2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली के चांदनी चौक से कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा.
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) अपने अंतिम दौर में है और 23 मई को चुनावी नतीजों के साथ तय हो जाएगा कि देश में किसी सरकार बनेगी. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट चर्चाओं में बनी हुई है. दरअसल, अमेठी लोकसभा सीट से बीजेपी नेता स्मृति ईरानी दूसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. स्मृति ईरानी ने राजनीति में आने से पहले सिनेमा के छोटे पर्दे पर काफी नाम कमाया.
आइए जानते हैं स्मृति ईरानी से जुड़ी कुछ बातें...
1. स्मृति ईरानी का जन्म 23 मार्च, 1976 को दिल्ली में हुआ था. स्मृति के पिता पंजाबी और मां बंगाली थीं. स्मृति तीन बहनों में सबसे बड़ी थीं. स्मृति जब वह दसवीं कक्षा में थीं, तभी से उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था.
2. स्मृति ईरानी को एक ब्यूटी प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए रोजाना के 200 रुपए मिलते थे. 1998 में स्मृति मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर पहली बार चर्चा में आई थीं. यहां से उन्हें सफलता नहीं, पर पहचान मिली.
3. 1998 के बाद स्मृति मुंबई चली गईं. वहां शुरुआती दिनों में उन्होंने पैसे कमाने के लिए एक फूड स्टोर में काम किया. 2001 में वह पारसी व्यापारी जुबिन ईरानी के साथ शादी के बंधन में बंध गईं.
4. काम की तलाश में ईरानी तब सफल हुईं जब उन्हें एकता कपूर का सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू' मिला था. इस सीरियल में स्मृति ने तुलसी का किरदार निभाया था जो घर-घर में खूब पसंद किया गया था. इस सीरियल ने स्मृति को खूब पहचान दिलाई.
5. 2003 में स्मृति ने अभिनय छोड़ दिया और राजनीति में एंट्री की. 2004 में वह बीजेपी महाराष्ट्र की युवा शाखा की उपाध्यक्ष बनीं.
6. 2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली के चांदनी चौक से कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा. हालांकि वह यह चुनाव हार गईं. फिर उन्हें बीजेपी की केंद्रीय समिति का एग्जीक्यूटिव मेंबर बनाया गया और 2010 में वह पार्टी की राष्ट्रीय सचिव और महिला विंग की अध्यक्ष बनाई गईं.
7. 2011 में स्मृति को राज्यसभा का सदस्य बनाया गया. 2014 में उन्होंने अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस दौरान उन्होंने राहुल को कड़ी टक्कर दी लेकिन वह एक लाख वोटों से हार गईं.
8. राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव हारने के बावजूद 2014 में उन्हें केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया गया. बाद में उन्हें केंद्रीय कपड़ा मंत्री बनाया गया.