टी के नेता चौधरी बलराम सिंह यहां से लगातार 2 बार (1998 और 1999) जीते. 2004 में मुलायम सिंह दोबारा यहां के सांसद बने, पर कुछ ही महीनों बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया, जिसकी वजह से 2004 में मैनपुरी में उपचुनाव हुए जिसमें उन्हीं के भतीजे धर्मेन्द्र यादव चुनाव जीते. 2009 में तीसरी बार मुलायम सिंह मैनपुरी के सांसद बने.
मुलायम के पोते तेज प्रताप उप चुनाव में जीते थे
2014 के लोकसभा चुनाव में भी यहां से समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे, लेकिन उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया था, जिसके बाद उनके पोते तेजप्रताप सिंह यादव उपचुनाव में बड़े अंतर से जीत कर लोकसभा पहुंचे.