आतंकियों को छोड़ने की परंपरा बीजेपी सरकारों की है BSP की नहीं: मायावती
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आतंकियों को छोड़ने की परंपरा बीजेपी सरकारों की है BSP की नहीं: मायावती

मायावती ने कहा कि आतंकी मसूद को भी बीजेपी ने ही छोड़ा था जो अब सबसे बड़ा सरदर्द है.  

बीएसपी चीफ मायावती (फाइल फोटो)

नई दिल्ली/नागपुर: बीएसपी प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. मायवाती ने कहा कि आतंकियों को छोड़ने की गलत परंपरा बीजेपी सरकारों की है बीएसपी की नहीं. वहीं नागपुर में आयोजित एक रैली में भी मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए. 

मायावती ने ट्वीट कर दावा किया, 'बीजेपी और खुद पीएम नरेंद्र मोदी अपनी संभावित हार से इतने ज्यादा भयभीत हैं कि उन्हें खुद नहीं पता कि वे किस पर क्या व कैसा मिथ्या आरोप लगा रहे हैं. आतंकियों को छोड़ने की गलत परम्परा बीजेपी सरकारों की है बीएसपी की नहीं. आतंकी मसूद को भी बीजेपी ने ही छोड़ा था जो अब सबसे बड़ा सरदर्द है.  

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एक अन्य ट्वीट में बीएसपी प्रमुख ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी की इंदिरा सरकार में देश ने इमरजेन्सी का दंश झेला किंतु बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार की अघोषित राजनैतिक इमरजेंसी के साथ-साथ नोटबन्दी की आर्थिक इमरजेंसी दोनों की ही जबर्दस्त मार से 130 करोड़ जनता जूझ रही है और इस निरंकुश जनविरोधी सरकार से मुक्ति चाहती है.

Mayawati says tradition of leaving the terrorists started by the BJP Governments

वहीं शुक्रवार को नागपुर की एक रैली में मायावती ने जमकर बीजेपी और कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, कांग्रेस को अपनी गलत नीतियों की वजह से कई राज्यों और केंद्र की सत्ता से बाहर होना पड़ा. उन्होंने कहा बीजेपी आएसएस वाली नीतियों की वजह से सत्ता के बाहर चली जाएगी.  

'आरक्षण को प्रभावहीन बनाने की कोशिश की जा रही है' 
मायावती ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने चुनाव घोषित होने से पहले अपने सरकार के अंतरिम बजट में कई वादे किए हैं जिनमें से ज़्यादातर इनके राजनीतिक हितों के हवाहवाई जुमले हैं. उन्होंने कहा कि बाबासाहेब के द्वारा आरक्षण की जो सुविधा दी गई है, उसे एक सोची समझी साजिश के तहत प्रभावहीन बनाने की कोशिश की जा रही है. 

मायावती ने कहा कि वर्तमान में केंद्र और कई राज्यो में बीजेपी की सरकार के चलते दलितों और अल्पसंख्यको का विकास नही हो पा रहा है. गरीब, मजदूर, व्यापारी अपनी कई समस्याओं को लेकर दुःखी नज़र आ रहे है. गरीबी, बेरोजगारी बढ़ी है.

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