कोरापुट सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है. कांग्रेस यहां से सिर्फ दो ही चुनाव हारी. हालांकि पिछले दो चुनाव जीतकर बीजेडी ने इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत की है.
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नई दिल्ली: ओडिशा के कोरापुट लोकसभा सीट पर पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को वोट डाले गए. कोरापुट सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है. कांग्रेस यहां से सिर्फ दो ही चुनाव हारी. हालांकि पिछले दो चुनाव जीतकर बीजेडी ने इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत की है.
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेडी के झीना हिक्का को 3 लाख 95 हजार 109 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के गिरधर गमांग को 3,75,781 मिले और वह दूसरे नंबर से संतोष करना पड़ा.
कोरापुट का राजनीतिक इतिहास
1957 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए और कांग्रेस के जगन्नाथ सिंह यहां से चुनाव जीते. 1957 में ही यहां पर उपचुनाव हुआ एक बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की. इसके बाद 1962, 1967, 1971 के चुनावों में कांग्रेस की जीत का सिलसिला जारी रहा. 1972 में इस सीट से पहली बाहर कांग्रेस के टिकट पर गिरधर गामांग ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद उनका इस सीट पर वर्चस्व स्थापित हो गया. इसके बाद 1977, 1980, 1984, 1989, 1991, 1996, वह इस सीट से चुनाव जीतते रहे. 1998 उनकी पत्नी हेमा गोमांग ने यहां से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2004 में एक बार फिर गिरधर गोमांग इस सीट पर चुनाव के मैदान में उतरे और उन्होंने जीत हासिल की.
2004 के बाद इस सीट पर सियासी गणित बदलने लगा दरअसल बीजेडी ने अपने गठन के बाद यहां कांग्रेस को मजबूत चुनौति पेश की जिसकी वजह से 2009 और 2014 के चुनावों में यहां से बीजेडी ने जीत दर्ज की.