पप्पू यादव : 1991 में पहली बार सांसद बने, क्या जारी रख पाएंगे जीत का सिलसिला?
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पप्पू यादव : 1991 में पहली बार सांसद बने, क्या जारी रख पाएंगे जीत का सिलसिला?

फरवरी 2008 में मार्क्सवादी कमयूनिस्ट पार्टी के विधायक अजीत सरकार की हत्या के आरोप में निचली आदालत ने पप्पू यादव को उम्र कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था.

मधेपुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं पप्पू यादव. (फाइल फोटो)

पटना : मधेपुरा सांसद और जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं. 2014 के चुनाव में वह आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े और सांसद बने थे. ज्ञात हो कि उनकी पत्नी रंजीता रंजन सुपौल से कांग्रेस पार्टी की सांसद हैं. इस वर्ष भी वह चुनाव लड़ीं.

राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पहली बार 1991 में लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे थे. उसके बाद 1996, 1999 और 2004 में भी अलग-अलग लोकसभा सीट से चुनाव जीते. वह समाजवादी पार्टी (एसपी), लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं.

फरवरी 2008 में मार्क्सवादी कमयूनिस्ट पार्टी के विधायक अजीत सरकार की हत्या के आरोप में निचली आदालत ने पप्पू यादव को उम्र कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था. उस दौरान 2009 में पप्पू यादव पर आम चुनाव लड़ने से रोक लग गई थी. बरी होने के बाद 2014 में वह फिर चुनाव लड़े और जीते.  

मधेपुरा के सिंघेश्वरस्थान विधानसभा की सीट से पहली बार विधायक बनने वाले पप्पू यादव ने बहुत कम वक्त में कोसी के कई जिलों में अपना प्रभाव बढ़ा लिया. उन्होंने मधेपुरा नहीं बल्कि पूर्णिया, सहरसा, सुपौल, कटिहार जिलों में अपने समर्थकों का मजबूत नेटवर्क खड़ा कर लिया.

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