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रिटायर्ड अफसर ने भेदा कांग्रेस के दिग्गज कुनबे का किला, 6 महीने में पिता-पुत्र को किया परास्त

राजनीति में नए आए डामोर राज्य में महज छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में भूरिया के बेटे को भी मात दे चुके हैं.

राजनीति में नए आए डामोर राज्य में महज छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में भूरिया के बेटे को भी मात दे चुके हैं.
राजनीति में नए आए डामोर राज्य में महज छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में भूरिया के बेटे को भी मात दे चुके हैं.

इंदौर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की प्रचंड चुनावी लहर में मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जिन सियासी क्षत्रपों के गढ़ ढह गये, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और जनजातीय समुदाय के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया शामिल हैं. मध्य प्रदेश सरकार के रिटायर्ड अधिकारी गुमान सिंह डामोर ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर कड़े चुनावी मुकाबले में रतलाम-झाबुआ क्षेत्र के निवर्तमान सांसद कांतिलाल भूरिया को 90 हजार 636 मतों के अंतर से हराया और कांग्रेस से यह सीट छीन ली. भूरिया इस सीट से 2015 के उप चुनाव समेत पांच बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, जबकि डामोर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे.

बेटे को भी हराया
राजनीति में नए आए डामोर राज्य में महज छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में भूरिया के बेटे को भी मात दे चुके हैं.

भूरिया परिवार को नकार चुकी जनता
लोकसभा चुनावों की अपनी ताजा जीत का श्रेय मोदी लहर को देते हुए डामोर ने शुक्रवार को कहा, "मैं तो केवल माध्यम था. भूरिया और उनके बेटे को मतदाताओं ने हराया." उन्होंने कहा, "विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों के सिलसिलेवार नतीजों से स्पष्ट है कि भूरिया परिवार को रतलाम-झाबुआ क्षेत्र की जनता नकार चुकी है. इस क्षेत्र के लोगों ने सन्देश दे दिया है कि अब वे सकारात्मक राजनीतिक परिवर्तन चाहते हैं."

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चंद माह पहले BJP में आए
डामोर प्रदेश के एकमात्र भाजपा विधायक हैं जिन्हें पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनावों का टिकट दिया. 2017 में प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के चीफ इंजीनियर के पद से रिटायरमेंट के चंद महीनों बाद वह भाजपा में शामिल हुए थे.

भूरिया परिवार का पारंपरिक गढ़
भाजपा ने बड़ा दांव चलते हुए डामोर को नवंबर 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में उस झाबुआ क्षेत्र से टिकट दिया जो भूरिया परिवार का पारंपरिक गढ़ माना जाता है. अपनी पार्टी के भरोसे पर खरा उतरते हुए सेवानिवृत्त अधिकारी ने भूरिया के डॉक्टर बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार विक्रांत को झाबुआ सीट से 10,437 मतों से हराया और विधानसभा पहुंचे थे.

(इनपुट-भाषा)

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